वो चमत्कारी मंदिर... जहां पाकिस्तान के सैकड़ों बम हो गए थे बेअसर, आज भी जवान करते हैं पूजा

Edited By Harman Kaur,Updated: 07 May, 2025 07:15 PM

that miraculous temple where hundreds of pakistani bombs became ineffective

22 अप्रैल को कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले में 26 भारतीय नागरिकों की निर्मम हत्या के बाद भारत ने सख्त जवाबी कार्रवाई करते हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और पीओके में नौ आतंकी ठिकानों को ध्वस्त कर दिया। इस ताज़ा सैन्य कार्रवाई के बीच...

नेशनल डेस्क: 22 अप्रैल को कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले में 26 भारतीय नागरिकों की निर्मम हत्या के बाद भारत ने सख्त जवाबी कार्रवाई करते हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और पीओके में नौ आतंकी ठिकानों को ध्वस्त कर दिया। इस ताज़ा सैन्य कार्रवाई के बीच एक बार फिर लोगों को 1965 के भारत-पाक युद्ध की याद आई, जब राजस्थान के जैसलमेर में स्थित तनोट माता मंदिर ने अपने चमत्कारिक इतिहास से सभी को चौंका दिया था।
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जब नहीं फटे 450 बम
1965 और 1971 के भारत-पाक युद्धों के दौरान पाकिस्तान की सेना ने तनोट माता मंदिर को निशाना बनाया था। ऐतिहासिक प्रमाणों के अनुसार, पाकिस्तानी सैनिकों ने मंदिर परिसर और आसपास के क्षेत्रों में करीब 3000 बम गिराए, जिनमें से 450 बम मंदिर के भीतर गिरे, लेकिन एक भी बम नहीं फटा। यह घटना भारतीय सैनिकों के लिए आस्था और विश्वास का प्रतीक बन गई।

मंदिर बना आस्था का केंद्र और सीमा का रक्षक
तनोट माता को ‘थार की वैष्णो देवी’ और ‘सैनिकों की देवी’ कहा जाता है। युद्ध के दौरान यहां की देवी में भारतीय जवानों की अपार श्रद्धा रही है। आज भी सीमा सुरक्षा बल (BSF) इस मंदिर की देखरेख करता है। मंदिर परिसर में आज भी वे बम संग्रहालय में संरक्षित हैं, जिन्हें पाकिस्तान ने गिराया था।
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पूजा-पाठ करते हैं जवान
इस मंदिर में अब भी BSF के जवान पुजारी की भूमिका निभाते हैं। रोज़ सुबह और शाम आरती होती है। मंदिर का एक मुख्य द्वार जवानों की निगरानी में रहता है। यह मंदिर आम जनता के लिए खुला है और यहां आने वाले भक्त इसे अद्भुत चमत्कारी स्थल मानते हैं।
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पौराणिक इतिहास भी उतना ही समृद्ध
मंदिर का संबंध हिंगलाज माता से जुड़ा है, जिनके अवतार के रूप में तनोट राय की पूजा होती है। मान्यता के अनुसार एक चारण पुरुष मामड़िया ने माता की तपस्या की थी, जिसके फलस्वरूप उसे एक पुत्र और सात पुत्रियां प्राप्त हुईं। इन सात पुत्रियों में से एक थीं आवड मां, जिन्हें आज तनोट माता के नाम से पूजा जाता है।

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