अच्छे मानसून से रिकॉर्ड कृषि उत्पादन की आस

Edited By Updated: 15 Jun, 2021 03:42 AM

record agricultural production expected from good monsoon

समय देश के कृषि परिदृश्य पर सुकून भरे दो परिदृश्य उभरकर दिखाई दे रहे हैं। एक, देश में जून की शुरूआत से ही मानसून ने दस्तक दे दी है। भारतीय मौसम विभाग (आई.एम.डी.) द्वारा

इस समय देश के कृषि परिदृश्य पर सुकून भरे दो परिदृश्य उभरकर दिखाई दे रहे हैं। एक, देश में जून की शुरूआत से ही मानसून ने दस्तक दे दी है। भारतीय मौसम विभाग (आई.एम.डी.) द्वारा इस वर्ष जून से सितंबर अवधि के लिए मासिक आधार पर मानसून के पूर्वानुमान दिए जाने से किसानों को कृषि कार्यों की तैयारी में बड़ी मदद मिलेगी। दो, कृषि मंत्रालय द्वारा वर्ष 2021 में रिकॉर्ड कृषि उत्पादन के अनुमान प्रस्तुत किए गए हैं। 

गौरतलब है कि भारतीय मौसम विज्ञान और अन्य वैश्विक मौसम एजैंसियों के द्वारा वर्ष 2021 में अच्छे मानसून के जो अनुमान प्रस्तुत किए गए हैं, उससे फसल वर्ष 2021-22 में कृषि उत्पादन के ऊंचाई पर पहुंचने की संभावनाएं निर्मित हुई हैं। मौसम विभाग ने कहा कि इस साल दक्षिण-पश्चिम मानसून दीर्घावधि औसत (एल.पी.ए.) का 18 फीसदी यानी सामान्य रह सकता है। दक्षिण-पश्चिम मानसून के तहत जून से सित बर के बीच बारिश होती है। 

अगर बारिश इन महीनों में 96 से 104 फीसदी के बीच रहती है तो उसे सामान्य कहा जाता है। एक खास बात यह भी है कि अब तक मानसून एवं वर्षा का पूर्वानुमान लगाने के लिए जिस तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा था, वह नियमित अंतराल पर पूर्वानुमान बताने के लिए पर्याप्त नहीं थी। ऐसे में इस वर्ष 2021 में मौसम विभाग द्वारा जून से सितंबर की अवधि के लिए मासिक आधार पर लॉन्ग रेंज फोरकास्ट (एल.आर. एफ.) पूर्वानुमान दिए जाने से देश के किसान और देश का सम्पूर्ण कृषि क्षेत्र अधिक लाभान्वित होगा।

यदि हम कृषि मंत्रालय की ओर से जारी चालू फसल वर्ष 2020-21 के लिए मु य फसलों के तीसरे अग्रिम अनुमान को देखें तो पाते हैं कि  कोरोना की आपदा के बावजूद देश में खाद्यान्न की कुल पैदावार रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचते हुए 30.54 करोड़ टन अनुमानित है। यह खाद्यान्न पैदावार पिछले वर्ष की कुल पैदावार 29.75 करोड़ टन के मुकाबले 79.4 लाख टन अधिक है। 

9 जून को केंद्र सरकार ने फसल सत्र जुलाई से जून 2021-22 के लिए खरीफ फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एम.एस.पी.) घोषित किया है। उसमें इस बार दलहन और तिलहन के एम.एस.पी. में सबसे अधिक बढ़ौतरी किए जाने से खरीफ फसलों की पैदावार बढ़ेगी। कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर के मुताबिक सभी प्रमुख फसलों के एम.एस.पी. में उत्साहजनक वृद्धि, पी.एम. किसान के मार्फत किसानों को सराहनीय आर्थिक मदद उपलब्ध कराने और विभिन्न कृषि विकास की योजनाओं से कृषि क्षेत्र में उत्पादन रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है। 

