Edited By jyoti choudhary,Updated: 24 Jun, 2025 03:06 PM

वित्तीय प्रबंधन फर्म Equirus की हालिया रिपोर्ट में भारत की आर्थिक मजबूती को रेखांकित करते हुए कहा गया है कि आने वाले वर्षों में भारत की वृद्धि दर G7 देशों से आगे निकलने वाली है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत के आर्थिक परिदृश्य को अब वैश्विक पूंजी नजरअंदाज...
नई दिल्लीः वित्तीय प्रबंधन फर्म Equirus की हालिया रिपोर्ट में भारत की आर्थिक मजबूती को रेखांकित करते हुए कहा गया है कि आने वाले वर्षों में भारत की वृद्धि दर G7 देशों से आगे निकलने वाली है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत के आर्थिक परिदृश्य को अब वैश्विक पूंजी नजरअंदाज नहीं कर सकती।
Equirus का कहना है कि भारत की तेज़ विकास दर के पीछे मजबूत मैक्रोइकोनॉमिक फंडामेंटल्स, सरकारी पूंजीगत व्यय में वृद्धि, ग्रामीण खपत में सुधार और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में संरचनात्मक बदलाव जैसे कारक अहम भूमिका निभा रहे हैं। वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता के बीच भारत की स्थिति लगातार सुदृढ़ होती जा रही है।
भारत अब सिर्फ कागज़ों पर नहीं, हकीकत में सबसे तेज़ बढ़ती अर्थव्यवस्था
Equirus Credence Family Office के CEO मितेश शाह के मुताबिक, भारत अब केवल दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के रूप में नहीं देखा जा रहा, बल्कि वह संरचनात्मक रूप से G7 देशों से कहीं बेहतर स्थिति में पहुंच चुका है। उन्होंने इसे वैश्विक आर्थिक संतुलन में एक बड़ा बदलाव करार दिया।
शाह ने बताया कि 2025 से 2030 के बीच भारत वैश्विक GDP वृद्धि में 15% से अधिक योगदान देगा, जो एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। इसके विपरीत, पारंपरिक वैश्विक निवेश रणनीतियां जैसे 60/40 पोर्टफोलियो अब चुनौतीपूर्ण होती जा रही हैं।
ग्रामीण खपत और सरकारी खर्च बना गेमचेंजर
- ग्रामीण FMCG खपत 6% की दर से बढ़ी, जबकि शहरी क्षेत्रों में यह दर 2.8% रही।
- सरकार का पूंजीगत व्यय 17.4% की दर से बढ़ा है।
- 2.5 लाख करोड़ रुपए की तरलता प्रणाली में डाली जा रही है, जिससे आर्थिक गतिविधियों को समर्थन मिल रहा है।
पिछले दशक में, ग्रामीण और शहरी परिवारों के मासिक प्रति व्यक्ति व्यय में अंतर 84% से घटकर 70% हो गया है। इससे यह संकेत मिलता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था अब उपभोग आधारित पुनरुद्धार की ओर बढ़ रही है।
बदलती निवेश रणनीतियों की जरूरत
Equirus ने पारंपरिक 60/40 निवेश पोर्टफोलियो की प्रासंगिकता पर भी सवाल उठाए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, आज के बिखरते वैश्विक वित्तीय परिदृश्य में सिर्फ इक्विटी और बॉन्ड में निवेश करना पर्याप्त नहीं है। लचीला और भौगोलिक रूप से विविध निवेश ही पूंजी की रक्षा और बेहतर रिटर्न का माध्यम बन सकते हैं।
भारत की वैश्विक भूमिका और 'चाइना +1' रणनीति का असर
भारत का वैश्विक GDP वृद्धि में योगदान अब जापान और जर्मनी जैसे देशों से भी अधिक हो गया है।
साथ ही, वैश्विक रुझान जैसे कि:
- डॉलर इंडेक्स (DXY) में 2025 के उच्चतम स्तर से 6% गिरावट
- कच्चे तेल की कीमतें स्थिर होकर 70 डॉलर प्रति बैरल के आसपास
मैन्युफैक्चरिंग के क्षेत्र में, 'चाइना +1' रणनीति का प्रभाव दिखने लगा है। Apple जैसी बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने iPhone के कुछ हिस्सों का उत्पादन भारत में स्थानांतरित किया है। भारत में लो कॉस्ट स्ट्रक्चर, कम एट्रिशन रेट और मजबूत भू-राजनीतिक संरेखण इसके प्रमुख कारण हैं।
चुनावोत्तर भारत का आर्थिक दृष्टिकोण सकारात्मक
2025 के चुनावों के बाद भारत की आर्थिक दिशा को मजबूती मिली है। केंद्र और राज्य सरकारों की ओर से पूंजीगत खर्च में 17.4% की वृद्धि और CRR में चरणबद्ध कटौती के ज़रिए तरलता समर्थन जैसे फैसलों से आर्थिक रफ्तार को अतिरिक्त बल मिल रहा है।