अभिनेत्री से मुख्यमंत्री बनी जयललिता नहीं रहीं

Edited By ,Updated: 07 Dec, 2016 01:32 AM

the actor was not the chief minister jayalalithaa

5 दिसम्बर शाम को कुछ चैनलों द्वारा 22 सितम्बर से चेन्नई के अपोलो अस्पताल में 73...

5 दिसम्बर शाम को कुछ चैनलों द्वारा 22 सितम्बर से चेन्नई के अपोलो अस्पताल में 73 दिनों से उपचाराधीन तमिलनाडु की प्रथम महिला मुख्यमंत्री जयललिता की मृत्यु का समाचार प्रसाारित करने से भ्रम की स्थिति बन गई। 

चारों ओर अफरा-तफरी मच गई व अन्नाद्रमुक मुख्यालय पर पार्टी का झंडा भी झुका दिया गया परंतु कुछ ही देर बाद अस्पताल द्वारा इसका खंडन करके उनकी हालत बेहद नाजुक बताने पर झंडा पुन: लहरा दिया गया।

दक्षिण भारत की तमिल, तेलगू और कन्नड़ तथा हिन्दी फिल्मों की लोकप्रिय अभिनेत्री रह चुकी जयललिता की सेहत में 13 नवम्बर को सुधार के बाद उन्हें अस्पताल से शीघ्र ही छुट्टी देने की खबरें भी आई थीं। 

तब 16 नवम्बर को अपना पहला बयान जारी करते हुए उन्होंने कहा था कि‘‘आप लोगों की प्रार्थना से मेरा दोबारा जन्म हुआ है। मुझे क्या चीज तकलीफ दे सकती है जब आप लोगों का प्यार मेरे साथ है और मैं पूरी तरह ठीक होकर वापस अपने काम पर आने का इंतजार कर रही हूं।’’  

परंतु  4-5 दिसम्बर रात को उन्हें दिल का दौरा पडऩे के बाद उनकी दशा बिगड़ती चली गई और अंतत: रात साढ़े ग्यारह बजे हुई उनकी मृत्यु की रात सवा 12 बजे घोषणा के बाद समूचा तमिलनाडु शोक में डूब गया।

5 दिसम्बर को उनकी हालत बिगडऩे पर अनिष्ट की आशंका से तमिलनाडु के लिए पड़ोसी राज्यों से बस सेवाएं रोक दी गईं, कुछ स्थानों पर बसों पर पथराव भी हुआ, केरल-तमिलनाडु के सीमांत क्षेत्रों में धारा 144 लगा दी गई और समूचे तमिलनाडु में पुलिस को हाई अलर्ट पर रख दिया गया।

जयललिता ने फिल्मों में अपने साथी अभिनेता और राजनीतिक गुरु एम.जी. रामचंद्रन के साथ अपना राजनीतिक करियर  शुरू किया। उनके साथ 28 फिल्मों में अभिनय करने वाली जयललिता उन्हें अपना ‘सब कुछ’ मानती थीं। धीरे-धीरे वह एम.जी.आर. की प्रेमिका भी बन गर्ईं और उनकी मृत्यु के बाद पार्टी के उत्तराधिकार के संघर्ष में एम.जी.आर. की पत्नी जानकी को पछाड़ कर अन्नाद्रमुक की सुप्रीमो बन गईं।

अपने प्रशंसकों में ‘अम्मा’ पुकारी जाने वाली जयललिता 1991 में पहली बार राज्य की मुख्यमंत्री बनीं। वह केन्द्र में कभी विपक्ष और कभी कांग्रेस सरकारों को इस आशा से समर्थन देती या वापस लेती रहीं ताकि उनके विरुद्ध चल रहे भ्रष्टाचार के केस वापस हो जाएं। 

आय से अधिक सम्पत्ति के एक केस में बेंगलूर की अदालत ने जयललिता को उन पर लगाए सभी मामलों में दोषी करार देते हुए 27 सितम्बर, 2014 को 4 साल कैद व 100 करोड़ रुपए जुर्माने की सजा सुनाई।

इसके बाद जयललिता ने मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र दे दिया परंतु 11 मई, 2015 को कर्नाटक हाईकोर्ट द्वारा बरी किए जाने के बाद उन्होंने 23 मई 2016 को पुन: छठी बार राज्य की मुख्यमंत्री का पद संभाला। 

2014 में उनके जेल में बंद होने के सदमे से उनके 193 समर्थकों की जान चली गई थी और अब बीमारी की खबर आते ही अनेक लोगों ने आत्महत्या कर ली व अब 4 लोगों की सदमे से मृत्यु हो गई।  

एम.जी.आर. की भांति ही जयललिता भी पीड़ितों, वंचितों और गरीबों के जीवन के कष्ट दूर करने, अनाथों के पालन-पोषण तथा महिलाओं को समाज में अधिकार दिलाने में सक्रिय रहीं जिस कारण बड़ी संख्या में लोग उन्हें अपने भगवान की तरह मानते थे। 

जयललिता ने महिला सशक्तिकरण को लेकर कई शानदार काम करने के अलावा अम्मा टीवी., अम्मा नमक, अम्मा मिनरल वाटर, अस्पताल, दवाओं के स्टोर, जरूरतमंदों के लिए सस्ती अम्मा कैंटीन जैसी परियोजनाओं द्वारा समाज के लगभग सभी वर्गों के लोगों का दिल जीत कर परोपकार के एक शानदार ‘ब्रांड’ के रूप में अपना बेहतरीनप्रदर्शन किया। 

जयललिता अपना कोई उत्तराधिकारी छोड़ कर नहीं गईं। उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा था कि ‘‘मैं उत्तराधिकारी की घोषणा करने में विश्वास नहीं रखती। मेरा उत्तराधिकारी भविष्य तय करेगा।’’ 
 
जयललिता की मृत्यु की घोषणा के बाद आनन-फानन में नेता चुने गए जयललिता के सर्वाधिक वफादार व जया की गैर हाजिरी में उनका चित्र रखकर पार्टी व सरकार का कामकाज चलाने वाले पन्नीरसेलवम को राज्यपाल ने मुख्यमंत्री की शपथ दिलवा दी है परंतु जया की मृत्यु के बाद तमिलनाडु की राजनीति क्या करवट लेगी, इसका उत्तर भविष्य के गर्भ में है।           
 

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