भारत की GDP के दूसरी तिमाही में 7.2% की दर से बढ़ने का अनुमान: इंडिया रेटिंग्स

Edited By Updated: 12 Nov, 2025 12:56 PM

india s gdp projected to grow at 7 2 in the second quarter india ratings

इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च ने चालू वित्त वर्ष 2025-26 की दूसरी तिमाही में भारत की जीडीपी के 7.2 प्रतिशत की दर से बढ़ने का अनुमान लगाया है। इसमें निजी खपत वृद्धि प्रमुख चालक होगी। वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में भारतीय...

बिजनेस डेस्कः इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च ने चालू वित्त वर्ष 2025-26 की दूसरी तिमाही में भारत की जीडीपी के 7.2 प्रतिशत की दर से बढ़ने का अनुमान लगाया है। इसमें निजी खपत वृद्धि प्रमुख चालक होगी। वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में भारतीय अर्थव्यवस्था 5.6 प्रतिशत की दर से बढ़ी थी। रेटिंग एजेंसी ने कहा कि भारत के वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के चालू वित्त वर्ष में पांच तिमाहियों में सबसे तेज गति से 7.8 प्रतिशत की दर से बढ़ने का अनुमान है। वास्तविक जीडीपी, आधार वर्ष 2011-12 पर आधारित होती है। 

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) 28 नवंबर को वित्त वर्ष 2025-26 की दूसरी तिमाही के जीडीपी वृद्धि अनुमानों पर आधिकारिक आंकड़े जारी करेगा। रेटिंग एजेंसी ने बयान में कहा कि उसे उम्मीद है कि वित्त वर्ष 2025-26 की दूसरी तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर सालाना आधार पर 7.2 प्रतिशत पर मजबूत बनी रहेगी। इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च के अर्थशास्त्री एवं कार्यकारी निदेशक पारस जसराय ने कहा, ‘‘मांग पक्ष से निजी खपत, उच्च तथा निम्न आय वाले परिवारों दोनों की स्थिर वास्तविक आय में बढ़ोतरी के कारण वृद्धि का एक प्रमुख चालक है।'' उन्होंने कहा, ‘‘विनिर्माण क्षेत्र में अनुकूल आधार-आधारित माल निर्यात वृद्धि के साथ-साथ मजबूत सेवा क्षेत्र ने वित्त वर्ष 2025-26 की दूसरी तिमाही के दौरान आपूर्ति पक्ष से जीडीपी वृद्धि को बढ़ावा दिया।'' 

बयान के अनुसार, एजेंसी को उम्मीद है कि वित्त वर्ष 2025-26 की दूसरी तिमाही में निजी खपत सालाना आधार पर आठ प्रतिशत बढ़ेगी। वित्त वर्ष 2024-25 की पहली तिमाही में यह सात प्रतिशत और दूसरी तिमाही में 6.4 प्रतिशत थी। रेटिंग एजेंसी ने कहा, ‘‘वित्त वर्ष 2025-26 के बजट में घोषित आयकर कटौती से भी उपभोग मांग को बल मिला। अगर माल एवं सेवा कर (जीएसअी) की दरों को युक्तिसंगत बनाने के कारण खरीदारी के फैसले स्थगित नहीं किए गए होते तो निजी उपभोग और भी तेजी से बढ़ता।'' बयान के अनुसार, दूसरी तिमाही में निवेश की मांग सालाना आधार पर 7.5 प्रतिशत की मजबूत दर से बढ़ी है। अनिश्चितता के दौर में निवेश की मांग को बढ़ाने में स्थिर सरकारी पूंजीगत व्यय महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। 
 

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