पेट्रोल, डीजल, विमान ईंधन पर लगा निर्यात शुल्क, कच्चा तेल उत्पादन पर अप्रत्याशित लाभ कर

Edited By Updated: 01 Jul, 2022 08:09 PM

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नयी दिल्ली, एक जुलाई (भाषा) सरकार ने घरेलू आपूर्ति को नजरअंदाज कर विदेशों में बिक्री करने की कुछ तेलशोधन कंपनियों की प्रवृत्ति पर लगाम लगाने के लिए शुक्रवार को पेट्रोल, डीजल-पेट्रोल और विमान ईंधन (एटीएफ) के निर्यात पर कर लगा दिया। इसके साथ ही...

नयी दिल्ली, एक जुलाई (भाषा) सरकार ने घरेलू आपूर्ति को नजरअंदाज कर विदेशों में बिक्री करने की कुछ तेलशोधन कंपनियों की प्रवृत्ति पर लगाम लगाने के लिए शुक्रवार को पेट्रोल, डीजल-पेट्रोल और विमान ईंधन (एटीएफ) के निर्यात पर कर लगा दिया। इसके साथ ही कच्चे तेल के घरेलू उत्पादन से होने वाले अप्रत्याशित लाभ पर कर लगाने की भी घोषणा की गई।

वित्त मंत्रालय की तरफ से जारी एक अधिसूचना के मुताबिक, सरकार ने पेट्रोल और एटीएफ के निर्यात पर छह रुपये प्रति लीटर तथा डीजल के निर्यात पर 13 रुपये प्रति लीटर की दर से कर लगाने का फैसला किया है। नई दरें एक जुलाई से प्रभावी हो गई हैं।

इसके अलावा घरेलू स्तर पर उत्पादित कच्चे तेल पर 23,250 रुपये प्रति टन की दर से कर लगाया गया है। पिछले साल घरेलू स्तर पर कुल 2.9 करोड़ टन कच्चे तेल का उत्पादन हुआ था। उस हिसाब से सरकार को 66,000 करोड़ रुपये का राजस्व मिलने की संभावना है।

वित्त मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि हाल के महीनों में कच्चे तेल की कीमतें तेजी से बढ़ने का लाभ उन कंपनियों को मिला है जो घरेलू रिफाइनरियों को अंतरराष्ट्रीय कीमतों पर तेल बेचती हैं। इससे कच्चे तेल के घरेलू उत्पादकों को अप्रत्याशित लाभ मिल रहा है। इसे देखते हुए कच्चे तेल पर 23,250 रुपये प्रति टन उपकर लगाया गया है।

हालांकि बीते वित्त वर्ष में 20 लाख बैरल से कम उत्पादन करने करने वाले छोटे उत्पादकों को इस नए उपकर से छूट मिलेगी।

सीतारमण ने इस फैसले पर कहा, "हमें लाभ को लेकर कोई एतराज नहीं है। लेकिन अगर घरेलू स्तर पर तेल उपलब्ध नहीं हो रहा है और उसे निर्यात कर असाधारण लाभ भी कमाया जा रहा है तो हमारे अपने नागरिकों का भी कुछ हिस्सा बनता है। इसी वजह से हमने यह द्विपक्षीय दृष्टिकोण अपनाया है।"
उन्होंने कहा, "यह आयात को हतोत्साहित करने के लिए नहीं है और निश्चित रूप से यह कदम मुनाफा कमाने के खिलाफ नहीं है। लेकिन असाधारण वक्त में इस तरह के कदमों की जरूरत पड़ती है।"
कच्चे तेल, पेट्रोल, डीजल और एटीएफ के निर्यात पर कर लगाने के फैसले के पीछे एक वजह यह रही है कि रिलायंस इंडस्ट्रीज और रोसनेफ्ट समर्थित नायरा एनर्जी जैसी रिफाइनरी रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद यूरोप एवं अमेरिका में ईंधन के निर्यात से बड़ा लाभ कमा रही थीं।

पेट्रोलियम निर्यात पर कर लगाकर सरकार घरेलू उपलब्धता बढ़ाना चाहती है। नया कर लगने के बाद पेट्रोलियम उत्पादकों को तेल उद्योग विकास उपकर और रॉयल्टी मिलाकर तेल कीमत का करीब 60 प्रतिशत कर के रूप में चुकाना होगा।
अप्रत्याशित लाभ पर कर तब लगता है जब कंपनियों को बेहद अनुकूल बाजार परिस्थितियों की वजह से अप्रत्याशित लाभ होता है। यह कर कंपनियों से सिर्फ एक बार ही वसूला जाता है।

इसके साथ ही सरकार ने यह भी कहा है कि पेट्रोल का निर्यात करने वाली तेल कंपनियों को चालू वित्त वर्ष में विदेशी बिक्री का 50 फीसदी तेल घरेलू बाजार में बेचना होगा। डीजल के लिए यह सीमा निर्यात का 30 फीसदी रखी गई है।

राजस्व सचिव तरुण बजाज ने कहा कि विशेष आर्थिक क्षेत्र में स्थित तेलशोधन कंपनियों पर भी निर्यात कर लागू होगा। हालांकि एसईजेड में स्थित कंपनियों पर निर्यात की बंदिश लागू नहीं होगी।

निर्यात कर लगाने का एक उद्देश्य पेट्रोल पंपों पर घरेलू आपूर्ति बेहतर करना भी है क्योंकि मध्य प्रदेश, राजस्थान और गुजरात जैसे राज्यों में ईंधन की कमी का संकट खड़ा है और निजी रिफाइनरी ईंधन की स्थानीय स्तर पर बिक्री करने के बजाए इसके निर्यात को प्राथमिकता दे रही हैं।

मंत्रालय ने किसी कंपनी का नाम लिए बगैर कहा, ‘‘कंपनियां इन उत्पादों का वैश्विक स्तर के दामों के बराबर मूल्य पर निर्यात करती हैं जो कि बहुत अधिक है। निर्यात से बहुत अधिक लाभ मिलने के कारण ऐसा देखने में आ रहा है कि कुछ कंपनियां घरेलू बाजार में पंपों पर आपूर्ति नहीं कर रही हैं।’’
उसने आगे कहा, ‘‘इन कदमों का डीजल और पेट्रोल की घरेलू खुदरा कीमतों पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा। घरेलू खुदरा कीमतें अपरिवर्तित रहेंगी। इसके साथ ही इन उपायों से पेट्रोलियम उत्पादों की घरेलू उपलब्धता भी सुनिश्चित होगी।’’



यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।

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