'मां का खयाल रखने के लिए बड़े घर की नहीं, बल्कि बड़े दिल की जरूरत' सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया फैसला

Edited By Updated: 17 May, 2022 02:04 PM

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एक बेटे द्वारा मां का ख्याल न रखने पर सुप्रीम कोर्ट ने लोगों को एक दिल को छू लेने वाला मैसेज दिया।  सर्वोच्च न्यायालय ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि मां का खयाल रखने के लिए बड़े घर की नहीं, बल्कि बड़े दिल की जरूरत होती है। ​​​​​​​

नई दिल्ली: एक बेटे द्वारा मां का ख्याल न रखने पर सुप्रीम कोर्ट ने लोगों को एक दिल को छू लेने वाला मैसेज दिया।  सर्वोच्च न्यायालय ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि मां का खयाल रखने के लिए बड़े घर की नहीं, बल्कि बड़े दिल की जरूरत होती है।
 

दरअसल, एक रिपोर्ट के मुताबिक, 89 साल की एक बुजुर्ग महिला वैदेही सिंह की बेटियों पुष्पा तिवारी और गायत्री कुमार ने अदालत में एक याचिका दायर की थी जिसमें कहा था कि उनका भाई मां की देखभाल नहीं कर रहा है। बहनों ने अपने भाई पर यह भी आरोप लगाया कि उसके भाई ने मां की बड़ी संपत्ति अपने नाम कर ली है। पुष्पा और गायत्री  का कहना है कि उसकी मां डिमेंशिया से पीड़ित हैं, लिहाजा उनकी कस्टडी उन्हें दी जाए, ताकि वे अपनी मां की देखभाल कर सकें।
 
वहीं इस मामले की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और सूर्यकांत की पीठ ने कहा कि बेटियां अपनी मां की जिम्मेदारी ले सकती हैं, बेटा भी अपनी मां से मुलाकात कर सकता है। इस बात पर बेटे की तरफ से दलील देते हुए वकील ने कहा कि पुष्पा और गायत्री अपने परिवार के साथ रहती हैं और बेटियों के पास मां को रखने लिए जगह नहीं है। इस पर कोर्ट ने कहा कि सवाल यह नहीं है कि आपके पास कितना बड़ा एरिया है, बल्कि यह है कि आपके पास अपनी मां की देखभाल करने के लिए कितना बड़ा दिल है। 

इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि महिला की कोई भी संपत्ति अब ट्रांसफर नहीं हो पाएगी, साथ ही अदालत ने मां की कस्टडी, बेटियों को देने के सवाल पर, बेटे से मंगलवार तक जवाब मांगा है।
 
 

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