निश्चित रूप से वर्ष 2021 में जबरदस्त कृषि उत्पादन और अच्छा मानसून देश के आर्थिक-सामाजिक सभी  क्षेत्रों की खुशियां बढ़ाएगा। ज्ञातव्य है कि देश में अच्छा मानसून आॢथक-सामाजिक खुशहाली का कारण माना जाता है। अगर देश में मानसून अच्छा रहता है, तो देश की अर्थव्यवस्था में चमक आती है और खराब मानसून अर्थव्यवस्था की मुश्किलें बढ़ा देता है। देश में करीब 60 फीसदी से ज्यादा खेती सिंचाई के लिए बारिश पर ही निर्भर होती है।  

उल्लेखनीय है कि मानसून का प्रभाव न केवल देश के करोड़ों लोगों की रोजी-रोटी और रोजमर्रा की जिंदगी पर पड़ता है वरन समाज, कला, संस्कृति और लोक जीवन पर भी मानसून का सीधा प्रभाव होता है। चूंकि कृषि आधारित कच्चे माल वाले उद्योग और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग सीधे तौर पर कृषि उत्पादन से संबंधित हैं, अतएव देश के लिए वर्ष 2021 में अच्छे मानसून की बड़ी अहमियत दिखाई दे रही है। 

एक खास बात यह भी है कि वर्ष 2021 में रिकॉर्ड खाद्यान्न उत्पादन कोरोना की दूसरी घातक लहर की चुनौतियों के बीच गरीब वर्ग की अतिरिक्त खाद्यान्न जरूरतों की पूॢत में अहम भूमिका निभाते हुए दिखाई देगा। भारतीय खाद्य निगम के मुताबिक देश में 1 अप्रैल 2021 को सरकारी गोदामों में करीब 7.72 करोड़ टन खाद्यान्न का सुरक्षित भंडार है, जो बफर आवश्यकता से करीब 3 गुना है। ऐसे में वर्ष 2021 में कोरोना की चुनौतियों के बीच एक बार फिर केंद्र सरकार के द्वारा लागू की गई प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत 80 करोड़ लाभार्थियों को नवंबर 2021 तक खाद्यान्न की अतिरिक्त आपूॢत को भी सरलता से पूरा किया जा सकेगा। खाद्यान्न  के रिकॉर्ड उत्पादन के मद्देनजर देश की खाद्यान्न संबंधी विभिन्न जरूरतों की पूॢत के साथ-साथ उपयुक्त मात्रा में खाद्यान्न का निर्यात भी किया जा सकेगा। 

यद्यपि कोरोना की आर्थिक चुनौतियों के बीच इस समय देश के कृषि परिदृश्य पर विभिन्न अनुकूलताएं हैं, लेकिन कृषि क्षेत्र की भरपूर प्रगति और अच्छे मानसून का लाभ लेने के कई बातों पर विशेष ध्यान देना होगा। सरकार के द्वारा कृषि उपज का अच्छा विपणन सुनिश्चित किया जाना होगा। इससे ग्रामीण इलाकों में मांग में वृद्धि की जा सकेगी। ग्रामीण मांग बढऩे से ग्रामीण क्षेत्रों में मैन्युफैक्चरिंग एवं सर्विस सैक्टर बढ़ सकेंगे। खराब होने वाले कृषि उत्पादों जैसे फलों और सब्जियों के लिए लॉजिस्टिक्स सुदृढ़ किया जाना होगा और पिछले वर्ष 2020 से शुरू की गई किसान ट्रेनों से अधिक लाभ लेने के लिए किसानों को प्रेरित करना होगा। 

हम उम्मीद करें कि कोरोना की दूसरी लहर और लॉकडाऊन की चुनौतियों के बीच सरकार बेहतर कृषि के लिए चालू वित्त वर्ष 2021-22 के बजट के तहत घोषित की गई विभिन्न योजनाओं के क्रियान्वयन की डगर पर तेजी से आगे बढ़ेगी।-डॉ. जयंतीलाल भंडारी

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