Edited By jyoti choudhary,Updated: 23 Dec, 2025 04:09 PM
साल 2025 सोने के निवेशकों के लिए ऐतिहासिक बन गया है। घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों बाजारों में सोने की कीमतों ने जबरदस्त रफ्तार पकड़ी और एक के बाद एक रिकॉर्ड तोड़े। 23 दिसंबर को सोने ने फिर नया ऑल-टाइम हाई बनाया, जिससे साफ हो गया कि वैश्विक...
बिजनेस डेस्कः साल 2025 सोने के निवेशकों के लिए ऐतिहासिक बन गया है। घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों बाजारों में सोने की कीमतों ने जबरदस्त रफ्तार पकड़ी और एक के बाद एक रिकॉर्ड तोड़े। 23 दिसंबर को सोने ने फिर नया ऑल-टाइम हाई बनाया, जिससे साफ हो गया कि वैश्विक अनिश्चितताओं और कमजोर डॉलर के बीच गोल्ड निवेशकों की पहली पसंद बना हुआ है। आज अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने ने $4,516 प्रति औंस का नया ऑल-टाइम हाई छू लिया है। साल की शुरुआत में जहां गोल्ड करीब $2,650 प्रति औंस पर था, वहीं एक ही साल में इसमें करीब 70% की जोरदार तेजी देखने को मिली। वहीं MCX पर भी 10 ग्राम सोना 1,38,195 रुपए के नए रिकॉर्ड पर पहुंच गया है। इस रैली ने साफ कर दिया है कि सोना अब सिर्फ एक ट्रेडिंग एसेट नहीं रहा, बल्कि ग्लोबल निवेशकों के पोर्टफोलियो में एक कोर एसेट की तरह उभर चुका है।
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भारत में भी रिकॉर्ड तेजी
2025 में घरेलू बाजार में सोने की कीमतों ने भी नया इतिहास रचा। 31 दिसंबर 2024 को ₹78,950 प्रति 10 ग्राम से बढ़कर दिसंबर 2025 में यह ₹1.36–1.38 लाख प्रति 10 ग्राम के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया। यानी एक साल में करीब 75% की जबरदस्त तेजी दर्ज की गई।
- जनवरी 2025: ₹78,000–80,000 प्रति 10 ग्राम
- अप्रैल 2025: ₹1,00,100 (पहली बार ₹1 लाख के पार)
- सितंबर 2025: ₹1,17,000–1,25,000
- दिसंबर 2025: ₹1,36,000–1,38,200
MCX गोल्ड फ्यूचर्स में भी सालाना आधार पर 64–75% की तेजी देखने को मिली। डॉलर के मुकाबले रुपए की कमजोरी ने घरेलू कीमतों को और मजबूती दी।
क्यों उछला सोना? ये हैं बड़ी वजहें
1. ब्याज दरों में कटौती और कमजोर डॉलर
2025 में अमेरिकी महंगाई 3% से नीचे आ गई, जिसके बाद फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों में कटौती शुरू की। इससे रियल यील्ड घटी और गोल्ड जैसे नॉन-इंटरेस्ट एसेट्स ज्यादा आकर्षक बन गए। कमजोर डॉलर ने भी सोने को सपोर्ट दिया।
2. सेंट्रल बैंकों की रिकॉर्ड खरीदारी
चीन, रूस, मिडिल ईस्ट और एशियाई देशों के सेंट्रल बैंकों ने डॉलर रिजर्व से दूरी बनाते हुए रिकॉर्ड मात्रा में सोना खरीदा। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के मुताबिक, 2025 में ऑफिशियल सेक्टर की खरीदारी ने पुराने सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए।
3. जियोपॉलिटिकल और ट्रेड अनिश्चितता
US-चीन ट्रेड टकराव, रूस-यूक्रेन युद्ध, मिडिल ईस्ट तनाव और नए टैरिफ्स जैसी अनिश्चितताओं ने सेफ-हेवन डिमांड को और मजबूत किया।
4. निवेश मांग में उछाल
ETFs, Sovereign Gold Bonds और फिजिकल गोल्ड में लगातार इनफ्लो देखने को मिला। कई बड़े फंड्स ने इक्विटी बाजार के उतार-चढ़ाव से बचाव के लिए गोल्ड को हेज के तौर पर पोर्टफोलियो में बढ़ाया।
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$2,650 से $4,497 की छलांग क्या संकेत देती है?
गोल्ड की यह रैली बताती है कि बाजार अगले 1–2 साल के लिए ब्याज दरों में नरमी और वैश्विक अनिश्चितताओं को पहले ही प्राइस-इन कर चुका है। अब सोने को सिर्फ शॉर्ट-टर्म ट्रेड नहीं, बल्कि लॉन्ग-टर्म कोर एसेट के रूप में देखा जा रहा है।
कुछ बड़ी ग्लोबल ब्रोकरेज फर्म्स, जैसे Goldman Sachs, 2026 तक सोने के $4,900 प्रति औंस तक पहुंचने की संभावना जता रही हैं। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि बीच-बीच में 10–15% तक का करेक्शन भी देखने को मिल सकता है।
कुल मिलाकर, 2025 की इस ऐतिहासिक रैली ने यह साफ कर दिया है कि बदलते ग्लोबल मैक्रो माहौल में गोल्ड अब सिर्फ डर का एसेट नहीं, बल्कि पोर्टफोलियो स्थिरता और लॉन्ग-टर्म वैल्यू प्रिजर्वेशन का मजबूत जरिया बन चुका है।