Edited By Mehak,Updated: 18 Oct, 2025 06:39 PM

पिछले एक साल में सोने की कीमतों में 63% की बढ़ोतरी हुई है, जिससे निवेशक खुश हैं, लेकिन सतर्क भी। Zoho के फाउंडर श्रीधर वेम्बू ने चेताया कि सोना सामान्य निवेश नहीं, बल्कि आर्थिक प्रणाली में जोखिमों से बचाव का बीमा है। वैश्विक कर्ज, युद्ध और व्यापार...
नेशनल डेस्क : पिछले एक साल में सोने ने 63% की जबरदस्त तेजी दिखाई है, जिससे निवेशक खुश हैं, लेकिन कुछ सतर्क भी हैं। Zoho के फाउंडर और चीफ साइंटिस्ट श्रीधर वेम्बू ने निवेशकों को चेतावनी दी है कि सोना सिर्फ निवेश का साधन नहीं है, बल्कि सिस्टमेटिक फाइनेंशियल रिस्क से बचाव का बीमा है।
सोना: जोखिम में सुरक्षा
श्रीधर वेम्बू ने कहा कि दुनियाभर में कर्ज का स्तर बढ़ने से वित्तीय प्रणाली पर भरोसा कमजोर हो सकता है। ऐसे समय में सोना अनिश्चित परिस्थितियों में सुरक्षा प्रदान करता है। उनका कहना है कि सोना निवेश के बजाय बड़े आर्थिक जोखिमों के समय बीमा के रूप में काम करता है।
पिछले साल सोने ने दिए जबरदस्त रिटर्न
भारत में पिछले 12 महीनों में सोने की कीमतों में 63% की बढ़ोतरी हुई। पिछले साल धनतेरस पर 10 ग्राम सोना लगभग ₹78,840 था, जबकि अब यह ₹1,32,780 तक पहुंच गया है। इसका मतलब है कि ₹1,00,000 का निवेश करने वाले निवेशक को आज ₹63,000 का लाभ हुआ। इस दौरान सोने ने Nifty 50 जैसी बड़ी इंडेक्स से भी अधिक रिटर्न दिया।
सोने की तेजी के पीछे क्या कारण हैं?
विशेषज्ञों के अनुसार, सोने की कीमतों में यह उछाल वैश्विक तनाव, युद्ध, व्यापार विवाद और केंद्रीय बैंकों द्वारा सोने की खरीद जैसे कारणों का नतीजा है। घरेलू बाजार में त्योहारों का सीजन और पारंपरिक मांग भी सोने की कीमतों को ऊंचा बनाए रखता है।
भविष्य का अनुमान
विशेषज्ञों का मानना है कि सोने की तेजी आगे भी जारी रह सकती है, और 2026 तक इसकी कीमत ₹1,50,000 प्रति 10 ग्राम तक पहुंच सकती है। अब हर निवेशक के सामने यह सवाल है कि सोना सिर्फ बढ़त का जरिया नहीं, बल्कि निवेश पोर्टफोलियो में सुरक्षा और स्थिरता का असली मतलब क्या है।