Edited By jyoti choudhary,Updated: 03 Dec, 2023 11:24 AM

सरकार ने उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करने के लिए ई-कॉमर्स मंचों पर ‘डार्क पैटर्न’ के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया है। कंपनियां या कारोबारी ‘डार्क पैटर्न’ के जरिए ग्राहकों को धोखा देने या उनके व्यवहार अथवा पसंद को प्रभावित करने की कोशिश करते है।
बिजनेस डेस्कः सरकार ने उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करने के लिए ई-कॉमर्स मंचों पर ‘डार्क पैटर्न’ के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया है। कंपनियां या कारोबारी ‘डार्क पैटर्न’ के जरिए ग्राहकों को धोखा देने या उनके व्यवहार अथवा पसंद को प्रभावित करने की कोशिश करते है।
केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) ने 30 नवंबर को इस संबंध में ‘डार्क पैटर्न रोकथाम एवं विनियमन दिशानिर्देश’ के लिए गजट अधिसूचना जारी की। यह अधिसूचना भारत में वस्तुओं और सेवाओं की पेशकश करने वाले सभी मंचों और विज्ञापनदाताओं तथा विक्रेताओं पर भी लागू है।
नए दिशानिर्देशों के मुताबिक डार्क पैटर्न का सहारा लेना उपभोक्ता अधिकारों का उल्लंघन होगा। इसे भ्रामक विज्ञापन या अनुचित व्यापार व्यवहार माना जाएगा। ऐसा करने पर उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार जुर्माना लगाया जाएगा।
उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमार सिंह ने कहा, ”ई-कॉमर्स बढ़ने के साथ ही उपभोक्ताओं को उनकी खरीदारी के विकल्पों और व्यवहार में हेरफेर करके गुमराह करने के लिए मंचों द्वारा डार्क पैटर्न का तेजी से इस्तेमाल किया जा रहा है।”
उन्होंने कहा कि अधिसूचित दिशानिर्देश सभी हितधारकों- खरीदारों, विक्रेताओं, बाजारों और नियामकों के लिए स्पष्टता लाएंगे कि अनुचित व्यापार गतिविधियों के रूप में क्या स्वीकार्य नहीं है। इनका उल्लंघन करने वाला उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत उत्तरदायी होगा।
क्या होती है डार्क पैटर्न मार्केटिंग?
ग्राहकों को लुभाने के लिए ई-कॉमर्स कंपनियां कई तरीके अपनाती हैं, जैसे कई बार ग्राहकों के शॉपिंग कार्ट में कोई प्रोडक्ट खुद-ब-खुद जुड़ जाता है। कई बार लोगों को ऑर्डर करने से पहले प्रोडक्ट से जुड़े अन्य फीस या खर्चों के बारे में नहीं बताया जाता। कई बार लोगों को ललचाने के लिए उनके वॉलेट में पैसे एड किए जाने का मैसेज भेजा जाता है। कई बार किसी खास प्रोडक्ट पर डिस्काउंट के लिए ‘सिर्फ एक घंटे का समय बचा है’ लिखा होता है। कई बार डिलीवरी के लिए मिनिमम ऑर्डर की लिमिट का सामना भी करना होता है। ये सभी डार्क पैटर्न मार्केटिंग के तौर-तरीके हैं।
इसके जरिए ई-कॉमर्स कंपनियां ग्राहकों का शोषण करती हैं। उन्हें ज्यादा खर्च करने के लिए मजबूर करती हैं। कई बार कुछ स्पेशल प्रोडक्ट को खास जगह देती हैं। ग्राहकों को गलत या बार-बार एक ही चीज का विज्ञापन दिखाया जाता है। वहीं अलग-अलग आईटम के हिसाब से एक ही ई-कॉमर्स साइट को कई हिस्सों में बांटकर भी कंपनियां ग्राहकों को लुभाने का काम करती हैं।