एक दशक के निचले स्तर पर पहुंच सकते हैं गैस के दाम, ONGC को लगेगा झटका

Edited By jyoti choudhary,Updated: 16 Aug, 2020 11:57 AM

gas prices may reach a decade low ongc will be shocked

देश में प्राकृतिक गैस के दाम अक्टूबर से घटकर 1.9 से 1.94 डॉलर प्रति इकाई पर आ सकते हैं। यह देश में पिछले एक दशक से अधिक में प्राकृतिक गैस कीमतों का सबसे निचला स्तर होगा। इससे ऑयल एंड नैचुरल गैस कॉरपोरेशन (ओएनजीसी) जैसी

नई दिल्लीः देश में प्राकृतिक गैस के दाम अक्टूबर से घटकर 1.9 से 1.94 डॉलर प्रति इकाई पर आ सकते हैं। यह देश में पिछले एक दशक से अधिक में प्राकृतिक गैस कीमतों का सबसे निचला स्तर होगा। इससे ऑयल एंड नैचुरल गैस कॉरपोरेशन (ओएनजीसी) जैसी गैस उत्पादक कंपनियों का राजस्व बुरी तरह प्रभावित हो सकता है। इन कंपनियों को पहले से ही गैस उत्पादन पर भारी नुकसान हो रहा है। मामले से जुड़े सूत्रों ने कहा कि एक अक्टूबर से गैस कीमतों में संशोधन होना है।

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गैस निर्यातक देशों की बेंचमार्क दरों में बदलाव के हिसाब से गैस का दाम घटकर 1.90 से 1.94 डॉलर प्रति मिलियन ब्रिटिश थर्मल यूनिट (एमएमबीटीयू) रह जाएगा। एक साल में यह गैस कीमतों में लगातार तीसरी कटौती होगी। इससे पहले अप्रैल में गैस कीमतों में 26 प्रतिशत की बड़ी कटौती हुई थी, जिससे इसके दाम घटकर 2.39 डॉलर प्रति इकाई रह गए थे। प्राकृतिक गैस का इस्तेमाल उर्वरक और बिजली उत्पादन में होता है। इसके अलावा इसे सीएनजी में बदला जाता है, जिसका इस्तेमाल वाहनों में होता है। साथ ही रसोई गैस के रूप में भी इसे इस्तेमाल में लाया जाता है। गैस के दाम प्रत्येक छह माह में, एक अप्रैल और एक अक्टूबर को तय किए जाते हैं।

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सूत्रों का कहना है कि गैस कीमतों में कटौती का मतलब है कि देश की सबसे बड़ी तेल एवं गैस उत्पादक ओएनजीसी का घाटा और बढ़ जाएगा। ओएनजीसी को 2017-18 में गैस कारोबार में 4,272 करोड़ रुपए का घाटा हुआ था। सूत्रों ने बताया कि चालू वित्त वर्ष में इसके बढ़कर 6,000 करोड़ रुपए पर पहुंचने का अनुमान है। ओएनजीसी को प्रतिदिन 6.5 करोड़ घनमीटर गैस के उत्पादन पर नुकसान हो रहा है। सरकार ने नवंबर, 2014 में नया गैस मूल्य फॉर्मूला पेश किया था। यह अमेरिका, कनाडा और रूस जैसे गैस अधिशेष वाले देशों के मूल्य केंद्रों पर आधारित है। मौजूदा समय में 2.39 डॉलर प्रति इकाई का गैस का दाम पिछले एक दशक से अधिक में सबसे कम है। 

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सूत्रों ने बताया कि ओएनजीसी ने हाल में सरकार को लिखे पत्र में कहा है कि नई खोजों से गैस उत्पादन में 5-9 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू का दाम होने पर ही वह लाभ की स्थिति में रह सकती है। मई, 2010 में सरकार ने बिजली और उर्वरक कंपनियों को बेची जाने वाली गैस का दाम 1.79 डॉलर प्रति इकाई से बढ़ाकर 4.20 डॉलर प्रति इकाई किया था। ओएनजीसी और ऑयल इंडिया को उन्हें नामांकन के आधार पर दिए गए क्षेत्रों से गैस उत्पादन के लिए 3.818 डॉलर प्रति इकाई का दाम मिलता था। इसमें 10 प्रतिशत रॉयल्टी जोड़ने के बाद उपभोक्ताओं के लिए इसकी लागत 4.20 डॉलर बैठती थी। 

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कांग्रेस की अगुवाई वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार (संप्रग) ने एक नए मूल्य फॉर्मूला को मंजूरी दी थी, जिसका क्रियान्वयन 2014 से होना था। इससे गैस के दाम बढ़ जाते लेकिन भाजपा की अगुवाई वाली सरकार ने इसे रद्द कर दिया था और एक नया फॉर्मूला पेश किया था। इस फॉर्मूला के जरिए पहले संशोधन के समय गैस के दाम 5.05 डॉलर प्रति इकाई रहे, लेकिन इसके बाद छमाही संशोधन में गैस के दाम नीचे आते रहे। अप्रैल, 2017 से सितंबर, 2017 की अवधि के दौरान गैस के दाम 2.48 डॉलर प्रति इकाई पर आ गया। अप्रैल, 2019 से सितंबर, 2019 के दौरान यह बढ़कर 3.69 डॉलर पर पहुंच गया। उसके बाद अक्टूबर, 2019 में 3.23 डॉलर प्रति इकाई पर आ गए।  

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