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आज के दौर में बदलते भू-राजनीतिक रिश्ते

Edited By ,Updated: 02 Jun, 2025 05:56 AM

changing geopolitical relations in today s era

31 मई को यह खबर आई कि पाकिस्तान और रूस ने 2.8 बिलियन डॉलर की एक डील पर हस्ताक्षर किए जिसके तहत रूस कराची में स्टील प्लांट बनाएगा परंतु मास्को ने इस खबर का खंडन किया। ऐसा नहीं कि पाकिस्तान और रूस में कोई कूटनीतिक संबंध न हो।

31 मई को यह खबर आई कि पाकिस्तान और रूस ने 2.8 बिलियन डॉलर की एक डील पर हस्ताक्षर किए जिसके तहत रूस कराची में स्टील प्लांट बनाएगा परंतु मास्को ने इस खबर का खंडन किया। ऐसा नहीं कि पाकिस्तान और रूस में कोई कूटनीतिक संबंध न हो। यह एक बदलता हुआ परिदृश्य है। स्टॉकहोम इंटरनैशनल पीस रिसर्च इंस्टीच्यूट से हथियारों के हस्तांतरण के आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि पिछले दशक में भारत और पाकिस्तान दोनों के लिए हथियारों के स्रोत में महत्वपूर्ण बदलाव आया है। भारत ने धीरे-धीरे रूस पर अपनी निर्भरता कम कर दी है और फ्रांस, अमरीका तथा ब्रिटेन जैसे पश्चिमी देशों की ओर रुख कर रहा है। इसराईल से हथियारों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा आयात किया जाता है।

1960 के दशक से ही भारत ने लगातार अपने हथियारों का 33 प्रतिशत से ज्यादा हिस्सा रूस (पूर्व में सोवियत संघ) से खरीदना शुरू कर दिया था। 1990 के दशक में यह निर्भरता चरम पर थी, जब भारत के आयात में रूस का हिस्सा 96.5 प्रतिशत  था। तब से, रूस का हिस्सा लगातार गिरता गया, जो 2020 के दशक में 75 प्रतिशत  तक गिर गया। इस गिरावट की भरपाई दूसरे देशों से आयात में वृद्धि से हुई। 2020 के दशक में फ्रांस का हिस्सा 9 प्रतिशत  से ज्यादा, यू.के. का 5.5 प्रतिशत, इसराईल का लगभग 5 प्रतिशत था और भारत के हथियार आयात में अमरीका का योगदान करीब 3 प्रतिशत  है। इसके विपरीत, पाकिस्तान ने कई दशकों से अपने ज्यादातर हथियार चीन और अमरीका दोनों से ही खरीदे हैं। हालांकि, 2020 के दशक में चीन पाकिस्तान का सबसे बड़ा हथियारों का आपूर्तिकत्र्ता (95 प्रतिशत) बनकर उभरा है। शीत युद्ध के दौरान पाकिस्तान के पश्चिम समर्थक रुख के बाद हाल के वर्षों में रूस-पाकिस्तान संबंध और अधिक गहरे हो गए हैं। 2023 में द्विपक्षीय व्यापार 1 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया, जो दोनों देशों के बीच अब तक का उच्चतम स्तर है, और रूसी उप प्रधानमंत्री एलेक्सी ओवरचुक ने 2024 में कहा कि रूस ब्रिक्स आर्थिक ब्लॉक में पाकिस्तान को शामिल करने का समर्थन करेगा।

जहां तक प्रतिरक्षा का सवाल है तो रूस और भारत भी आपस में गहराई से जुड़े हुए हैं। लंदन आधारित ङ्क्षथक टैंक ‘चैथम हाऊस’ ने लिखा है कि भारत के सैन्य उपकरणों में 50 प्रतिशत से अधिक हिस्सा रूस का है तथा भारत विश्व भर में रूसी हथियारों का सबसे बड़ा आयातक है। फिर भी, जब बात यूक्रेन पर रूस के युद्ध की आती है तो भारत ने कूटनीतिक रूप से संयम बरतने का प्रयास किया था तथा न तो आक्रमण की निंदा की है और न ही समर्थन व्यक्त किया है। इसने मास्को की कार्रवाइयों की निंदा करने वाले संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों पर भी कई बार अपना पक्ष नहीं रखा है। बॉन विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान में पीएच.डी. मुहम्मद मुराद ने ‘द डिप्लोमैट’ में लिखा है, ‘‘पाकिस्तान-रूस संबंध  2011 से ऊपर की ओर बढ़ रहे हैं, हालांकि धीमी गति से।’’  2017 में, इस्लामाबाद अपने क्षेत्रीय सहयोग को गहरा करने के प्रयास में मास्को और बीजिंग के नेतृत्व वाले शंघाई सहयोग संगठन में शामिल हो गया। 4 साल बाद रूस और पाकिस्तान ने कराची से लाहौर तक गैस पाइपलाइन बनाने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए।

दूसरी ओर पाकिस्तान ने कथित तौर पर अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आई.एम.एफ.) से ऋण प्राप्त करने के लिए आवश्यक वित्तीय घाटे को पूरा करने हेतु यूक्रेन और इसराईल को 364 मिलियन डॉलर के अमरीकी और चीन निर्मित हथियार बेचे। यद्यपि पाकिस्तान ने यूक्रेन में रूस के आचरण की निंदा करने वाले संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों पर मतदान से 3 बार खुद को दूर रखा है, तथापि उसने यूक्रेन की सम्प्रभुता का सम्मान करने का आह्वान किया है। 2020 के दशक में पाकिस्तान के आयात का लगभग 95 प्रतिशत हिस्सा चीन से आया। इस बीच, अमरीका का हिस्सा 2000 के दशक के लगभग 67 प्रतिशत से घटकर 2010 के दशक में 38 प्रतिशत और 2020 के दशक में सिर्फ 0.85 प्रतिशत रह गया। अब जैसे कि वायुसेना प्रमुख अमरप्रीत सिंह ने कहा है, ‘‘टाइमलाइन एक बड़ा मुद्दा है। मेरे विचार में एक भी हथियार निर्माण की परियोजना ऐसी नहीं है जो समय पर पूरी हुई हो। कई बार हम कॉन्ट्रैक्ट साइन करते समय जानते हैं कि यह सिस्टम समय पर नहीं आएगा। फिर भी हम कॉन्ट्रैक्ट साइन कर लेते हैं।’’

सिंगापुर में भारतीय सी.डी.एस. जनरल अनिल चौहान ने शंगरी-ला डायलॉग में भाग लेते हुए ब्लूमबर्ग टी.वी. साक्षात्कार में कहा कि भारत का विमान पाकिस्तान ने गिराया और हमने पुन: योजना बनाकर पाक को भारी नुकसान पहुंचाया, तो भारत को अब इन सब बातों को देखते हुए पाकिस्तान पर नजर रखते हुए जल्द से जल्द अपनी सैन्य योजनाओं का पुन: आकलन करना होगा।  

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