‘हिंद समाचार’ हुआ 74 वर्ष का अनेक चुनौतियों को पार कर

Edited By ,Updated: 05 May, 2022 04:00 AM

hind samachar  turns 74 after overcoming many challenges

उर्दू दैनिकों में ‘हिंद समाचार’ का विशेष स्थान है। उर्दू पत्रकारिता के 200 वर्ष पूरे होने पर ‘उर्दू पत्रकारिता द्विशताब्दी समारोह समिति’ द्वारा 30 मार्च को दिल्ली में आयोजित समारोह में ‘हिंद समाचार’ के

उर्दू दैनिकों में ‘हिंद समाचार’ का विशेष स्थान है। उर्दू पत्रकारिता के 200 वर्ष पूरे होने पर ‘उर्दू पत्रकारिता द्विशताब्दी समारोह समिति’ द्वारा 30 मार्च को दिल्ली में आयोजित समारोह में ‘हिंद समाचार’ के संपादक को समारोह की अध्यक्षता के लिए आमंत्रित तथा उर्दू पत्रकारिता में योगदान के लिए सम्मानित किया गया। 

‘हिंद समाचार’ के अस्तित्व में आने की कहानी भी देश की आजादी जितनी ही पुरानी है। देश विभाजन के बाद लाहौर को अलविदा कह कर हम 14 अगस्त, 1947 को जालंधर आ कर पक्का बाग स्थित एक मकान में रहने लगे जिसके सामने हमारा कार्यालय है। लाहौर में छपने वाले हिन्दुओं के उर्दू दैनिकों में महाशय खुशहाल चंद्र और उनके पुत्रों श्री यश, श्री रणबीर तथा श्री युद्धवीर का अखबार ‘मिलाप’, महाशय कृष्ण तथा उनके पुत्रों श्री वीरेंद्र और श्री नरेंद्र का ‘प्रताप’ तथा गोस्वामी गणेश दत्त जी द्वारा स्थापित ‘वीर भारत’ मुख्य थे। दूसरी ओर मुस्लिम लीग के 3 उर्दू दैनिक ‘जमींदार’, ‘इंकलाब’ तथा ‘शहबाज’ प्रकाशित होते थे। ये सभी समाचार पत्र एक-दूसरे पर खूब टिप्पणियां करते रहते थे। 

4 मई, 1948 को 1800 प्रतियों के साथ जब पूज्य पिता जी ने उर्दू दैनिक ‘हिंद समाचार’ का प्रकाशन जालंधर (पंजाब) से शुरू किया उस समय यहां से कोई उर्दू दैनिक प्रकाशित नहीं होता था। कुछ ही समय बाद यश जी ने भी जालंधर से ‘मिलाप’ उर्दू और वीरेंद्र जी ने भी ‘प्रताप’ उर्दू शुरू कर दिया। लाला जी लाहौर कांग्रेस के प्रधान थे तथा पंजाब आने पर वह पंजाब कांग्रेस के महासचिव बनाए गए। उन्हें 1952 में भीमसेन सच्चर मंत्रिमंडल में शामिल करके शिक्षा, परिवहन और स्वास्थ्य मंत्री बनाया गया। 

भीम सेन सच्चर के त्यागपत्र के बाद प्रताप सिंह कैरों के मुख्यमंत्री काल के दौरान लाला जी ने अपने तीनों ही विभागों में अभूतपूर्व सुधार करते हुए जहां 8वीं कक्षा तक पाठ्य पुस्तकों एवं परिवहन का राष्ट्रीयकरण किया, वहीं आयुर्वैदिक डिस्पैंसरियां खुलवाने की प्रक्रिया शुरू की तो सरदार प्रताप सिंह कैरों द्वारा परिवहन के राष्ट्रीयकरण का विरोध करने पर उनकी कैरों से बिगड़ गई। इसके बाद जब प्रताप सिंह कैरों पर भारी आरोप लगे तो लाला जी ने मंत्रिमंडल और कांग्रेस से त्यागपत्र देकर ‘हिंद समाचार’ में उनके स्कैंडल छापने शुरू कर दिए। लाला जी ने कैरों के विरुद्ध चौ. देवी लाल, प्रबोध चंद्र, मास्टर तारा सिंह, अब्दुल गनी डार आदि नेताओं के साथ तत्कालीन राष्ट्रपति डा. राधाकृष्णन से भेंट की जिसके बाद श्री कैरों के विरुद्ध दास आयोग की जांच में दोषी पाए जाने पर पंडित नेहरू ने कैरों से त्यागपत्र ले लिया। 

