राहुल के समर्थन में उतरे कई प्रमुख विपक्षी नेता, अयोग्य ठहराए जाने को प्रतिशोध की राजनीति बताया

Edited By Updated: 25 Mar, 2023 10:16 AM

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नयी दिल्ली, 24 मार्च (भाषा) विपक्षी दलों ने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य ठहराए जाने के बाद शुक्रवार को आरोप लगाया कि लोकतंत्र की हत्या की जा रही है और सिर्फ विपक्षी नेताओं को निशाना बनाया जा रहा है।

नयी दिल्ली, 24 मार्च (भाषा) विपक्षी दलों ने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य ठहराए जाने के बाद शुक्रवार को आरोप लगाया कि लोकतंत्र की हत्या की जा रही है और सिर्फ विपक्षी नेताओं को निशाना बनाया जा रहा है।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की शीर्ष नेता ममता बनर्जी ने कहा कि विपक्षी नेता अब ‘भाजपा का मुख्य निशाना’ बन गए हैं।

उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘प्रधानमंत्री मोदी के ‘नए भारत’ में विपक्षी नेता भाजपा का मुख्य निशाना बन गए हैं। आपराधिक पृष्ठभूमि वाले भाजपा नेताओं को कैबिनेट में शामिल किया जाता है और विपक्ष के नेताओं को उनके भाषण के लिए अयोग्य ठहरा दिया जाता है। आज हम इसके गवाह बने हैं कि यह हमारे संवैधानिक लोकतंत्र के लिए न्यूनतम स्तर है।’’
आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने राहुल गांधी को अयोग्य ठहराये जाने को लेकर केंद्र पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि यह ‘‘चौंकाने वाला’’ है और देश बहुत मुश्किल दौर से गुजर रहा है।

उन्होंने दिल्ली विधानसभा में एक संबोधन में कांग्रेस सांसद की अयोग्यता का जिक्र किया और कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) डर गई है। बाद में पत्रकारों से उन्होंने कहा कि यह ‘‘काफी चिंताजनक स्थिति’’ है। उन्होंने कहा, ‘‘यह सिर्फ कांग्रेस या राहुल गांधी की लड़ाई नहीं है, यह पूरे विपक्ष की लड़ाई है।’’
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार ने कहा कि राहुल गांधी को अयोग्य ठहराया जाना संविधान की मूल भावना के खिलाफ है और निंदनीय कदम है।

उन्होंने अपनी पार्टी के सांसद मोहम्मद फैजल को अयोग्य ठहराए जाने का हवाला दिया। फैजल की सजा को केरल उच्च न्यायालय ने निलंबित कर दिया था।
शिवसेना (यूबीटी) के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी की संसद की सदस्यता समाप्त किए जाने को लोकतंत्र की ‘‘हत्या’’ करार दिया और कहा कि यह ‘‘तानाशाही’’ के अंत की शुरुआत है।

ठाकरे ने एक बयान में कहा कि ‘चोर को चोर’ कहना अपराध बन गया है, जबकि देश को ‘‘लूटने वाले’’ बाहर हैं।

शिवसेना (यूबीटी) की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने राहुल को अयोग्य ठहराए जाने को प्रतिशोध की राजनीति करार दिया।

माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा, ‘‘यह निंदनीय है कि भाजपा अब आपराधिक मानहानि के जरिये विपक्षी नेताओं को निशाना बना रही है और उन्हें अयोग्य ठहरवा रही है, जैसा अब राहुल गांधी के साथ हुआ है। विपक्ष के खिलाफ ईडी और सीबीआई का दुरुपयोग हो रहा है। इस तरह के अधिनायकवादी प्रहार का प्रतिरोध किया जाए और इसे पराजित किया जाए।’’
केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए इसे संघ परिवार की तरफ से देश के ‘‘लोकतंत्र पर हिंसक हमला’’ करार दिया।

विजयन ने एक बयान में कहा कि ‘जल्दबाजी’ में राहुल गांधी को अयोग्य ठहराया जाना लोकतंत्र पर संघ परिवार की तरफ से हमले का ‘नया अध्याय’ है।

उन्होंने कहा, ‘‘असहमति को ताकत के जरिये दबाना फासीवादी तरीका है।’’
झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के नेता और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि इस ‘अमृतकाल’ में विपक्षी नेता भाजपा के निशाने पर हैं और सत्ता के हर औजार का इस्तेमाल कर उनकी आवाज को दबाने का प्रयास हो रहा है।

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने कहा कि राहुल गांधी को अयोग्य ठहराया जाना प्रगतिशील लोकतांत्रिक ताकतों पर हमला है।

उन्होंने यह भी कि राहुल गांधी के खिलाफ यह कार्रवाई निरस्त होनी चाहिए।

स्टालिन ने कहा, ‘‘मैं भारत के एक नौजवान नेता को अयोग्य ठहराने की फासदीवादी कार्रवाई की निंदा करता हूं।’’
समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने दावा किया कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी को लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य ठहराना सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का महंगाई, बेरोजगारी, ‘उद्योपति मित्रों’ द्वारा भारत के पैसों को डुबाने जैसे मुद्दों से लोगों का ध्यान भटकाने का हथकंडा है।
भारत राष्ट्र समिति के प्रमुख और तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि राहुल गांधी को अयोग्य ठहराए जाने का कदम प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के अहंकार और तानाशाही रवैये का परिचायक है।

उन्होंने कहा, ‘‘आज लोकतंत्र के लिए काला दिन है।’’
शिरोमणि अकाली दल (शिअद) ने शुक्रवार को कहा कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी को लोकसभा की सदस्यता से ''मनमाने'' तरीके से अयोग्य ठहराना स्वस्थ लोकतंत्र के हित में नहीं है और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत के खिलाफ है। पार्टी ने यह बात एक बयान में कही।

राहुल गांधी को अयोग्य घोषित करने की 'जल्दबाजी' पर सवाल उठाते हुए शिअद के वरिष्ठ नेता और पार्टी प्रवक्ता दलजीत सिंह चीमा ने कहा, '‘अदालत के फैसले के 24 घंटे के भीतर किसी सदस्य को अयोग्य घोषित करना सही नहीं है, खासकर जब फैसले के खिलाफ अपील प्रक्रिया में हो।"
उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेता को अदालत के आदेश के खिलाफ अपील करने के लिए उचित समय दिया जाना चाहिए था। चीमा ने कहा कि कार्रवाई "ऐसा आभास देती है कि केंद्र सरकार पक्षपातपूर्ण और तानाशाहीपूर्ण तरीके से कार्य कर रही है।"
चीमा ने कहा कि संसदीय परंपराओं को हर कीमत पर बनाए रखा जाना चाहिए और यह आभास नहीं दिया जाना चाहिए कि विपक्ष को किसी भी तरह से दबाया जा रहा है।

बहुजन समाज पार्टी के सांसद दानिश अली ने कहा, ‘‘मैं राहुल गांधी को संसद सदस्य के रूप में अयोग्य घोषित करने के घटनाक्रम से स्तब्ध हूँ।और निस्संदेह यह भारत में संवैधानिक स्वतंत्रता के ताबूत में आख़िरी कील है।भगोड़े को भगौड़ा अथवा चोर को चोर कहना आज के ‘नये भारत’ में अपराध घोषित कर दिया गया है।’’


यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
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