कोरोना की वजह से भारतीय रूई बाजार में सता रही है धन की तंगी

Edited By Updated: 09 Mar, 2020 12:22 PM

due to corona the indian cotton market is struggling with money

देश के विभिन्न कपास उत्पादक राज्यों की मंडियों में अब तक लगभग 2.85 करोड़ गांठों की आवक पहुंचने की सूचना है। चालू कपास सीजन साल 2019-20 दौरान देश में कपास उत्पादन के आंकड़ों में विभिन्नता बनी हुई है। कॉटन एडवाइजरी बोर्ड (सी.ए.बी.) का अनुमान 3.60...

जैतोः देश के विभिन्न कपास उत्पादक राज्यों की मंडियों में अब तक लगभग 2.85 करोड़ गांठों की आवक पहुंचने की सूचना है। चालू कपास सीजन साल 2019-20 दौरान देश में कपास उत्पादन के आंकड़ों में विभिन्नता बनी हुई है। कॉटन एडवाइजरी बोर्ड (सी.ए.बी.) का अनुमान 3.60 करोड़ गांठ उत्पादन का है। कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया का अनुमान 3.54 करोड़ गांठ व रूई बाजार के मंदडिय़ों का मानना है कि उत्पादन 3.90 करोड़ गांठ से कम नहीं होगा। एक गांठ में 170 किलोग्राम वजन होता है। इस हफ्ते के शुरूआत में 1.50 से 1.60 लाख गांठों की आवक थी जो शनिवार घट कर 1.20 से 1.30 लाख गांठों की आवक रह गई।

इस बीच इंडियन कॉटन एसोसिएशन लिमिटेड बठिंडा के अनुसार पंजाब, हरियाणा व राजस्थान राज्यों में इस चालू सीजन में कुल उत्पादन 67.42 लाख गांठ रह सकता है जिसमें 24,500 गांंठ बंगाल देसी की भी शामिल है जबकि पिछले कपास सीजन 2018-19 में यह उत्पादन 61.53 लाख गांठों का रहा था। 

इंडियन कॉटन एसोसिएशन लिमिटेड (आई.सी.ए.एल.) सूत्रों के अनुसार चालू सीजन 1 सितम्बर 2019 से 29 फरवरी तक उत्तरी भारत के पंजाब, हरियाणा व राजस्थान की घरेलू कपास मंडियों में लगभग 55.24 लाख गांठों की आवक पहुंची है जिसमें लगभग 20,000 गांठ बंगाल देसी की है। उपरोक्त राज्यों में 29 फरवरी, 2020 तक लगभग 2.51 लाख गांठों का स्टाक निजी कारोबारियों के पास है, जबकि भारतीय कपास निगम (सी.सी.आई.) 6.28 लाख गांठ व एम.एन.सी. के पास लगभग 45,500 गांठों का स्टाक है।

चीन के कोरोना की वजह से ग्लोबल मार्कीट की हालत बेहद खराब हो गई है। इससे भारतीय रूई बाजार जगत में धन की बड़ी तंगी सताने लगी है। यार्न व रूई निर्यातकों के अरबों रुपए चीन में कोरोना की वजह से रुक गए हैं व अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भारतीय यार्न की खुल कर डिमांड नहीं होने से यार्न में 10 से 12 रुपए प्रति किलो मंदी आ गई है। हाजिर रूई भाव 4040 से 4080 रुपए मन से कताई मिलों को हानि उठानी पड़ रही है जिस कारण ही रूई बाजार में कताई मिलों की डिमांड  काफी ठंडी पड़ी हुई है। दूसरा कारण अधिकतर मिलों के पास धन की कमी होने से यह मिलें ‘‘हैंड टू माऊथ’’ गांठें खरीद कर अपना टाइम पास कर रही हैं।

सरकारी कपास खरीद एजैंसियों के पास 93 लाख गांठ स्टाक
सी.सी.आई. ने चालू सीजन में अब तक 73.40 लाख गांठ नरमा एम.एस.पी. पर खरीदा है जबकि उसके पास लगभग 9 लाख गांठ पिछले साल का स्टाक पड़ा है। सी.सी.आई. ने इस साल तेलंगाना से 90 प्रतिशत से अधिक नरमा खरीदा है, जबकि महाराष्टï्र फैडरेशन ने लगभग 10.60 लाख गांठ नरमा खरीदा है। मार्कीट में चर्चा है कि सी.सी.आई. इस बार 1 करोड़ गांठ नरमा भी खरीद सकती है। कोरोना वायरस के कारण ग्लोबल बाजार की हालत काफी बिगड़ चुकी है लेकिन इन हालातों में कताई मिलों की डिमांड बेतहाशा कमजोर है।

28 लाख गांठ निर्यात व 12 लाख आयात
भारत से विभिन्न देशों को अब तक 28 लाख गांठ निर्यात हो चुकी है जबकि 12 लाख गांठ भारतीय बंदरगाहों पर पहुंच गया है। जानकारों का कहना है कि आगामी महीनों के दौरान रूई बाजार पर निर्भर करता है कि मार्कीट भाव क्या रुख अपनाते हैं। इस बार ही आयात निर्यात होगा लेकिन अभी तक 48 लाख गांठ निर्यात व 25 लाख गांठ आयात होने का अनुमान जताया गया है।

सी.सी.आई. की कपास खरीद पर चर्चा
सी.सी.आई. ने पंजाब, हरियाणा व राजस्थान में लाखों गांठों का नरमा न्यूनतम समर्थन मूल्य (एम.एस.पी.) पर खरीदा हैै। सी.सी.आई. की नरमा खरीद पर बाजार में तरह-तरह की चर्चाएं  चल रही हैं। माना जाता है कि यदि सी.सी.आई. की कपास खरीद की सी.सी.आई.  बारीकी से जांच-पड़ताल करे तो इसमें बड़ा घपला सामने आ सकता है।

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