Edited By jyoti choudhary,Updated: 30 May, 2025 01:47 PM

भारतीय कागज विनिर्माता संघ (आईपीएमए) ने बढ़ते आयात पर चिंता व्यक्त करते हुए शुक्रवार को कहा कि चीन से आयात में 33 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 2024-25 में कागज एवं पेपरबोर्ड का आयात रिकॉर्ड 20.5 लाख टन पर पहुंच गया। आईपीएमए ने बयान में कहा कि आयात में...
नई दिल्लीः भारतीय कागज विनिर्माता संघ (आईपीएमए) ने बढ़ते आयात पर चिंता व्यक्त करते हुए शुक्रवार को कहा कि चीन से आयात में 33 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 2024-25 में कागज एवं पेपरबोर्ड का आयात रिकॉर्ड 20.5 लाख टन पर पहुंच गया। आईपीएमए ने बयान में कहा कि आयात में यह वृद्धि घरेलू कागज उद्योग के लिए एक बड़ी चुनौती बनकर उभरी है। इससे घरेलू उद्योग की वृद्धि क्षमता प्रभावित हुई है और क्षमता विस्तार में निवेश को खतरा उत्पन्न हुआ है।
भारतीय कागज विनिर्माता संघ ने वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि पिछले चार वर्ष में कागज एवं पेपरबोर्ड का आयात दोगुना से अधिक होकर वित्त वर्ष 2024-25 में 20.5 लाख टन हो गया। यह वित्त वर्ष 2020-21 में 10.8 लाख टन था। आईपीएमए ने कहा कि भारत में कुल कागज एवं पेपरबोर्ड आयात में चीन की हिस्सेदारी अब 27 प्रतिशत और आसियान समूह की 20 प्रतिशत है। मूल्य के संदर्भ में, वित्त वर्ष 2024-25 में कागज एवं पेपरबोर्ड का आयात करीब 15,000 करोड़ रुपए तक पहुंच गया।
आईपीएमए के अध्यक्ष पवन अग्रवाल ने कहा, ‘‘कागज के आयात में लगातार वृद्धि घरेलू कागज उद्योग के लिए चिंता का विषय है, जिसने क्षमता निर्माण और स्थिरता पहलों में काफी निवेश किया है।'' अग्रवाल ने दावा किया कि आयात ने भारत में अधिकतर छोटी एवं मध्यम कागज मिल को व्यावसायिक रूप से अव्यवहारिक बना दिया है। उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) के अनुसार देश में 850-900 से अधिक कागज मिल में से केवल 550 ही अब चालू हैं। उन्होंने कहा, ‘‘ हम सरकार से आग्रह करते हैं कि वह गुणवत्ता नियंत्रण के कड़े उपायों को लागू करे तथा व्यापार समझौतों की समीक्षा करे जो कागज आयात के लिए शुल्क-मुक्त या कम-शुल्क पहुंच प्रदान करते हैं। साथ ही व्यापार सुधारात्मक उपाय करें और भारतीय कागज उद्योग के लिए समान अवसर सुनिश्चित करें।''