Edited By jyoti choudhary,Updated: 29 Oct, 2025 05:55 PM

भारतीय रिजर्व बैंक की डिप्टी गवर्नर पूनम गुप्ता ने बुधवार को कहा कि लगातार सुधारों और आर्थिक मजबूती के कारण भारत आने वाले दशकों या संभवतः अगले कुछ वर्षों में ही 'उभरते हुए बाजार' से 'उभर चुके बाजार' का दर्जा हासिल कर सकता है। गुप्ता ने कहा कि भारत...
मुंबईः भारतीय रिजर्व बैंक की डिप्टी गवर्नर पूनम गुप्ता ने बुधवार को कहा कि लगातार सुधारों और आर्थिक मजबूती के कारण भारत आने वाले दशकों या संभवतः अगले कुछ वर्षों में ही 'उभरते हुए बाजार' से 'उभर चुके बाजार' का दर्जा हासिल कर सकता है। गुप्ता ने कहा कि भारत के नीतिगत ढांचे लगातार विकसित हो रहे हैं और ये इस समय वैश्विक स्तर पर सबसे अच्छे ढाचों में से एक हैं। उन्होंने कहा कि देश की विनिमय दर 1991 तक विनियमित थी और अब यह तेजी से बाजार संचालित हो रही है। इसके बाहरी खाते का प्रबंधन भी अच्छी तरह से किया गया है।
डिप्टी गवर्नर ने कहा, ‘‘देश के विविध भुगतान संतुलन में अंतर्निहित ताकतें हैं। चालू खाते की बात करें तो वस्तु व्यापार घाटा मजबूत सेवा निर्यात और प्रेषण प्राप्तियों से संतुलित किया गया है। तेल की कीमतें पहले की तरह निराशाजनक नहीं हैं। कुल मिलाकर चालू खाता लचीलापन दर्शाता है और पूरी तरह से टिकाऊ दायरे में है।'' उन्होंने आगे कहा कि महामारी जैसे बड़े झटकों को छोड़कर, भारत ने मोटे तौर पर राजकोषीय समेकन के मार्ग का पालन किया है।
गुप्ता ने कहा, ‘‘लचीले मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण को अपनाने के बाद बेहतर परिणाम मिले हैं। मुद्रास्फीति कम है और कम अस्थिर हो गई है। मुद्रास्फीति संबंधी अपेक्षाएं बेहतर ढंग से स्थिर हैं और मौद्रिक नीति अधिक प्रभावी हो गई है।'' डिप्टी गवर्नर ने कहा, "ऐसे सामूहिक प्रयास निश्चित रूप से भारत को आगामी दशकों में (और संभवतः आने वाले वर्षों में ही) उभरते हुए बाजार से उभर चुके बाजार की स्थिति में ले जाएंगे।" उन्होंने कहा कि नीतिगत सुधारों के पूरे ढांचे के चलते भारत का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) और प्रति व्यक्ति आय वृद्धि दर समय के साथ तेज हुई है। वृद्धि दर वैश्विक स्तर पर सबसे अधिक है।