Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 08 Jul, 2025 02:38 PM

HIV यानी ह्यूमन इम्यूनो डेफिशिएंसी वायरस से जुड़ी एक बड़ी वैज्ञानिक उपलब्धि सामने आई है। अमेरिकी वैज्ञानिकों ने एक नई जीन थेरेपी विकसित की है जो एड्स वायरस को शरीर में निष्क्रिय यानी "सोई हुई" अवस्था में पहुंचा सकती है।
नेशनल डेस्क: HIV यानी ह्यूमन इम्यूनो डेफिशिएंसी वायरस से जुड़ी एक बड़ी वैज्ञानिक उपलब्धि सामने आई है। अमेरिकी वैज्ञानिकों ने एक नई जीन थेरेपी विकसित की है जो एड्स वायरस को शरीर में निष्क्रिय यानी "सोई हुई" अवस्था में पहुंचा सकती है। इसका मतलब यह है कि अब मरीजों को हर दिन दवाएं लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी और वायरस शरीर में मौजूद होते हुए भी कोई नुकसान नहीं करेगा। दुनियाभर में एड्स एक गंभीर बीमारी बनी हुई है। यह HIV वायरस के कारण होता है जो धीरे-धीरे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को खत्म कर देता है। साल 2003 में ही लगभग 6,30,000 लोग इस वायरस के कारण अपनी जान गंवा चुके हैं। वर्तमान में मरीजों को जीवनभर एंटीरेट्रोवायरल दवाएं लेनी पड़ती हैं जो वायरस को बढ़ने से तो रोकती हैं लेकिन पूरी तरह खत्म नहीं कर पातीं।
जीन थेरेपी: वायरस को 'नींद' में डालने की क्रांतिकारी तकनीक
अमेरिका की जॉन्स हॉपकिन्स मेडिसिन यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने एक रिसर्च में पाया कि एक विशेष जीन थेरेपी की मदद से HIV को निष्क्रिय किया जा सकता है। इस थेरेपी में एंटीसेंस ट्रांसक्रिप्ट (Antisense Transcript - AST) नामक अणु का इस्तेमाल किया गया है जो वायरस की अनुवांशिक जानकारी को प्रभावित करता है। इससे HIV उस स्थिति में पहुंच जाता है जहां वह खुद को दोबारा सक्रिय नहीं कर सकता।
AST एक ऐसा अणु है जो HIV के जीन से बनता है। यह HIV के अंदर जाकर उसे इस तरह से रोकता है कि वह अपनी संख्या नहीं बढ़ा पाता। यह अणु वायरस को "गहरी नींद" में डाल देता है यानी वायरस शरीर में मौजूद तो रहता है लेकिन निष्क्रिय अवस्था में।
रिसर्च में क्या हुआ खास?
इस रिसर्च में कुल 15 HIV संक्रमित मरीजों की इम्युनिटी कोशिकाएं (प्रतिरक्षा कोशिकाएं) ली गईं। उनकी अनुमति के बाद इन कोशिकाओं में AST अणु डाला गया। परिणाम बहुत ही सकारात्मक रहे - वायरस पूरी तरह से निष्क्रिय हो गया। वैज्ञानिकों का कहना है कि यह तरीका न केवल वायरस को रोक सकता है बल्कि लंबे समय तक मरीज को दवा से भी छुटकारा दिला सकता है।
दवाओं से छुटकारा और दुष्प्रभावों से राहत
HIV के मरीजों को रोजाना कई दवाएं लेनी पड़ती हैं, जिनके कई दुष्प्रभाव भी होते हैं जैसे पेट दर्द, थकावट, त्वचा संबंधी समस्याएं आदि। लेकिन इस नई थेरेपी के आने से भविष्य में इन दवाओं की जरूरत खत्म हो सकती है। यह मरीजों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि है।
फिलहाल यह शोध लैब स्तर पर है और इंसानों पर सीमित परीक्षण किए गए हैं। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि आने वाले वर्षों में इसका व्यापक क्लिनिकल ट्रायल शुरू किया जाएगा ताकि यह तकनीक सभी HIV मरीजों तक पहुंच सके।
क्या यह थेरेपी HIV को पूरी तरह खत्म कर सकती है?
इस थेरेपी का उद्देश्य वायरस को पूरी तरह खत्म करना नहीं बल्कि उसे शरीर में निष्क्रिय बनाना है। यह एक स्थायी समाधान की दिशा में पहला ठोस कदम है। भविष्य में इसी तरह की अन्य थेरेपी और रिसर्च के माध्यम से HIV को पूरी तरह खत्म करने की दिशा में काम किया जा सकता है।