Edited By Anu Malhotra,Updated: 02 Sep, 2025 01:51 PM

अमेरिका में हेल्थ सेक्टर को एक बड़े झटके का सामना करना पड़ सकता है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से विदेशी दवाओं पर संभावित 200% तक के टैरिफ की योजना सामने आई है, जिससे न केवल भारत जैसे देशों को आर्थिक झटका लग सकता है। अमेरिका में विदेशी टैक्स...
नई दिल्ली: अमेरिका में हेल्थ सेक्टर को एक बड़े झटके का सामना करना पड़ सकता है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से विदेशी दवाओं पर संभावित 200% तक के टैरिफ की योजना सामने आई है, जिससे न केवल भारत जैसे देशों को आर्थिक झटका लग सकता है। अमेरिका में विदेशी टैक्स जितना ऊंचा, दवाएं उतनी महंगी-और इसका सबसे बड़ा असर पड़ेगा अमेरिकियों की जेब पर। एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर यह फैसला लागू हुआ, तो दवाइयों की कीमतों में भारी बढ़ोतरी और सप्लाई में रुकावट देखने को मिल सकती है।
ट्रंप की नीति: टैक्स लगाओ, जनता परेशान हो
पहले तो विदेश से आई दवाओं पर 200% तक का टैक्स लगाने की बात चल रही थी-यानि साधारण दवाई का दो से तीन गुना महंगा हो जाना निश्चित है। हाल ही में यूरोप के साथ एक ट्रेड समझौते के तहत, अमेरिका ने यूरोपीय दवाओं एवं सामानों पर 15% टैक्स लगाया है। ट्रंप ने कई फार्मा कंपनियों से कहकर “अमेरिका को सबसे सस्ती दवा दें” की अपील भी की है। लेकिन क्रूर पेल- ये टैक्स -सीधे आम नागरिकों को भारी पड़ेगा।
तीन असर:
कीमतों में झटका – ING हेल्थ इकॉनॉमिक्स के अनुसार, केवल 25% टैक्स से भी दवाओं की क़ीमतें 10-14% तक बढ़ सकती हैं।
इंश्योरेंस महंगा – दवाओं की क़ीमतें बढ़ने से स्वास्थ्य इंश्योरेंस की लागत भी बढ़ने लगती है।
लॉजिस्टिक और सप्लाई संकट – विदेश से आने वाली दवाइयों में कटौती से वितरण ढांचा बाधित हो सकता है, जिससे "दवा की कमी" जैसी स्थिति पैदा हो सकती है।
ट्रंप का सच: क्या यह सस्ता करना था?
उनका वादा था कि वह अमेरिका में दवाओं को सस्ता करेंगे। लेकिन इस भारी-भरकम टैक्स नीति से उल्टा ही नतीजा निकलेगा। आईबीएफसी ने सुझाव दिया है कि अगर यह टैक्स 2026 बाद लागू होता है, तो तक़रीबन 2027–28 में वास्तविक असर दिखने लगेगा, क्योंकि कंपनियां पहले से स्टॉक कर सकती हैं। वहीं अमेरिकी कंपनियों को लाभ की चाबी ही दी जा रही है-लेकिन क्या आम जनता की बीमारी और तंगी का कोई हल निकालेगा?