वोट बैंक की राजनीति ने अपनी सभ्यता को भी तिलांजलि दे दी

Edited By Updated: 27 Oct, 2025 05:21 AM

vote bank politics has even sacrificed its civilization

अपने अनर्गल बयानों के लिए चॢचत केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने एक बार फिर मुसलमानों के संदर्भ में एक आपत्तिजनक बयान दे दिया। गिरिराज सिंह ने बिहार में आयोजित एक रैली में मुसलमानों को नमक हराम बता दिया। गिरिराज सिंह ने रैली में मुस्लिम मौलवी के साथ...

अपने अनर्गल बयानों के लिए चॢचत केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने एक बार फिर मुसलमानों के संदर्भ में एक आपत्तिजनक बयान दे दिया। गिरिराज सिंह ने बिहार में आयोजित एक रैली में मुसलमानों को नमक हराम बता दिया। गिरिराज सिंह ने रैली में मुस्लिम मौलवी के साथ अपनी कथित बातचीत का हवाला देते हुए कहा कि भाजपा इनसे वोट नहीं चाहती। गिरिराज सिंह ने कहा कि मुसलमान भाजपा सरकार द्वारा दी गई योजनाओं का भरपूर लाभ उठाते हैं लेकिन भाजपा को वोट नहीं देते हैं।  हमें इनका वोट नहीं चाहिए। एक रैली में खुल्लमखुल्ला मुसलमानों पर विवादास्पद टिप्पणी करना यह दर्शाता है कि भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के दिल में मुसलमानों के प्रति कितना जहर भरा है। यह बहुत ही शर्मनाक है। 

ऐसे शर्मनाक बयान देना न केवल भारतीय लोकतंत्र का अपमान है बल्कि भारतीय संविधान का अपमान भी है। अगर विपक्ष का कोई नेता अनर्गल बयान दे देता है तो भारतीय जनता पार्टी उसे देशद्रोही सिद्ध कर देती है। क्या भारतीय जनता पार्टी अपने केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह पर कोई कार्रवाई करेगी? भारतीय जनता पार्टी के इतिहास को देखते हुए तो ऐसा नहीं लगता कि वह गिरिराज सिंह पर कोई कार्रवाई करेगी। कांग्रेस प्रवक्ता सुरेन्द्र राजपूत की माता जी के संबंध में आपत्तिजनक बात कहने वाले प्रेम शुक्ला पर भी अभी तक भारतीय जनता पार्टी ने कोई कार्रवाई नहीं की है। हालांकि यह बयान देने के बाद गिरिराज सिंह ने सफाई देते हुए कहा कि मेरे बयान को गलत संदर्भ में समझा गया। मैंने कहा कि जो लोग यह कहते हैं कि हमारे धर्म में हराम का खाना सही नहीं कहा गया है।

यानी किसी का मुफ्त का खाना हराम है। मैं यही कह रहा हूं कि क्या मुसलमान 5 किलो अनाज नहीं ले रहे हैं? क्या प्रधानमंत्री आवास हिन्दू और मुसलमान दोनों को नहीं मिला है? क्या शौचालय हिन्दू और मुसलमान दोनों को नहीं मिला है? क्या नल-जल में हिन्दू-मुसलमान हुआ? क्या गैस सिलैंडर में हिन्दू-मुसलमान हुआ? क्या 5 किलो अनाज में हिन्दू-मुसलमान हुआ? मैं उन लोगों से पूछना चाहता हूं कि जो दिन-रात हाय तौबा मचा रहे हैं कि बुर्का उठेगा या नहीं उठेगा। मैं उन लोगों से पूछना चाहता हूं कि आप इतना चिङ्क्षतत क्यों हैं? नरेन्द्र मोदी ने कभी हिन्दू-मुसलमान नहीं किया? गिरिराज सिंह ने अपनी सफाई में ये सब बातें तो कह दीं लेकिन ये बातें कहकर भी उन्होंने अंतत: मुसलमानों को परोक्ष रूप से गलत ही बता दिया। 