‘हिंद समाचार’ लगातार तरक्की कर रहा था परंतु इसे अनेक संकटों का सामना भी करना पड़ा। जब पंजाब से अलग होकर हरियाणा राज्य बना तो वहां की बंसी लाल सरकार ने ‘हिंद समाचार’ के विज्ञापन बंद कर दिए। जब 1974 में ज्ञानी जैल सिंह मुख्यमंत्री बने, उन्होंने पंजाब में शराब की बिक्री में खुली ढील दे दी तो लाला जी के विरोध के कारण ज्ञानी जैल सिंह ने पहले तो ‘हिंद समाचार’ के विज्ञापन बंद किए फिर सरकारी कार्यालयों में ‘हिंद समाचार’ का प्रवेश बंद किया तथा इसके बाद हमारी बिजली भी कटवा दी गई। 

इसके परिणामस्वरूप हमें ट्रैक्टर की सहायता से अखबार छापने पड़े। हालांकि बाद में सुप्रीमकोर्ट के आदेश पर हमारी बिजली बहाल कर दी गई जिससे हमारे समाचारपत्र और भी लोकप्रिय हो गए। इसी प्रकार शेख अब्दुल्ला की जम्मू-कश्मीर सरकार का भ्रष्टाचार उजागर करने पर उसने भी ‘हिंद समाचार’ पर बैन लगाया परंतु सुप्रीमकोर्ट के आदेश से सरकार को कुछ दिनों में ही बैन हटाना पड़ा। 

‘हिंद समाचार’ ने अपनी संघर्ष यात्रा के दौरान आतंकवाद के विरुद्ध भी लड़ाई लड़ी और अपने दो मुख्य संपादकों पूज्य पिता लाला जगत नारायण जी और मेरे बड़े भाई श्री रमेश चंद्र जी, 2 समाचार संपादकों और उपसंपादकों के अलावा 58 अन्य रिपोर्टरों, फोटोग्राफरों, ड्राइवरों, एजैंटों और हाकरों को खोया। ‘हिंद समाचार’, जो 1800 प्रतियों से शुरू हुआ था तेजी से बढ़ते-बढ़ते इसकी प्रसार संख्या 101,475 प्रतियों तक पहुंच गई तथा यह भारत का सर्वाधिक प्रसार संख्या वाला उर्दू दैनिक बन गया परंतु आज जब हम अपने हिंद समाचार की 74वीं वर्षगांठ मना रहे हैं अब विभाजन से पहले की भांति अदालती और सरकारी भाषा न रहने के कारण उर्दू भाषा लगभग समाप्त होती जा रही है और ‘हिंद समाचार’ की प्रसार संख्या भी कम हो गई है। 

अब तो स्थिति यह है कि उर्दू जानने वाले प्रत्येक बुजुर्ग के साथ ‘हिंद समाचार’ अपना एक पाठक खो रहा है तथा इसके अलावा पंजाब से अब कोई भी अन्य उर्दू दैनिक प्रकाशित नहीं हो रहा। हालांकि शार्ट हैंड जैसी लिपि पर आधारित उर्दू भाषा का अपना ही आकर्षण है तथा उर्दू शायरी के प्रति लोगों का मोह अभी भी शिखर पर है। बहरहाल 74 वर्षों तक ‘हिंद समाचार’ को अपना प्यार देने के लिए पाठकों का आभार व्यक्त करते हुए इस लम्बे सफर में हमारे हमसफर बनने वाले अपने स्टाफ का भी हम आभार व्यक्त करते हैं जिनमें से मेरे जैसे कुछ सदस्य आज अपने जीवन की संध्या में भी अपने इस प्रिय समाचार पत्र की सेवा कर रहे हैं।—विजय कुमार 

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