विवादों के पंखों पर उड़ती फिल्म ‘द केरल स्टोरी’

Edited By ,Updated: 06 Jun, 2023 04:40 AM

the film  the kerala story  flying on the wings of controversies

मित्रों की अपार कृपा उन्होंने मुझे एक अर्से के बाद फिल्म ‘द केरल स्टोरी’ दिखा दी। आनंद आया। आनंद इसलिए नहीं आया कि ‘द केरल स्टोरी’ एक वर्ग विशेष के प्रति विक्षोप पैदा करती है और दूसरे पक्ष का तुष्टिकरण करती है।

मित्रों की अपार कृपा उन्होंने मुझे एक अर्से के बाद फिल्म ‘द केरल स्टोरी’ दिखा दी। आनंद आया। आनंद इसलिए नहीं आया कि ‘द केरल स्टोरी’ एक वर्ग विशेष के प्रति विक्षोप पैदा करती है और दूसरे पक्ष का तुष्टिकरण करती है। आनंद इसलिए आया कि कम से कम निर्देशक सुदीप्तो सेन ने यथार्थ दिखाने का साहस तो किया। आज सारा विश्व आई.एस.आई.एस. के तालिबानों से डरा हुआ है। आज इस्लाम के पैरोकार फिर से ‘जेहाद’ छेड़ रहे हैं। सीरिया, ईराक और सऊदी अरब अपने पैसे से सारी दुनिया को ‘इस्लामिक स्टेट’ बनाना चाहते हैं। 

तालिबानी सोच ने सीरिया जैसे प्राचीन देश को खंडहर बना दिया है। इस्लामिक देशों का पैसा सारे मुल्कों के लिए खतरा है। आई.एस.आई.एस. के नए-नए फरजंद पैसे के लालच में आकर सारी मानवता को भयभीत कर रहे हैं। कभी आप टैलीविजन पर मरुस्थल इलाके में तालिबानों द्वारा ‘नार-ए-ददबीर’, ‘अल्ला हो अकबर’ के नारों के बीच दौड़ती जीपों पर झंडों को देखो। कितना खौफनाक मंजर दिखाई देता है। 

जेहादी सोच कितनी विध्वंसक और भयानक है। इनकी नजर में जो भी इस्लाम को नहीं मानता वह ‘काफिर’ है और काफिर का सिर तन से जुदा करना उनका शौक। इससे उन युवा तालिबानों को जन्नत मिलेगी। स्वर्ग में हूरें उनका स्वागत करेंगी।  यही जिन्दगी है, इसके बाद तो तालिबानों को स्वर्ग प्राप्त होगा। इसी तालीबानी सोच पर फिल्म ‘द केरल स्टोरी’ आधारित है। फिल्म के संबंध में कई भ्रांतियां फैलाई जा रही हैं। कुछ राज्य तो इस फिल्म पर प्रतिबंध भी लगा चुके हैं। 

विवादों को लेकर यह फिल्म सुप्रीम कोर्ट भी पहुंची और सुप्रीम कोर्ट ने कह दिया कि फिल्म में ऐसा कुछ भी नहीं है कि प्रतिबंध लगा दिया जाए। विचारों की अभिव्यक्ति संविधान द्वारा भारत के लोगों को मिली है। जेहादी जेहाद फैलाने में स्वतंत्र हैं, उन्हें सिर कलम करने का अधिकार है तो फिल्म निर्माता विपुल शाह को ‘द केरल स्टोरी’ बनाने, दिखाने का अधिकार है। तभी तो देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र भाई मोदी ने फिल्म दिखाए  जाने का स्वागत किया। ‘द केरल स्टोरी’ में ऐसा कुछ भी नहीं कि इसे प्रतिबंधित किया जाए। प्रतिबंध तो सारे विश्व के नेताओं को मिलकर आतंकवाद, तालिबानी सोच और जेहाद पर लगाना चाहिए। आतंकवादियों के हाथों में ए.के. 47 राइफल देकर जेहादी प्रसभा क्यों हो? विश्व जनमत आई.एस.आई.एस. के विरुद्ध खड़ा हो। यह फिल्म प्रत्येक इंसानियत पसंद आदमी को रास आएगी। 

