Edited By jyoti choudhary,Updated: 08 Nov, 2025 12:06 PM

आज नोटबंदी के 9 साल पूरे हो गए हैं। 8 नवंबर 2016 की रात 8 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को संबोधित करते हुए 500 और 1000 रुपए के पुराने नोटों को तत्काल प्रभाव से बंद करने की घोषणा की थी। इस फैसले के बाद पूरे देश में बैंकों और एटीएम के बाहर...
बिजनेस डेस्कः आज नोटबंदी के 9 साल पूरे हो गए हैं। 8 नवंबर 2016 की रात 8 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को संबोधित करते हुए 500 और 1000 रुपए के पुराने नोटों को तत्काल प्रभाव से बंद करने की घोषणा की थी। इस फैसले के बाद पूरे देश में बैंकों और एटीएम के बाहर लंबी कतारें लग गईं और लोगों को कई दिनों तक नकदी की कमी से जूझना पड़ा।
इसके बाद आरबीआई ने पहली बार 2000 रुपए का नोट जारी किया था, जिसे 2023 में वापस सिस्टम से हटा दिया गया।
99% पैसा वापस बैंकिंग सिस्टम में लौटा
नोटबंदी का मुख्य उद्देश्य काले धन पर लगाम लगाना, नकली नोटों पर रोक लगाना और आतंकवाद के लिए किए जाने वाले फंडिंग को कमजोर करना था। आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार, उस समय चलन में मौजूद कुल 15.44 लाख करोड़ रुपए के पुराने नोटों में से लगभग 15.31 लाख करोड़ रुपए बैंकिंग सिस्टम में वापस लौट आए यानी करीब 99% रकम फिर प्रणाली में आ गई। इसके बावजूद नकली नोटों और काले धन के पूरी तरह खत्म होने को लेकर आज भी बहस जारी है।
डिजिटल पेमेंट को मिला बड़ा बढ़ावा
नोटबंदी के बाद देश में डिजिटल भुगतान का चलन तेज़ी से बढ़ा। Paytm, PhonePe, Google Pay जैसे प्लेटफॉर्म बड़े पैमाने पर लोकप्रिय हुए। आज UPI के जरिए देश में रोज़ लगभग 14 करोड़ लेनदेन होते हैं, जो 2016 की तुलना में कई गुना ज्यादा है। इस बदलाव को नोटबंदी के प्रमुख प्रभावों में से एक माना जाता है।
लोगों के लिए यादें आज भी ताज़ा
नोटबंदी को लेकर आज भी समाज में दो तरह की राय है। कुछ लोग इसे एक बड़ा सुधार मानते हैं, जबकि कई लोगों के अनुसार इससे छोटे कारोबार, ग्रामीण अर्थव्यवस्था और आम लोगों को भारी परेशानी हुई। उस समय बैंक कर्मचारियों से लेकर आम नागरिकों तक ने कई दिनों तक लंबी लाइनें, समय की कमी और नकदी संकट का सामना किया था।