एच-1बी वीजा: भारत के लिए चुनौतियां और अवसर

Edited By Updated: 26 Sep, 2025 05:11 AM

h 1b visa challenges and opportunities for india

भारत के साथ व्यवहार करते समय, अप्रत्याशित और अलग-थलग रहने वाले ट्रम्प कभी नरम तो कभी गर्म रहे हैं। रूस से तेल खरीदने पर 25 प्रतिशत का अनुचित अतिरिक्त शुल्क लगाने के बाद, जिसमें रूस से ज्यादा तेल खरीदने वाले चीन को छोड़ दिया गया, यह दावा करने से लेकर...

भारत के साथ व्यवहार करते समय, अप्रत्याशित और अलग-थलग रहने वाले ट्रम्प कभी नरम तो कभी गर्म रहे हैं। रूस से तेल खरीदने पर 25 प्रतिशत का अनुचित अतिरिक्त शुल्क लगाने के बाद, जिसमें रूस से ज्यादा तेल खरीदने वाले चीन को छोड़ दिया गया, यह दावा करनेसे लेकर कि अमरीका का भारत के साथ विशेष संबंध  है और एच-1बी वीजा देने के लिए 1,00,000 अमरीकी डॉलर या लगभग 90 लाख रुपए का भारी शुल्क लगाने तक, ट्रम्प सभी को चिंतित कर रहे हैं। एच-1बी वीजा पर उनके नवीनतम निर्णय ने उस योजना को लगभग समाप्त कर दिया है जो उच्च कुशल श्रमिकों, मुख्यत: आई.टी. पेशेवरों को अमरीका में काम करने का अवसर प्रदान करती थी। एक अनुमान के अनुसार, ऐसे अधिकांश पेशे, लगभग 70 प्रतिशत, भारत से थे।शुल्क में इस बढ़ौतरी को कम्पनियां या एच-1बी वीजा के लिए आवेदन करने वाले व्यक्ति शायद ही वहन कर पाएं।

ट्रम्प प्रशासन का तर्क था कि बड़ी कम्पनियां भारतीयों और अन्य लोगों को बाजार दरों से कम पर रोजगार दे रही हैं  जबकि अमरीकियों को रोजगार के अवसर नहीं मिल रहे हैं। यह फैसला और हाल के दिनों में लिए गए कुछ अन्य नीतिगत फैसले देश के लिए खुद को जख्म देने वाले साबित हो सकते हैं, जिसका निर्माण अप्रवासियों ने किया है।भारत के लिए, ऐसे फैसलों के नतीजे चुनौतियों के साथ-साथ अवसर भी पेश करते हैं  जो भारत के लिए एक बड़ा बदलाव साबित हो सकते हैं। दशकों से, कुछ सबसे प्रतिभाशाली पेशेवर अमरीका में उपलब्ध बेहतर अवसरों और उनकी तलाश में अमरीका का रुख करते रहे हैं। ये पेशेवर, जिनमें से अधिकांश करदाताओं के पैसे से सरकारी संस्थानों में पढ़ाई करके, मेजबान देश की अर्थव्यवस्था में योगदान दे रहे थे। भारत को इनसे जो एकमात्र लाभ हुआ, वह उनके द्वारा विदेश से भेजी गई धनराशि थी।  निरंतर अनिश्चितता और एच-1बी वीजा योजना के लगभग समाप्त हो जाने से इस प्रतिभा पलायन पर कुछ हद तक लगाम लग सकती है  हालांकि विदेश में बसने के इच्छुक लोगों के लिए अन्य रास्ते खुले हैं। इसके अलावा  ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी और ऑस्ट्रेलिया जैसे 7 अन्य देशों में भी अप्रवासियों के खिलाफ  असंतोष बढ़ रहा है।

हालांकि, पिछले कुछ दशकों में भारत में बहुत कुछ बदल गया है। पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव के नेतृत्व में आॢथक उदारीकरण, उसके बाद व्यापार में आसानी और अब आयकर सुधार तथा वस्तु एवं सेवा कर (जी.एस.टी.) में सुधार स्वागत योग्य कदम हैं।
भारत अब अच्छे जीवन स्तर और पश्चिमी देशों के समान सुविधाएं भी प्रदान करता है। इसके बुनियादी ढांचे में, खासकर शहरी इलाकों में, व्यापक सुधार हुआ है और कनैक्टिविटी में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। बैंकिंग और वित्तीय लेन-देन जैसे एकीकृत भुगतान प्रणाली जैसे कुछ क्षेत्रों में, हम अब विकसित देशों से भी बेहतर स्थिति में हैं। अब यह सरकार पर निर्भर करता है कि वह प्रतिभाओं को कैसे बनाए रखती है और आकर्षित करती है। अमरीका में बढ़ती अनिश्चितता और यूरोपीय देशों में अप्रवासियों के विरोध से उत्पन्न अवसर, सरकार को अत्यधिक कुशल और प्रतिभाशाली पेशेवरों को अपने देश में फलने-फूलने के लिए अनुकूल वातावरण प्रदान करने के लिए प्रेरित करेंगे।

सरकार को स्टार्टअप्स के लिए अत्याधुनिक सुविधाओं वाले विशेष क्षेत्र स्थापित करने, आसान ऋण और वित्त, नौकरशाही बाधाओं को दूर करके भ्रष्टाचार मुक्त प्रणाली और ऐसे उपक्रमों को सभी आवश्यक सहायता प्रदान करने जैसे प्रोत्साहन देने चाहिए। प्रगति की निगरानी और आवश्यक अनुमोदनों को शीघ्रता से पूरा करने या अनुपालन संबंधी मुद्दों से निपटने के लिए समॢपत अधिकारियों की नियुक्ति की जानी चाहिए। सरकार को अनुसंधान और विकास पर जोर देते हुए एक अधिक सामंजस्यपूर्ण आॢथक और व्यावसायिक वातावरण सुनिश्चित करना चाहिए। इसे सर्वोच्च प्राथमिकता दी जानी चाहिए क्योंकि हम चीन और अन्य देशों से बहुत पीछे हैं। उदाहरण के लिए, चीन ने वैश्विक आर्टीफिशियल इंटैलिजैंस (ए.आई.) पेटेंट का लगभग 70 प्रतिशत हासिल कर लिया है। हमें इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए अभी बहुत कुछ करना होगा लेकिन ए.आई.के शानदार उदय को देखते हुए, हमें उभरती तकनीकों पर ध्यान केंद्रित करना होगा।

पिछले कुछ वर्षों में, रिवर्स ब्रेन ड्रेन की खबरें आई हैं, जब अप्रवासियों को यह एहसास हुआ है कि भारत के कुछ हिस्सों में अब समान या बेहतर जीवन स्तर उपलब्ध हैं और वह भी विदेशों में रहने की लागत के एक अंश पर। कुछ सकारात्मक संकेत पहले से ही दिखाई दे रहे हैं। देश की वैंचर कैपिटल फंङ्क्षडग में पिछले साल 40 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है और देश की अर्थव्यवस्था स्थिर गति से बढ़ रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा स्वदेशी या ‘वोकल फॉर लोकल’ पर जोर दिए जाने के साथ, ट्रम्प के कार्यों से उत्पन्न अनिश्चितता और दुनिया के अन्य हिस्सों से आने वाले अप्रवासियों के खिलाफ माहौल से उत्पन्न चुनौती हमें इस अवसर का अधिकतम लाभ उठाने के लिए प्रेरित करेगी।-विपिन पब्बी
 

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