दुनिया का सबसे मुश्किल व्रत: किस धर्म के लोग रखते हैं सबसे ज्यादा व्रत, जानें कौन सा देश इसमें सबसे आगे

Edited By Updated: 29 Sep, 2025 04:55 PM

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दुनिया के हर धर्म में उपवास और व्रत की परंपरा है, लेकिन एक ऐसा उपवास है जिसे विश्व में सबसे कठिन माना जाता है। इस व्रत में अनुयायी लंबे समय तक भोजन और जल का त्याग कर देते हैं। इस सबसे मुश्किल व्रत का संबंध भारत के ही जैन धर्म से है।

नेशनल डेस्क: दुनिया के हर धर्म में उपवास और व्रत की परंपरा है, लेकिन एक ऐसा उपवास है जिसे विश्व में सबसे कठिन माना जाता है। इस व्रत में अनुयायी लंबे समय तक भोजन और जल का त्याग कर देते हैं। इस सबसे मुश्किल व्रत का संबंध भारत के ही जैन धर्म से है।

दुनिया का सबसे कठिन व्रत: संथारा या सल्लेखना
जैन धर्म में इस कठिन तपस्या को संथारा या सल्लेखना कहा जाता है। इसे जैन साधु-साध्वियां या कुछ गंभीर अनुयायी जीवन के अंतिम चरण में स्वेच्छा से धारण करते हैं। यह व्रत इतना कठिन होता है कि हर किसी के वश की बात नहीं।
क्या होता है इस व्रत में: इस व्रत में अनुयायी धीरे-धीरे भोजन और अंततः पानी भी छोड़ देते हैं। यह व्रत कई हफ्तों से लेकर महीनों तक चल सकता है। ऐतिहासिक रूप से 68 दिन से लेकर 423 दिन तक केवल सूक्ष्म जल के सहारे यह व्रत रखे जाने के उदाहरण भी मिलते हैं।
उद्देश्य: इस व्रत को मोक्ष की ओर कदम माना जाता है। यह एक आध्यात्मिक प्रक्रिया है, जिसके तहत व्यक्ति यह स्वीकार करता है कि उसका शरीर अपना काम पूरा कर चुका है और अब वह स्वेच्छा से शरीर का त्याग कर रहा है।

क्यों माना जाता है इसे सबसे कठिन?
संथारा/सल्लेखना केवल शारीरिक उपवास नहीं है, बल्कि यह चरम आत्म-नियंत्रण की मांग करता है:
स्वैच्छिक मृत्यु: यह व्रत स्वेच्छा से भोजन-पानी छोड़कर मृत्यु को स्वीकारने की तैयारी है, जिसके लिए मृत्यु के भय पर विजय पाना ज़रूरी होता है।
अत्यधिक शारीरिक कष्ट: लंबे समय तक भोजन और जल छोड़ने से शरीर में दर्द, पीड़ा और कमज़ोरी का सामना करना पड़ता है, जिसे सहर्ष सहने की तैयारी चाहिए।
मोह-माया का त्याग: इस दौरान न केवल भूख-प्यास बल्कि दुनिया की सभी सांसारिक इच्छाओं और मोह-माया को भी छोड़ना होता है।
उच्च अनुशासन: यह व्रत अत्यधिक आत्म-अनुशासन, विवेक और आध्यात्मिक शक्ति की मांग करता है। इस पूरी अवधि में ध्यान, प्रार्थना और आत्म-चिंतन जारी रहता है।

क्या इससे भी कठिन कोई तपस्या है?
जैन परंपरा में सल्लेखना को अंतिम और सर्वोच्च तपस्या माना गया है। हालांकि, अगर 'कठिन' का अर्थ शारीरिक कष्ट या लंबी अवधि की साधना से है, तो अन्य धर्मों में भी कठोर तपस्याएं हैं:
तुकदम (तिब्बती बौद्ध धर्म): इसमें एक योगी मृत्यु के बाद भी ध्यानमग्न अवस्था में रहता है, और उसका शरीर तुरंत विघटित नहीं होता। यह मृत्यु पर अद्भुत नियंत्रण दिखाता है।
अन्य कठोर साधनाएं: कुछ योगी महासमाधि लेते हैं, खड़े रहकर तप करते हैं, या हिमालय में नग्न रहकर तपस्या करते हैं।

दुनिया के अन्य कठिन व्रत
विभिन्न धर्मों में भी लंबी अवधि या निर्जला उपवास काफी कठिन माने जाते हैं:
निर्जला एकादशी (हिंदू): इसमें पूरे दिन भोजन और जल दोनों वर्जित रहते हैं।
रमजान (इस्लाम): इसमें सूर्योदय से सूर्यास्त तक भोजन और जल दोनों वर्जित रहते हैं। उत्तरी देशों में दिन की अवधि 20-21 घंटे तक हो सकती है।
योम किप्पुर (यहूदी): इसमें वयस्क 25 घंटे तक भोजन या पानी नहीं लेते हैं।
ब्लैक फास्ट (ईसाई/कॉप्टिक): दिनभर भोजन-जल नहीं लिया जाता, सूर्यास्त के बाद केवल एक शाकाहारी भोजन मिलता है।

किस देश में सबसे ज्यादा व्रत रखे जाते हैं?
आस्था और धार्मिकता की व्यापकता के आधार पर, भारत में पूरे साल सबसे ज्यादा व्रत और उपवास रखे जाते हैं, क्योंकि यहाँ हिंदू, जैन और अन्य धर्मों में साप्ताहिक, मासिक और वार्षिक व्रत की समृद्ध परंपरा है। धार्मिकता के प्रतिशत के हिसाब से इंडोनेशिया, मालदीव, सऊदी अरब, पाकिस्तान और कई अफ्रीकी देशों के लोग भी बहुत धार्मिक माने जाते हैं।

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