हाथ की इस उंगली में भगवान शिव स्वयं करते हैं वास

Edited By Updated: 13 Sep, 2015 02:28 PM

article

पौराणिक शास्त्रानुसार ब्रह्मदेव को पहले भगवान की संज्ञा प्राप्त थी। सम्पूर्ण संसार मात्र शिव के कारण ही है। इसी भांति शिव ने ब्रह्मदेव को उत्पन्न कर सृष्टि की संरचना का कार्य किया। जब ब्रह्मदेव ब्रह्मांड का निर्माण मानसिक सत्र पर न कर सके तब

पौराणिक शास्त्रानुसार ब्रह्मदेव को पहले भगवान की संज्ञा प्राप्त थी। सम्पूर्ण संसार मात्र शिव के कारण ही है। इसी भांति शिव ने ब्रह्मदेव को उत्पन्न कर सृष्टि की संरचना का कार्य किया। जब ब्रह्मदेव ब्रह्मांड का निर्माण मानसिक सत्र पर न कर सके तब उन्होंने स्त्री रूप में देवी शत्रुपा अर्थात सरस्वती को उत्तपन्न किया। जिस पर स्वयं ब्रह्मा ही मुग्ध हो गए। उत्पतिकारक को पिता माना जाता है। अतः ब्रह्मा के अपनी ही पुत्री शत्रुपा पर मुग्ध होने के पाप पर शिव ने अपनी अनामिका उंगली से ब्रह्मा का पांचवा सिर काट दिया।

पढ़ें: शक्तियों की कृपा का पात्र बनने के लिए सोमवार को करें ये उपाय

अनामिका उंगली का एक नाम अनामा भी है अर्थात ब्रह्महत्या के उपरांत भी जो निंदित न हो वही अनामा है अर्थात जिसे कभी पाप न लगे वही अनामिका है। अनामिका से देवकार्य, मध्यमा से पितृकर्य व व तर्जनी से स्व्यंकार्य किए जाते हैं।  शिवलिंग पर जो त्रिपुंड बनाया जाता है उसमें तर्जनी में ब्रह्मा, मध्यमा में विष्णु व तर्जनी पर भगवान शंकर विद्यमान रहते हैं। 

पढ़ें:  इस तरह धनी व्यक्ति कर लेता है अपना ही नुक्सान

धार्मिक मान्यता के अनुसार अनामिका अंगुली पर स्वयं भगवान शंकर का वास माना जाता है। इसी कारण अनामिका अंगुली को सर्वथा धार्मिक रूप से पवित्र माना जाता है। शास्त्रों में अनामिका उंगली को अत्यधिक पावन माना गया है। पूजा अनुष्ठान आदि धार्मिक कार्यों में अनामिका उंगली में कुशा से बनी पवित्री धारण करने का विधान है। इसी कारण अनामिका को इसे दैवीय उंगली माना गया है। यही उंगली मान, अभिमान रहित और यश और कीर्ति की सूचक है। अनामिका उंगली का उपयोग सर्वथा दैवीय पूजा के समय किया जाता है क्योंकि यह उंगली आदित्य अर्थात सूर्य का प्रतीक भी है। इशौप्निषद आदि वेदांगो में भी त्रिकाल संध्या में सूर्य को ही पंच देवों में स्थान प्राप्त है। अनामिका उंगली से ही देवगणों को गंध और अक्षत अर्पित किया जाता है। 

पढ़ें : त्यौहार: 13 सितम्बर से 19 सितम्बर 2015 तक

तीसरी अंगुली अर्थात मध्यमा और कनिष्ठिका के बीच की अंगुली को अनामिका कहते हैं। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार अनामिका उंगली पर ग्रहों का राजा सूर्य का आधिपत्य है। सूर्य को अदित्य माना गया है अर्थात जो कभी भी दूसरे स्थान पर न हो अर्थात सर्वदा पहले स्थान पर ही रहे। वेदों में सूर्य को ब्रहमाण्ड का आदि कारण माना गया है। पाश्चात्य संस्कृति में भी अनामिका उंगली को रिंग फिंगर कहा गया है अर्थात जिस उंगली में अंगूठी पहनना सर्वथा मान्य माना गया है। इसी कारण इस उंगली से व्यक्ति की यश कीर्ति धन व संतान हस्तरेखा शास्त्र अनुसार उंगूठे व हाथ की चार उंगलियों के सिरे में बसे पर्वत पर ग्रहों का निवास माना जाता है। अंगूठे में शुक्र, तर्जनी में गुरु, मध्यमा में शनि, अनामिका में सूर्य और कनिष्ठा में बुध का वास माना जाता है। ज्योतिषीय दृष्टि से इस उंगली पर बने चक्र से व्यक्ति चक्रवर्ती बनता है।

पढ़ें : जन्म तारिख के अनुसार जानें अपना सप्ताहिक राशिफल

आचार्य कमल नंदलाल

ईमेल: kamal.nandlal@gmail.com 

IPL
Royal Challengers Bengaluru

190/9

20.0

Punjab Kings

184/7

20.0

Royal Challengers Bengaluru win by 6 runs

RR 9.50
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!