सरकार का गन्ना कीमतों में कटौती से इनकार, चीनी मिलों को सब्सिडी पर निर्भरता छोड़ने को कहा

Edited By Updated: 19 Dec, 2020 11:10 AM

asks sugar mills to give up their dependence on subsidies

केंद्रीय खाद्य मंत्री पीयूष गोयल ने शुक्रवार को कहा कि सरकार, चीनी मिलों द्वारा किसानों के खरीदे जाने वाले गन्ने के मूल्य को कम नहीं कर सकती है। उन्होंने चीनी उद्योग से गन्ने पर आधारित और भी चीजें तैयार कर उत्पाद सूची विस्तृत करने

बिजनेस डेस्कः केंद्रीय खाद्य मंत्री पीयूष गोयल ने शुक्रवार को कहा कि सरकार, चीनी मिलों द्वारा किसानों के खरीदे जाने वाले गन्ने के मूल्य को कम नहीं कर सकती है। उन्होंने चीनी उद्योग से गन्ने पर आधारित और भी चीजें तैयार कर उत्पाद सूची विस्तृत करने तथा केंद्रीय सब्सिडी निर्भरता कम करते हुए मुनाफे का व्यवसाय बनने को कहा। चीनी मिलें किसानों से उचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) पर गन्ना खरीदती हैं। यह एफआरपी केन्द्र सरकार द्वारा तय किया जाता है। 

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चीनी उद्योगों के प्रमुख संगठन, भारतीय चीनी मिल संघ (इस्मा) की 86वीं वार्षिक आम बैठक (एजीएम) को संबोधित करते हुए, गोयल, चीनी के उचित एवं लाभकरी मूल्य (एफआरपी) को मौजूदा 31 रुपए प्रति किलो से बढ़ाने की चीनी उद्योग की मांग के पक्ष में नहीं थे क्योंकि इससे खुदरा कीमतें बढ़ेंगी। रेलवे के साथ वाणिज्य मंत्रालय का कार्यभार संभालने वाले गोयल ने कहा कि सरकार ने मौजूदा विपणन वर्ष 2020-21 (अक्टूबर से सितंबर) में 60 लाख टन चीनी के निर्यात के लिए 3,500 करोड़ रुपए की सब्सिडी प्रदान करने का निर्णय चीनी के अधिशेष भंडार का निपटान करने में मदद करेगी। 

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उद्योग की मांग पर कि गन्ना खरीद मूल्य को चीनी के वसूली मूल्य के साथ सम्बद्ध किया जाए, उन्होंने कहा कि उचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) को कम करना व्यावहारिक कदम नहीं है। उन्होंने उद्योग की अगुवाई करने वाले लोगों से अपनी आय बढ़ाने के लिए अधिक एथेनॉल के साथ-साथ अन्य उप-उत्पादों के उत्पादन बढ़ाने को भी कहा। उन्होंने कहा, ‘‘आप 70 प्रतिशत राजस्व साझेदारी का फार्मूला सुझाने या ऐसी किसी चीज को सुझाने की कोशिश कर रहे हैं। हमें इसके बारे में व्यावहारिक बनना होगा। आप भी जानते हैं, मैं भी जानता हूं, हम किसानों के एफआरपी को कम नहीं कर सकते हैं। अब यह एक संस्थागत तंत्र है जो कई वर्षों से चल रहा है, संभवत: इस सरकार के सत्ता में आने के भी पहले से है।'' इस्मा के अध्यक्ष विवेक पिट्टी ने मंत्री से गन्ना कीमत निर्धारण के संदर्भ में रंगराजन समिति की सिफारिशों को स्वीकार करने की मांग की थी। 

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