2025 में मौसम का कहर : 7 महीनों में 1626 लोगों की मौत, महाराष्ट्र में 91,429 हेक्टेयर फसलें बर्बाद और पंजाब में...

Edited By Updated: 11 Aug, 2025 12:54 PM

weather havoc in 2025 1626 people died in 7 months

भारत में इस साल मौसम ने कहर बरपाया है। जनवरी से जुलाई 2025 के बीच बारिश, बाढ़, तूफान और बिजली गिरने जैसी आपदाओं ने 1,626 लोगों की जान ले ली और 1.57 लाख हेक्टेयर से ज्यादा फसलों को तबाह कर दिया। उत्तराखंड से लेकर केरल तक कई राज्यों में तबाही का मंजर...

नेशनल डेस्क : भारत में इस साल मौसम ने कहर बरपाया है। जनवरी से जुलाई 2025 के बीच बारिश, बाढ़, तूफान और बिजली गिरने जैसी आपदाओं ने 1,626 लोगों की जान ले ली और 1.57 लाख हेक्टेयर से ज्यादा फसलों को तबाह कर दिया। उत्तराखंड से लेकर केरल तक कई राज्यों में तबाही का मंजर देखा गया।

साल-दर-साल बढ़ती आपदाएं

हर साल मॉनसून के दौरान बाढ़, भूस्खलन और बिजली गिरने की घटनाएं बढ़ रही हैं। 2025 में भी हालात बेहद गंभीर रहे।

  • उत्तराखंड: उत्तरकाशी के धराली गांव में बादल फटने से आई बाढ़ ने पूरे गांव को उजाड़ दिया।
  • हिमाचल प्रदेश: मंडी जिले के सराज इलाके में 30 जून की रात भारी बारिश से भूस्खलन और बाढ़ आई, जिससे 25 गांव प्रभावित हुए।
  • 2024 में केरल के वायनाड में भी ऐसी ही तबाही देखी गई थी।

गृह मंत्रालय के ताजा आंकड़े

6 अगस्त 2025 को राज्यसभा में दी गई जानकारी के अनुसार:

  • सबसे ज्यादा मौतें: आंध्र प्रदेश (343), मध्य प्रदेश (243), हिमाचल प्रदेश (195), कर्नाटक (102), बिहार (101)
  • अन्य प्रभावित राज्य: केरल (97), महाराष्ट्र (90), राजस्थान (79), उत्तराखंड (71), गुजरात (70), जम्मू-कश्मीर (37), असम (32), उत्तर प्रदेश (23)
  • कुल मौतों का 60% से अधिक सिर्फ 5 राज्यों में दर्ज हुआ।

किसानों पर दोहरा प्रहार

इन आपदाओं से किसानों को भारी नुकसान हुआ।

मवेशियों की मौत: कुल 52,367

फसल नुकसान: 1,57,818 हेक्टेयर जमीन

राज्यवार सबसे ज्यादा फसल नुकसान:

  • महाराष्ट्र: 91,429 हेक्टेयर
  • असम: 30,474.89 हेक्टेयर
  • कर्नाटक: 20,245 हेक्टेयर
  • मेघालय: 6,372.30 हेक्टेयर
  • पंजाब: 3,569.11 हेक्टेयर

मवेशियों की मौत में हिमाचल (23,992), असम (14,269) और जम्मू-कश्मीर (11,067) सबसे आगे रहे।

अस्थायी आंकड़े और जिम्मेदारी

मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि ये आंकड़े अस्थायी हैं और राज्यों से मिली जानकारी पर आधारित हैं। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन नीति (NPDM) के तहत राहत व पुनर्वास की जिम्मेदारी राज्य सरकारों की है, जबकि केंद्र केवल सहयोग करता है। कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि यह व्यवस्था राष्ट्रीय स्तर पर एकजुट प्रतिक्रिया में कमी ला सकती है।

चेतावनी और सुरक्षा उपाय

  • IMD ने सैटेलाइट, रडार और 102 सेंसर वाले ग्राउंड नेटवर्क के जरिए 5 दिन पहले तक की मौसम चेतावनी देने की प्रणाली विकसित की है।
  • पुणे का भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम संस्थान ने 112 सेंसर वाला वज्रपात निगरानी नेटवर्क तैयार किया, जिससे ‘दामिनी’ ऐप लॉन्च हुआ। यह ऐप 20-40 किलोमीटर दायरे में बिजली गिरने की सटीक जानकारी देता है।
  • 28 फरवरी 2025 को राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने आंधी, बिजली और तेज हवाओं से निपटने के नए दिशा-निर्देश जारी किए।

जलवायु परिवर्तन का असर

विशेषज्ञ मानते हैं कि बदलते बारिश के पैटर्न और जलवायु परिवर्तन से बाढ़ व भूस्खलन की घटनाएं बढ़ रही हैं। वनों की सुरक्षा, टिकाऊ खेती और बेहतर आपदा प्रबंधन से नुकसान कम किया जा सकता है। लेकिन सवाल यह है कि क्या सरकार और समाज मिलकर आने वाले समय में इन खतरों का सामना करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं?

 

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