युवाओं को अगर नशा करना ही है तो...

Edited By Updated: 18 Jan, 2023 04:40 AM

if the youth have to take drugs then

नशा एक ऐसी प्रवृत्ति है व इसके पीछे एक ऐसी धारणा है, जिसका नाम सुनते ही बर्बादी व पतन का बोध होने लगता है और नशे की बात चलने पर सबसे पहला ध्यान समाज के युवा वर्ग की ओर खिंचा चला जाता है।

नशा एक ऐसी प्रवृत्ति है व इसके पीछे एक ऐसी धारणा है, जिसका नाम सुनते ही बर्बादी व पतन का बोध होने लगता है और नशे की बात चलने पर सबसे पहला ध्यान समाज के युवा वर्ग की ओर खिंचा चला जाता है। भारत को एक युवा देश कहा जाता है और युवाओं के दम पर देश को विश्व गुरु बनाने की हुंकार भरी जाती है लेकिन वे युवा राष्ट्र निर्माण की बजाय नशे के साम्राज्य का निर्माण कर रहे हैं। किसी भी देश की तरक्की व विकास उस देश के लोगों और खासकर युवा शक्ति पर निर्भर करता है लेकिन देश का युवा ही नशे की ओर चल पड़ा हो तो स्थिति दिमाग में स्वयं निर्मित हो जाती है कि देश का भविष्य किस प्रकार का होने वाला है।

युवाओं में नशे की प्रवृत्ति कुछ वर्षों से निरंतर बढ़ रही है। कुछ में तो नशे की जरूरत इस कदर हावी होने लग जाती है कि वे कुछ भी करने को तैयार हो जाते हैं। भारत में आधिकारिक तौर पर 10 से 17 वर्ष के बीच के 15.8 मिलियन बच्चे नशे के आदी हैं।  विशेषज्ञ चेतावनी देते हैं कि वास्तविक संख्या इससे कहीं अधिक है। भारत में मादक द्रव्यों के सेवन की सीमा और पैटर्न के पहले व्यापक राष्ट्रीय सर्वेक्षण में नैशनल ड्रग डिपैंडैंस ट्रीटमैंट सैंटर ने मादक द्रव्यों के सेवन से प्रभावित और तत्काल मदद की आवश्यकता वाले युवाओं की एक बड़ी आबादी पाई। शायद सबसे गंभीर चिंता 14-15 वर्ष की आयु के युवाओं की भागीदारी है।

रिपोर्ट कहती है कि मादक द्रव्यों के सेवन से विकारों के इलाज के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम की क्षमता अपर्याप्त है। शराब सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला साइकोएक्टिव पदार्थ है, इसके बाद भांग और ओपिओइड हैं। दस अन्य चिकित्सा संस्थानों और 15 एन.जी.ओ. के नैटवर्क के सहयोग से देश के सभी 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में राष्ट्रीय सर्वेक्षण किया गया था। शराब का सेवन करने वाली प्रत्येक महिला के मुकाबले 17 पुरुष शराब का सेवन करते हैं। शराब का सेवन करने वालों में देशी शराब (करीब 30 फीसदी) और स्पिरिट या भारत में बनी विदेशी शराब (करीब 30 फीसदी) प्रमुख रूप से पीये जाने वाले पेय हैं।

अब भारत का स्वर्ग कहा जाने वाला कश्मीर और कश्मीर घाटी भी धीरे-धीरे भारत का ड्रग हब बनती जा रही है। गवर्नमैंट मैडिकल कॉलेज के मनोरोग विभाग द्वारा किए गए एक हालिया अध्ययन से पता चला है कि कश्मीर ने नशीली दवाओं के दुरुपयोग के मामलों में पंजाब को पीछे छोड़ दिया है और वर्तमान में देश में शीर्ष ड्रग एब्यूजर राज्यों में नंबर दो की स्थिति में है। घाटी में मादक पदार्थों का सेवन करने वालों द्वारा प्रतिदिन 33,000 से अधिक सीरिंजों का इस्तेमाल हैरोइन का इंजैक्शन लगाने के लिए किया जाता है।

हैरोइन इन दुराचारियों द्वारा उपयोग की जाने वाली सबसे आम दवाओं में से एक है। अध्ययन से पता चलता है कि 90 प्रतिशत ड्रग एब्यूजर्स हैरोइन का इस्तेमाल कर रहे हैं, जबकि बाकी कोकीन, ब्राऊन शूगर और मारिजुआना का। अगर हमारा भविष्य ही अगर इन कामों में लग जाएगा तो देश की तरक्की और अपने स्वास्थ्य से बिल्कुल भटक जाएगा। ऐसा नहीं है कि देश के सभी युवा नशे की गिरफ्त में हैं, लेकिन युवाओं का एक बड़ा वर्ग इसकी चपेट में अवश्य है, जो स्वयं तो अपनी जिंदगी बर्बाद कर ही रहा है लेकिन अपने परिवार, समाज व देश को भी अंधकार में धकेल रहा है।

एक तरफ जहां देश के युवा विभिन्न क्षेत्रों में अपनी उत्कृष्ट सेवाएं देकर अन्य युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत बन रहे हैं, भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु जैसे युवा क्रान्तिकारियों ने देश के लिए खुशी-खुशी फांसी के फंदे चूम लिए थे, आज यदि वे होते तो देश के युवाओं की स्थिति देख कर खुद को कोसते कि हमने किन लोगों के लिए अपने प्राण कुर्बान किए, जो खुद के नहीं हैं, वे देश के क्या होंगे। जो युवा नशे को अपनी जिंदगी बना चुके हैं, उन्हें अगर नशा करना ही है तो पढ़़ाई का करें, देश भक्ति का करें, समाज सेवा का करें, माता-पिता की सेवा का करें, गरीबों की सहायता व रक्त दान का नशा करें। -प्रो. मनोज डोगरा

IPL
Royal Challengers Bengaluru

190/9

20.0

Punjab Kings

184/7

20.0

Royal Challengers Bengaluru win by 6 runs

RR 9.50
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!