भारत का मुसलमान इस फिल्म को देखे और दिखाई गई सच्चाई को दुनिया में फैलाए। मुसलमान जेहाद, लव जेहाद, तालिबानी, मानसिकता और आतंकवाद का तिरस्कार करें। यह हकीकत ही है कि जिस फिल्म का विरोध होगा उसे देखने की सिने प्रेमियों में जिज्ञासा भी होगी। इसी कारण फिल्म ‘द केरल स्टोरी’ धमाल मचा रही है।‘द केरल स्टोरी’ कहानी है एक कुलीन मलयाली ब्राह्मण परिवार की लड़की शालिनी उन्नीकृष्णन की। यह लड़की नॄसग ट्रेनिंग के लिए केरल के प्रख्यात कालेज में दाखिला लेती है। जहां उसकी 3-4 सहेलियां बन जाती हैं। होस्टल में रहते उसका सामना एक कट्टरपंथी सखी फातिमा से हो जाता है। जो एक जेहादी संगठन का हिस्सा होती है। फातिमा पूरे इस्लामिक षड्यंत्र का अंग है। वह अपनी सहेलियों शालिनी और अन्य सुन्दर युवतियों को अपने नौजवान मुसलमान दोस्तों से मिलाती है। हंसी-खुशी में तीनों सहेलियां मुसलमान पढ़े-लिखे युवकों से घुल-मिल जाती हैं। यदि नौजवान युवा-युवती मिलेंगे तो प्यार भी दोनों में हो जाएगा। युवा नौजवान जेहादी मुसलमान लड़के तालिबानी गिरोह का भाग थे। 

फातिमा और दोनों पढ़े-लिखे युवक शालिनी और उसकी सहेलियों का ब्रेनवॉश करने लगते हैं। उन्हें इस्लाम के गुण और हिन्दू धर्म के अवगुण गिनाने लगते हैं। शालिनी और उसकी सहेलियां पूरी तरह इस्लामी रंग में रम जाती हैं। मौलवी उनका धर्मांतरण करवा देते हैं। मुसलमान कट्टरपंथी इन हिन्दू युवतियों का देह शोषण करते हैं जिससे वे गर्भवती हो जाती हैं। शालिनीउन्नीकृष्णन जेहादियों का अंग बन जाती है। एक आत्महत्या कर लेती है। दूसरी का करियर नष्ट हो जाता है। अंत में तालिबानों के चंगुल से शालिनी भाग कर अमरीकी दूतावास में पहुंचती है और अपनी आप बीती सुनाती है। 

शालिनी की आप बीती कहानी है एक खौफनाक चित्र चित्रण की। कहानी है नशीले पदार्थों के खुले सेवन की, कहानी है एक युवती के ब्रेनवॉश की, बार-बार किए जाने वाले रेपों की, मानव तस्करी की, कहानी है लड़कियों के जबरदस्ती गर्भधारण की, उनके बच्चों को छीन लेने और मानव बम बनाने की, कहानी है पासपोर्ट दफ्तरों में फैले भ्रष्टाचार की, कहानी है सोशल मीडिया द्वारा खूबसूरत औरतों के ब्लैकमेल की, कहानी है हिन्दू और ईसाई युवतियों के यौन शोषण की, कहानी है झूठे-फरेबी षड्यंत्रों से भरे प्यार की, मुल्ला-मौलवियों द्वारा पैसे के खेल से धर्म परिवर्तन की और कहानी है दुनिया को ‘इस्लामिक स्टेट’ बनाने की। इन सारी चीजों का फिल्म में सटीक चित्रण किया गया है। 

विवादों में लिपटी फिल्म ‘द केरल स्टोरी’ धड़ाधड़ बिजनैस ही नहीं कर रही बल्कि सिनेमाघर ‘हाऊसफुल’ मिल रहे हैं। कहीं-कहीं मुफ्त भी दिखाई जा रही है। फिल्म के शेष पात्रों ने भी सहज अभिनय किया। भगवान राम और भगवान भोले शंकर पर भी ताने छोड़े गए हैं। इस पर भी फिल्म ‘द केरल स्टोरी’ पर विवाद रुक नहीं रहे। मेरा अनुरोध है कि आई.एस.आई.एस. का यह खेल बंद होना चाहिए। मजहब के नाम पर सुसाइड मानव बम इंसानियत पर कलंक है। यह कलंक धुल जाए तो अच्छा है। इन्सानियत जिन्दा रहे तो गनीमत है।-मा. मोहन लाल
(पूर्व परिवहन मंत्री, पंजाब)

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