द.अफ्रीका में भारतीय चुनाव आयोग की वाह-वाही, IEC ने कहा- INDIA से सबक ले दुनिया

Edited By Updated: 02 Dec, 2021 12:47 PM

s african electoral body lauds indian counterpart as example for world

दक्षिण अफ्रीका के स्वतंत्र निर्वाचन आयोग ने भारत चुनाव आयोग की वाह-वाहीकरते हुए दुनिया को इससे सबक लेने का आह्वान किया है। दक्षिण ...

जोहानिसबर्गः दक्षिण अफ्रीका  के स्वतंत्र निर्वाचन आयोग ने भारत चुनाव आयोग की वाह-वाहीकरते हुए दुनिया को इससे सबक लेने का आह्वान किया है।  दक्षिण अफ्रीका  IEC ने के अध्यक्ष ग्लेन मशानिनी ने भारत के निर्वाचन आयोग (ECI) के काम की तारीफ की और पूरी दुनिया के लिए इसे एक उदाहरण बताया। मशानिनी ने मंगलवार को जोहानिसबर्ग में भारतीय महावाणिज्य दूत अंजू रंजन और प्रेटोरिया में उच्चायुक्त जयदीप सरकार के कार्यालयों में आयोजित सम्मेलन को संबोधित किया।

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रंजन ने कहा कि ‘स्टोरी ऑफ वर्ल्ड्स लार्जेस्ट डेमोक्रेसीज इलेक्शंस' शीर्षक से इस कार्यक्रम का आयोजन 26 नवंबर को भारत के संविधान दिवस के अवसर पर आयोजित करने की योजना थी, लेकिन पूर्व प्रतिबद्धताओं के कारण मुख्य वक्ता अनुपलब्ध थे, इसी वजह से कार्यक्रम स्थगित करना पड़ा। मशानिनी ने कहा, ‘‘भारत की कहानी न केवल दुनिया के सबसे बड़े चुनावों के बारे में है बल्कि यह एक प्राचीन सभ्यता की कहानी भी है जो साम्राज्यवाद और उपनिवेशवाद से बाधित हो गई थी।'' उन्होंने कहा, ‘‘ECI चुनावी प्रबंधन निकाय के रूप में दुनिया भर में सेवा कर रही निर्वाचन प्रणालियों के लिए ज्ञान, समझ और अनुभव का स्रोत है।''

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उपनिवेशवाद, नस्लवाद और रंगभेद से लड़ने के लिए लोगों का नेतृत्व करने में महात्मा गांधी और नेल्सन मंडेला की भूमिकाओं पर प्रकाश डालते हुए मशानिनी ने कहा कि दोनों देशों ने आज संवैधानिक लोकतंत्र स्थापित करने के लिए इन कुरीतियों पर विजय प्राप्त की है। उन्होंने कहा, ‘‘सबसे बड़े, पुराने और मजबूत लोकतंत्रों में से एक, भारत ने रंगभेद को खत्म करने के हमारे संघर्ष और लोकतंत्र को गहरा एवं मजबूत करने के लिए राष्ट्रीय परियोजना को लेकर जो समर्थन दिया है, उसके लिए दक्षिण अफ्रीका ऋणी है।''

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भारत निर्वाचन आयोग के महासचिव उमेश सिन्हा ने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत ने किसी भी मतदाता को पीछे नहीं छोड़ने के अपने लक्ष्य को सुनिश्चित करने के लिए चुनाव कैसे आयोजित किए। सिन्हा ने कहा कि कोविड​​​​-19 महामारी ने डाक मतपत्रों को शामिल करने की प्रक्रियाओं की पहली बार समीक्षा के लिए मजबूर किया। भारत के मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुशील चंद्रा ने उदाहरण दिया कि कैसे चुनाव अधिकारियों ने एक दूरदराज के इलाके में, जंगल से गुजरते हुए और पहाड़ी इलाकों में चढ़ाई करके एक मतदाता तक पहुंचने के लिए चार दिनों की यात्रा की और वह हर मतदाता के अधिकार को सुनिश्चित करने के अपने आदर्श वाक्य पर खरा उतरा।

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