Edited By PTI News Agency,Updated: 04 Dec, 2021 10:29 PM
नयी दिल्ली, चार दिसंबर (भाषा) संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने एमएसपी, कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजा दिए जाने और प्रदर्शनकारियों के खिलाफ मुकदमे वापस लेने सहित अपनी अन्य लंबित मांगों पर सरकार से...
नयी दिल्ली, चार दिसंबर (भाषा) संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने एमएसपी, कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजा दिए जाने और प्रदर्शनकारियों के खिलाफ मुकदमे वापस लेने सहित अपनी अन्य लंबित मांगों पर सरकार से बातचीत के लिए शनिवार को पांच सदस्यीय समिति बनाई।
एसकेएम के सूत्रों ने बताया कि इस हफ्ते की शुरुआत में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के वरिष्ठ किसान नेताओं से बातचीत करने के बाद यह पहल की गई है।
किसानों के एक नेता ने कहा, ‘‘पांच सदस्यीय समिति अब सरकार से हमारी लंबित मांगों पर वार्ता करेगी। पहले सरकार के साथ अनौपचारिक बातचीत होती रही है, लेकिन शेष मुद्दों पर हम लिखित आश्वासन चाहते हैं, जिसमें किसानों के खिलाफ मामलों को वापस लेना और एमएसपी पर कानूनी गारंटी शामिल है।’’
सूत्रों ने कहा कि आगामी दिनों में एसकेएम की राज्य समितियों के उन राज्यों के गृह मंत्रियों के साथ बैठक करने की संभावना है, जहां प्रदर्शनकारी किसानों के खिलाफ मामले दर्ज किए गए हैं।
एसकेएम ने बयान जारी कर कहा, ‘‘हमारे द्वारा उठाए गए हर मुद्दे पर औपचारिक जवाब नहीं मिलने तक हम आंदोलन समाप्त नहीं करेंगे। हम चाहते हैं कि किसानों एवं उनके समर्थकों के खिलाफ दर्ज सभी मामले वापस लिए जाएं, जो इस आंदोलन का हिस्सा रहे हैं और औपचारिक रूप से आश्वासन दिया जाए।’’
एसकेएम की तरफ से यहां आयोजित एक बैठक के बाद किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल, अशोक धावले, शिव कुमार कक्का, गुरनाम सिंह चढूनी और युधवीर सिंह को समिति का सदस्य नामित किया गया है।
टिकैत ने सिंघू बॉर्डर पर एसकेएम के अन्य सदस्यों के साथ संवाददाता सम्मेलन में कहा कि आंदोलन के भविष्य की दिशा तय करने के लिए मोर्चा की अगली बैठक सात दिसंबर को सुबह 11 बजे होगी।
चालीस किसान संगठनों के संघ एसकेएम ने एक बयान जारी कर कहा कि विगत में किसान संगठनों के ‘‘कड़वे अनुभव’’ रहे हैं।
एसकेएम ने बयान जारी कर कहा, ‘‘भारत सरकार ने अनौपचारिक रूप से काम किया है और आंदोलनकारी किसानों द्वारा उठाए गए कुछ मुद्दों पर आंशिक रूप से प्रतिक्रिया दी है।’’
बैठक के बाद एसकेएम नेताओं ने कहा कि वे सिंघू बॉर्डर से तब तक नहीं हटेंगे, जब तक कि किसानों के खिलाफ दर्ज मामले वापस नहीं ले लिए जाते और लिखित में आश्वासन की मांग की।
उन्होंने कहा कि विभिन्न राज्यों में किसानों की तरफ से कौन बातचीत करेगा, यह समिति तय करेगी।
किसान नेता एवं एसकेएम सदस्य अशोक धावले ने कहा कि बैठक में शहीद किसानों के परिवारों को मुआवजा देने, किसानों के खिलाफ दर्ज झूठे मुकदमों और लखीमपुर खीरी कांड के मुद्दों पर चर्चा की गई।
विरोध करने वाले किसानों की मुख्य मांगों में से एक तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को निरस्त करने के लिए सोमवार को संसद में एक विधेयक पारित किया गया था।
हालांकि, गतिरोध जारी है क्योंकि प्रदर्शनकारी किसान अपनी अन्य मांगों जैसे एमएसपी की कानूनी गारंटी, आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजा और मामलों को वापस लेने पर जोर दे रहे हैं।
एसकेएम ने बयान जारी कर कहा, ‘‘एसकेएम की अगली बैठक सात दिसंबर को तय की गई है और अगले दो दिन भारत सरकार की तरफ से जवाब देने और इस आंदोलन के तार्किक समाधान के लिए पांच सदस्यीय समिति के साथ काम करने के लिए रखा गया है।’’
किसान नेता और एसकेएम के सदस्य शिव कुमार कक्का ने कहा कि पांच सदस्यीय समिति एसकेएम और केंद्र के बीच समन्वयकारी एजेंसी होगी।
उन्होंने कहा, ‘‘जो लोग सोच रहे थे कि हम आंदोलन समाप्त कर देंगे, वे समय पूर्व अनुमान लगा रहे थे।’’
कक्का ने कहा कि जब तक एमएसपी पर गारंटी सुनिश्चित नहीं की जाती है और किसानों के खिलाफ मामले वापस नहीं लिए जाते हैं ‘‘हम यहां से नहीं हटने वाले हैं।’’
एसकेएम की बैठक करीब तीन घंटे तक चली और इसमें किसान नेता टिकैत, बलबीर सिंह राजेवाल, योगेंद्र यादव, दर्शन पाल, अशोक धावले आदि ने हिस्सा लिया।
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