Edited By PTI News Agency,Updated: 23 Mar, 2023 04:06 PM

नयी दिल्ली, 23 मार्च (भाषा) संसद की एक समिति ने सार्वजनिक क्षेत्र की जनरल बीमा कंपनियों की वित्तीय स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए सरकार से बीमा क्षेत्र को खोलने के प्रभाव का मूल्यांकन करने के लिए एक व्यापक अध्ययन करने का आग्रह किया है।
नयी दिल्ली, 23 मार्च (भाषा) संसद की एक समिति ने सार्वजनिक क्षेत्र की जनरल बीमा कंपनियों की वित्तीय स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए सरकार से बीमा क्षेत्र को खोलने के प्रभाव का मूल्यांकन करने के लिए एक व्यापक अध्ययन करने का आग्रह किया है।
लोकसभा में बृहस्पतिवार को पेश भारतीय जनता पार्टी के सांसद जयंत सिन्हा की अध्यक्षता वाली वित्त संबंधी स्थायी समिति की रिपोर्ट में यह बात कही गई है।
रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘समिति सार्वजनिक क्षेत्र की जनरल बीमा कंपनियों की वित्तीय स्थिति के बारे में चिंतित है क्योंकि मोटर और स्वास्थ्य क्षेत्र सहित लाभकारी व्यवसाय को आगे बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करने, जोखिम प्रबंधन प्रथाओं में सुधार, उपयोग नहीं आने वाली वाणिज्यिक और आवासीय परिसंपत्तियों का मुद्रीकरण, आईटी प्रणालियों का आधुनिकीकरण एवं उन्नयन, पूंजी निवेश जैसे उपाय करने के बावजूद वांछित परिणाम आते नहीं दिख रहे हैं।’’
समिति ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र की तीन प्रमुख साधारण बीमा कंपनियों... नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड, यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड और ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड की शोधन क्षमता अभी अच्छी नहीं है।
रिपोर्ट के अनुसार, समिति इस बात से चिंतित है कि नई कर व्यवस्था के स्लैब और दरों में बदलाव के साथ देश में जीवन बीमा की पहुंच में गिरावट आ सकती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि आबादी का एक बड़ा हिस्सा जीवन बीमा उत्पादों में कर बचत साधनों के रूप में निवेश करता है जो अर्थव्यवस्था में ऋण योग्य / निवेश निधि का सबसे महत्वपूर्ण स्रोत है।
इसमें कहा गया है कि समिति बीमा क्षेत्र को खोलने के प्रभाव का मूल्यांकन करने के लिए एक व्यापक अध्ययन करने का भी आग्रह करती है ताकि यदि जरूरी हो तो बीमा क्षेत्र को शासित करने वाले अधिनियम में कोई बदलाव किया जा सके।
विनिवेश के बारे में संसदीय समिति ने नोट किया कि वित्त वर्ष 2021-22 के लिए 78 हजार करोड़ रूपये के लक्ष्य (संशोधित अनुमान) की तुलना में 13,534 करोड़ रूपये की वास्तविक प्राप्तियां रहीं और वित्त वर्ष 2022-23 के लिए 50 हजार करोड़ रूपये के लक्ष्य की तुलना में 10 फरवरी 2023 तक केवल 31,107 करोड़ रूपये की प्राप्तियां रहीं।
समिति को बताया गया कि लक्ष्य और प्राप्ति के बीच अंतर विनिवेश की प्रकृति में अंतर्निहित है।
इसमें कहा गया है कि समिति अस्थिर बाजार स्थितियों में अधिक प्राप्त किए जा सकने वाले लक्ष्यों पर ध्यान देती है और आशा करती है कि सरकार अपनी रणनीतियों में विवेकपूर्ण बनी रहेगी।
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