Edited By jyoti choudhary,Updated: 11 Dec, 2025 11:21 AM

अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने लगातार तीसरी बार ब्याज दरों में कटौती की है। नई फेड फंड दर अब 3.5%–3.75% के दायरे में आ गई है, जो करीब तीन साल का सबसे निचला स्तर है। फेड ने संकेत दिया है कि अगले साल सिर्फ एक और कटौती की जा सकती है लेकिन बाज़ार इससे सहमत...
बिजनेस डेस्कः अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने लगातार तीसरी बार ब्याज दरों में कटौती की है। नई फेड फंड दर अब 3.5%–3.75% के दायरे में आ गई है, जो करीब तीन साल का सबसे निचला स्तर है। फेड ने संकेत दिया है कि अगले साल सिर्फ एक और कटौती की जा सकती है लेकिन बाज़ार इससे सहमत नहीं दिख रहा। विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका की दरों में कमी का असर पूरी दुनिया पर पड़ेगा।
भारतीय शेयर बाज़ार पर असर
तीन दिन की गिरावट के बाद भारतीय बाज़ारों ने आज फेड के फैसले को सकारात्मक लिया।
सुबह 10:16 बजे —
- सेंसेक्स: +167.95 अंक (0.20%) → 84,559.22
- निफ्टी50: +61.40 अंक (0.24%) → 25,819.40
फ़ेड का फैसला आने तक निवेशक सतर्क थे, जिसके कारण पिछले कुछ दिनों से बाज़ार दबाव में था।
भारत पर क्या असर पड़ेगा?
VT Markets के ग्लोबल स्ट्रैटेजी ऑपरेशंस लीड रॉस मैक्सवेल ने कहा कि फेड की ताज़ा कटौती से वैश्विक बाज़ारों को राहत मिलेगी। इससे कर्ज सस्ता होगा और लिक्विडिटी बढ़ेगी लेकिन अमेरिकी अर्थव्यवस्था की कमजोरी और फेड की सीमित कटौती क्षमता निवेशकों के उत्साह को रोक सकती है। कमजोर अमेरिकी डॉलर उभरते बाज़ारों (जैसे भारत) को फायदा पहुंचा सकता है लेकिन वैश्विक अस्थिरता बढ़ी रह सकती है। कमज़ोर डॉलर और कम ब्याज दरें भारत के लिए विदेशी पूंजी प्रवाह बढ़ाने में सहायक होती हैं। हालांकि, अगर फेड अचानक सख्त होता है तो यह रुझान तुरंत उलट सकता है।
रुपए की कमजोरी और आगे की स्थिति
अर्थ भारत ग्लोबल मल्टीप्लायर फंड के फंड मैनेजर नचिकेता सावरकर के अनुसार, नीतिगत अनिश्चितता ने दुनिया भर में वित्तीय स्थितियां सख्त की हैं। इससे संपत्ति के मूल्यांकन पर दबाव बढ़ा है और ब्याज-संवेदनशील क्षेत्रों में उतार-चढ़ाव बढ़ा है।
ब्रिकवर्क रेटिंग्स के राजीव शरण ने कहा...
यह कटौती इस बात का संकेत है कि ईजिंग साइकिल में ठहराव आ सकता है, क्योंकि महंगाई अभी ऊंची है। ट्रंप टैरिफ और ऊंची अमेरिकी यील्ड जैसी चुनौतियां डॉलर को मजबूत बनाए रख सकती हैं।
इस साल रुपए में लगभग 5% की गिरावट दर्ज की जा चुकी है।
विशेषज्ञों का अनुमान है:
- 2025 में रुपया डॉलर के मुकाबले 90 से नीचे रहेगा।
- 2026 से रुपए में थोड़ी मजबूती आ सकती है।
- फेड का कोई भी सख्त रुख डॉलर को मजबूत कर सकता है और रुपए पर दबाव बढ़ा सकता है।