Edited By Shubham Anand,Updated: 01 Dec, 2025 03:31 PM

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण पर गंभीर चिंता जताई। CJI सूर्यकांत ने कहा कि कोविड-19 के दौरान नीला आसमान और तारे दिखना संभव था, और पराली जलाना सिर्फ प्रदूषण का एक कारण है। अदालत ने CAQM और राज्य सरकारों से प्रदूषण नियंत्रण के ठोस...
नेशनल डेस्क : सुप्रीम कोर्ट ने आज दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में बढ़ते प्रदूषण मामले की सुनवाई के दौरान सख्त टिप्पणी की। शीर्ष अदालत ने कहा कि वह चुप नहीं बैठ सकते और प्रदूषण के मुद्दे पर तुरंत क्रियाशील कदम उठाए जाने चाहिए। चीफ जस्टिस (CJI) सूर्यकांत ने कहा कि कोविड-19 के दौरान लोग नीला आसमान और आकाश में तारे देख पा रहे थे, जो यह दर्शाता है कि प्रदूषण नियंत्रित किया जा सकता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि पराली जलाना प्रदूषण का एक कारण है, लेकिन इसे राजनीतिक और अहंकार की लड़ाई नहीं बनाना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने CAQM (Central Pollution Control Authority) और राज्य सरकारों से पूछा कि प्रदूषण को कम करने के लिए कौन-सी योजनाएँ क्रियान्वित की गई हैं। अदालत ने जोर देकर कहा कि CAQM और राज्य प्राधिकरणों को कमर कसकर दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण की समस्या पर अंकुश लगाने के लिए उठाए गए कदमों पर विचार करना चाहिए। CJI सूर्यकांत ने कहा, “हम बेकार नहीं बैठ सकते। हमें समाधान विशेषज्ञों से स्पष्ट और ठोस जानकारी चाहिए। कोविड-19 के दौरान लोग नीला आकाश और तारे क्यों देख पाए?”
सुनवाई के दौरान CJI सूर्यकांत ने दोहराया कि दिल्ली में प्रदूषण केवल पराली जलाने के कारण नहीं है। उन्होंने राज्य सरकारों और संबंधित अधिकारियों से कहा कि दिल्ली में प्रदूषण के अन्य कारणों को रोकने के लिए कौन-से कदम उठाए गए हैं, इसकी जानकारी अदालत के समक्ष प्रस्तुत करें। इस सुनवाई के दौरान CAQM ने अदालत को बताया कि उन्होंने हितधारकों से परामर्श किया है।
इसके जवाब में एएसजी ने कहा कि सभी प्राधिकरणों हरियाणा, पंजाब, सीपीसीबी आदि पर की गई कार्रवाई की रिपोर्ट अदालत में दाखिल की जा सकती है। CJI सूर्यकांत ने कहा, “हम अनुमान नहीं लगा सकते। समाधान विशेषज्ञों से जानकारी आनी चाहिए। अदालत सभी हितधारकों को एक मंच प्रदान कर सकती है, जिससे वे बैठकर विचार-विमर्श कर सकें और प्रदूषण नियंत्रण के लिए ठोस कदम उठा सकें।”