उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे से उनका गांव हुआ भावुक, लोगों ने याद किया योगदान

Edited By Updated: 22 Jul, 2025 02:21 PM

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सोमवार शाम को देश के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे की खबर जैसे ही उनके पैतृक गांव किठाना (जिला झुंझुनूं, राजस्थान) पहुंची, वहां माहौल भावुक हो गया। गांव की गलियों और चौपालों पर सिर्फ इसी चर्चा ने जगह ले ली कि आखिर ऐसा क्या हुआ, जिसके चलते गांव...

नेशनल डेस्क : सोमवार शाम को देश के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे की खबर जैसे ही उनके पैतृक गांव किठाना (जिला झुंझुनूं, राजस्थान) पहुंची, वहां माहौल भावुक हो गया। गांव की गलियों और चौपालों पर सिर्फ इसी चर्चा ने जगह ले ली कि आखिर ऐसा क्या हुआ, जिसके चलते गांव के लाड़ले बेटे ने अचानक पद से इस्तीफा दे दिया। ग्रामीणों ने उनके कार्यकाल को याद करते हुए कहा कि उनके योगदान और गांव के प्रति जुड़ाव को कभी भुलाया नहीं जा सकता।

2022 में उपराष्ट्रपति बनने के बाद किया था गांव का दौरा
गांव के बुजुर्गों से लेकर बच्चों तक सभी ने एक स्वर में कहा, “हमारे लिए तो वे हमेशा उपराष्ट्रपति ही रहेंगे।” बच्चों ने उन्हें अपनी प्रेरणा बताया, वहीं बुजुर्गों ने उनकी सादगी और माटी से जुड़े रहने को याद किया। अगस्त 2022 में उपराष्ट्रपति बनने के बाद जगदीप धनखड़ किठाना गांव आए थे। उस दौरान उन्होंने ठाकुर जी मंदिर और जोड़िया बालाजी मंदिर में दर्शन कर आशीर्वाद लिया था। ग्रामीणों को आज भी वह दृश्य याद है जब गांव का बेटा देश का दूसरा सर्वोच्च संवैधानिक पद संभालने के बाद आशीर्वाद लेने पहुंचा था।

पत्नी बनीं गांव से संवाद की कड़ी
हालांकि उपराष्ट्रपति बनने के बाद व्यस्तताओं के चलते धनखड़ गांव कम आ सके, लेकिन उनका जुड़ाव कभी कम नहीं हुआ। उनकी पत्नी डॉ. सुदेश धनखड़ लगातार गांव आती रहीं और ग्रामीणों से विकास योजनाओं को लेकर चर्चा करती थीं। उन्होंने बच्चों को शिक्षा के लिए प्रेरित किया और महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने में अहम भूमिका निभाई।

गांव को दिलाई नई पहचान और विकास की सौगातें
उपराष्ट्रपति धनखड़ ने किठाना गांव को न सिर्फ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई, बल्कि विकास की दिशा में भी कई महत्वपूर्ण सौगातें दीं। सरपंच प्रतिनिधि हीरेंद्र धनखड़ के अनुसार, उनके प्रयासों से गांव में सरकारी कॉलेज, खेल स्टेडियम और आयुर्वेदिक अस्पताल भवन का निर्माण हुआ। जोड़िया बालाजी मंदिर में भी उनके परिवार के सहयोग से निर्माण कार्य जारी है। साथ ही गांव को नेशनल हाईवे से जोड़ने के लिए सर्वे कार्य भी शुरू कराया गया।

स्वास्थ्य खराब रहने से आना-जाना कम हुआ
ग्रामीणों के मुताबिक, मार्च से ही उपराष्ट्रपति धनखड़ का स्वास्थ्य ठीक नहीं चल रहा था। इस दौरान उनकी पत्नी डॉ. सुदेश धनखड़ गांव आकर ग्रामीणों को उनकी तबीयत की जानकारी देती रहीं। पहले जहां वे कई दिनों तक गांव में रहती थीं, अब एक-दो दिन में ही लौट जाती थीं।

गांववासियों ने जताया गर्व
गांव के लोगों ने कहा कि भले ही उन्होंने पद छोड़ दिया हो, लेकिन किठाना के लिए वे हमेशा उपराष्ट्रपति ही रहेंगे। उन्होंने जो पहचान, सम्मान और विकास गांव को दिया है, वह पीढ़ियों तक याद रखा जाएगा।

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