Edited By Mansa Devi,Updated: 29 Oct, 2025 04:09 PM

राजधानी दिल्ली में मंगलवार को कृत्रिम बारिश की कोशिश नाकाम रही। आईआईटी कानपुर की टीम ने क्लाउड सीडिंग (Cloud Seeding) के जरिए बारिश कराने की पहल की थी, लेकिन पर्याप्त नमी न होने की वजह से यह प्रयास सफल नहीं हो सका। वैज्ञानिक अब बुधवार को दोबारा...
नेशनल डेस्क: राजधानी दिल्ली में मंगलवार को कृत्रिम बारिश की कोशिश नाकाम रही। आईआईटी कानपुर की टीम ने क्लाउड सीडिंग (Cloud Seeding) के जरिए बारिश कराने की पहल की थी, लेकिन पर्याप्त नमी न होने की वजह से यह प्रयास सफल नहीं हो सका। वैज्ञानिक अब बुधवार को दोबारा प्रयोग करेंगे। इसके लिए रसायन छिड़काव करने वाला विशेष विमान दिल्ली में ही तैयार रखा गया है।
क्यों नहीं हुई कृत्रिम बारिश?
आईआईटी कानपुर के निदेशक प्रोफेसर मनिंद्र अग्रवाल ने बताया कि मंगलवार को किए गए प्रयोग पूरी तरह सफल नहीं रहे क्योंकि बादलों में नमी बहुत कम थी। वैज्ञानिकों के अनुसार, कृत्रिम बारिश के लिए वातावरण में कम से कम 50% नमी जरूरी होती है, लेकिन दिल्ली में उस समय नमी केवल 20% के आसपास थी। नतीजतन, रसायनों के छिड़काव के बावजूद बादलों में पर्याप्त संघनन नहीं हो सका और बारिश नहीं हुई। उन्होंने यह भी कहा कि क्लाउड सीडिंग कोई “जादुई समाधान” नहीं है, बल्कि यह एक आपातकालीन (SOS) उपाय है, जो तभी काम करता है जब मौसम की स्थिति अनुकूल हो।
कैसे हुआ क्लाउड सीडिंग का प्रयास
कानपुर से विशेष विमान दिल्ली लाया गया, जिसमें सिल्वर आयोडाइड और सोडियम क्लोराइड जैसे यौगिक भरे थे। यह विमान बुराड़ी, करोलबाग, और मयूर विहार के ऊपर से गुजरा और आठ झोकों में रसायनों का छिड़काव किया। प्रत्येक झोंक में करीब 2 से 2.5 किलो रसायन का उपयोग हुआ।
पूरा परीक्षण करीब 30 मिनट तक चला।
पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने बताया कि यह प्रयोग दिल्ली की बिगड़ती वायु गुणवत्ता को सुधारने के लिए किया गया। अगर आगे के परीक्षण सफल रहे, तो फरवरी तक इस प्रोजेक्ट को पूरी तरह लागू करने की योजना है।
क्या है क्लाउड सीडिंग तकनीक?
क्लाउड सीडिंग एक पुरानी वैज्ञानिक तकनीक है, जिसे करीब 80 साल पहले विकसित किया गया था। इसमें बादलों में कुछ रासायनिक पदार्थ (जैसे सिल्वर आयोडाइड, सोडियम क्लोराइड) छोड़े जाते हैं, जिससे उनमें संघनन बढ़ता है और बारिश की संभावना पैदा होती है। यह प्रक्रिया केवल तब कारगर होती है जब बादलों में पर्याप्त नमी हो।
दुनियाभर में अपनाई जा रही तकनीक
क्लाउड सीडिंग का इस्तेमाल कई देशों में किया जाता है जैसे अमेरिका, चीन, और यूएई जहां इसे सूखा प्रभावित इलाकों में वर्षा लाने या प्रदूषण कम करने के लिए प्रयोग किया जाता है। दिल्ली में भी इस तकनीक से उम्मीद की जा रही थी कि प्रदूषण का स्तर घटेगा, लेकिन मौसम ने साथ नहीं दिया।