भारत से स्पेन को पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स का एक्सपोर्ट सितंबर में 46000% बढ़ा

Edited By Updated: 06 Nov, 2025 04:28 PM

india s petroleum product exports spain increased 46 000 in september

रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद यूरोप ने रूस पर कई आर्थिक प्रतिबंध लगाए लेकिन इसके बावजूद यूरोपीय देशों की ईंधन जरूरतें अब भी रूसी तेल पर निर्भर हैं। सीधे रूस से तेल न खरीद पाने की स्थिति में यूरोप अब भारत जैसे देशों से रिफाइंड पेट्रोलियम उत्पाद आयात कर...

बिजनेस डेस्कः रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद यूरोप ने रूस पर कई आर्थिक प्रतिबंध लगाए लेकिन इसके बावजूद यूरोपीय देशों की ईंधन जरूरतें अब भी रूसी तेल पर निर्भर हैं। सीधे रूस से तेल न खरीद पाने की स्थिति में यूरोप अब भारत जैसे देशों से रिफाइंड पेट्रोलियम उत्पाद आयात कर रहा है। इसका सीधा फायदा भारत को मिला है।

ताज़ा आंकड़ों के मुताबिक, भारत से स्पेन को पेट्रोलियम निर्यात में इस साल जबरदस्त उछाल देखने को मिला है। सितंबर 2025 में भारत ने स्पेन को जितना रिफाइंड पेट्रोलियम निर्यात किया, वह पिछले साल की तुलना में लगभग 46,000% से अधिक बढ़ गया। पिछले साल सितंबर में यह निर्यात सिर्फ 1.1 मिलियन डॉलर का था, जबकि इस साल सितंबर में यह आंकड़ा 513.7 मिलियन डॉलर तक पहुंच गया है। 

महीने-दर-महीने के आधार पर देखें तो बढ़ोतरी और भी चौंकाने वाली है, लगभग 61,000% से अधिक। इसकी वजह यह है कि भारत के रिफाइनर दक्षिण यूरोप और इबेरियन क्षेत्र (स्पेन, पुर्तगाल आदि) में बढ़ती ईंधन मांग का फायदा उठा रहे हैं, खासकर एविएशन फ्यूल, डीजल और केरोसिन जैसे उत्पादों में। इस बढ़ोतरी का असर यह हुआ कि भारत से स्पेन को कुल एक्सपोर्ट सितंबर में 151% बढ़ गया।

यूरोप की बड़ी योजना

यूरोपीय संघ ने घोषणा की है कि जनवरी से वे ऐसे रिफाइंड पेट्रोलियम उत्पादों का आयात पूरी तरह रोक देंगे, जो रूसी कच्चे तेल से बने हों, भले ही उन्हें भारत जैसे किसी देश में रिफाइन किया गया हो। इसके अलावा, EU ने 2027 तक रूसी LNG के आयात पर पूरी तरह बैन लगाने की योजना भी बनाई है।

भारत को क्यों मिल रहा फायदा?

रूस अब भारत को उसकी कुल तेल जरूरतों का 34% तक कच्चा तेल सप्लाई कर रहा है, जबकि युद्ध से पहले यह हिस्सा सिर्फ 0.2% था। भारत बड़ा रिफाइनर होने के कारण इस सस्ते तेल को प्रोसेस कर विश्व बाजार में बेच रहा है और इससे उसे भारी कमाई हो रही है।

पहले भारत का रिफाइंड तेल ज्यादातर नीदरलैंड्स को जाता था, जो यूरोप का मुख्य वितरण केंद्र माना जाता है लेकिन अब नियम सख्त होने की वजह से भारतीय कंपनियां जोखिम से बचते हुए सीधे स्पेन जैसे बाजारों को सप्लाई कर रही हैं, जहां वास्तविक मांग मौजूद है।

क्या बदल रहा है?

यह बदलाव साफ दिखाता है कि भारत यूरोप के उत्तरी वितरण नेटवर्क से हटकर अब सीधे दक्षिणी यूरोप के बाज़ारों पर फोकस कर रहा है। हालांकि यूरोपीय संघ को भेजा गया कुल पेट्रोलियम निर्यात सितंबर में थोड़ा घटा लेकिन ग्लोबली भारत का पेट्रोलियम निर्यात 14.8% बढ़ा है, जो भारत की रिफाइनिंग क्षमता और रणनीतिक अवसरों के उपयोग को दर्शाता है।
 

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