Retail Inflation: महंगाई ने दिया जोर का झटका, 14 महीनों के हाईएस्ट लेबल पर, खाने-पीने की चीजों के दाम बढ़े

Edited By Updated: 12 Nov, 2024 04:28 PM

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अक्टूबर में रिटेल महंगाई बढ़कर 6.21% पर पहुंच गई है। ये महंगाई का 14 महीनों का उच्चतम स्तर है। अगस्त 2023 में महंगाई 6.83% रही थी। वहीं अक्टूबर से एक महीने पहले सितंबर 2024 में खराब मौसम और सब्जियों के महंगे होने से रिटेल महंगाई बढ़कर 5.49% पर पहुंच...

बिजनेस डेस्कः अक्टूबर में रिटेल महंगाई बढ़कर 6.21% पर पहुंच गई है। ये महंगाई का 14 महीनों का उच्चतम स्तर है। अगस्त 2023 में महंगाई 6.83% रही थी। वहीं अक्टूबर से एक महीने पहले सितंबर 2024 में खराब मौसम और सब्जियों के महंगे होने से रिटेल महंगाई बढ़कर 5.49% पर पहुंच गई थी।

खाने पीने की चीजों के दामों में बढ़ोतरी से महंगाई बढ़ी है। महंगाई के बास्केट में लगभग 50% योगदान खाने-पीने की चीजों का होता है। इसकी महंगाई महीने-दर-महीने आधार पर 9.24% से बढ़कर 10.87% हो गई है। वहीं ग्रामीण महंगाई 5.87% से बढ़कर 6.68% और शहरी महंगाई 5.05% से बढ़कर 5.62% हो गई है।

महंगाई कैसे प्रभावित करती है? 

महंगाई का सीधा संबंध पर्चेजिंग पावर से है। उदाहरण के लिए यदि महंगाई दर 6% है, तो अर्जित किए गए 100 रुपए का मूल्य सिर्फ 94 रुपए होगा। इसलिए महंगाई को देखते हुए ही निवेश करना चाहिए। नहीं तो आपके पैसे की वैल्यू कम हो जाएगी।

महंगाई कैसे बढ़ती-घटती है? 

महंगाई का बढ़ना और घटना प्रोडक्ट की डिमांड और सप्लाई पर निर्भर करता है। अगर लोगों के पास पैसे ज्यादा होंगे तो वे ज्यादा चीजें खरीदेंगे। ज्यादा चीजें खरीदने से चीजों की डिमांड बढ़ेगी और डिमांड के मुताबिक सप्लाई नहीं होने पर इन चीजों की कीमत बढ़ेगी।

इस तरह बाजार महंगाई की चपेट में आ जाता है। सीधे शब्दों में कहें तो बाजार में पैसों का अत्यधिक बहाव या चीजों की शॉर्टेज महंगाई का कारण बनता है। वहीं अगर डिमांड कम होगी और सप्लाई ज्यादा तो महंगाई कम होगी।
 

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