इसका अर्थ यह है कि गिरिराज सिंह चाहते हैं कि मुसलमान सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने के बदले भारतीय जनता पार्टी को वोट दें। सवाल यह है कि सरकारी योजनाएं सरकार की जिम्मेदारी है या फिर एक तरह की रिश्वत है? क्या यह रिश्वत देकर मुसलमानों से वोट की अपेक्षा की जा रही है? क्या गिरिराज सिंह सरकारी योजनाओं को रिश्वत कहना चाह रहे हैं? सरकारी योजनाओं का लाभ देकर सरकार किसी भी धर्म के लोगों पर कोई उपकार नहीं कर रही है। एक आम आदमी को बेहतर जिंदगी प्रदान करना सरकार का कत्र्तव्य है। यदि सरकार अपने इस कत्र्तव्य के बदले मुसलमानों से वोट की अपेक्षा रख रही है तो इससे बड़ा सरकारी भ्रष्टाचार और कुछ नहीं हो सकता। गिरिराज सिंह की सफाई का साफ  मतलब है कि जनता को सरकारी योजनाएं प्रदान करने का उद्देश्य जनकल्याण का नहीं होता है बल्कि उसका उद्देश्य वोट बैंक होता है। 

इस दौर की राजनीति का सबसे बड़ा दुर्भाग्य यही है कि भाषा की मर्यादा लगातार खत्म होती जा रही है और राजनीतिक दल ऐसे नेताओं के बयानों पर कोई कार्रवाई नहीं करते हैं। किसी भी जाति और धर्म के खिलाफ  ऐसे बयान न केवल राजनेताओं की मानसिकता प्रदॢशत करते हैं बल्कि यह भी दिखाते हैं कि वोट बैंक की राजनीति के चक्कर में हमने अपनी सभ्यता को भी तिलांजलि दे दी है। भारतीय जनता पार्टी के नेताओं में मुसलमानों के प्रति जो नफरत भरी हुई है, वह उसका प्रदर्शन समय-समय पर करती रहती हैं। जाहिर है ऐसे राजनेताओं को उनके आकाओं से ही खाद-पानी मिलता है, तभी वे नफरत की राजनीति करते हैं। सवाल यह है कि मुसलमानों पर बार-बार सवाल क्यों उठाया जाता है? मुस्लिम भाइयों पर स्वयं को देशभक्त सिद्ध करने का दबाव बार-बार क्यों डाला जाता है? क्या किसी भी नेता के कहने से मुसलमान नमक हराम हो जाएंगे? 

आजादी की लड़ाई में मुसलमानों ने हिन्दुओं के साथ कंधे से कंधा मिलाकर अंग्रेजों के खिलाफ  संघर्ष किया है। दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि ऐसी विचारधारा के लोग मुसलमानों पर सवाल उठाते हैं जिनका आजादी की लड़ाई में कोई योगदान नहीं रहा। किसान आन्दोलन में इसी विचारधारा के लोगों ने सिखों को खालिस्तानी कहा था। 

मुसलमान इस देश की अर्थव्यवस्था में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। क्या मुसलमानों के बिना इस देश की कल्पना की जा सकती है? जिस तरह उदार हिन्दुओं के बीच कट्टर हिन्दू मौजूद हैं, हो सकता है कि ठीक उसी तरह कुछ मुसलमानों के अंदर भी कट्टरता का तत्व मौजूद हो लेकिन इस आधार पर उन्हें ऐसा कहना बहुत ही शर्मनाक है। ऐसे मामलों में राजनीतिक दलों की एक बड़ी गलती यह है कि वे अनर्गल टिप्पणी करने वाले अपने दल के राजनेताओं के खिलाफ  कड़ी कार्रवाई नहीं करते हैं। राजनीतिक दलों को ऐसे राजनेताओं को कड़ी सजा देनी चाहिए। हमें यह समझना होगा कि इस दौर में नफरत की नहीं, बल्कि प्रेम की राजनीति से ही समाज का भला हो सकता है। (यह लेखक के निजी विचार हैं।)-रोहित कौशिक
 

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