मोरेटोरियम पर फैसलाः सुप्रीम कोर्ट ने कहा- लोन का पूरा ब्याज माफ करना मुमकिन नहीं

Edited By Updated: 23 Mar, 2021 11:52 AM

sc said it is not possible to forgive the entire interest of the loan

सु्प्रीम कोर्ट में लोन मोरटोरियम मामले की सुनवाई के दौरान तीन जजों की बेंच ने यह फैसला सुनाया कि मोरटोरियम पीरियड के दौरान लोन का पूरा ब्याज माफ करना मुमकिन नहीं है। बैंकों को डिपॉजिटर्स को पेमेंट करना ही होगा। जस्टिस शाह ने कहा, "कोर्ट को इकोनॉमिक...

बिजनेस डेस्कः सु्प्रीम कोर्ट में लोन मोरटोरियम मामले की सुनवाई के दौरान तीन जजों की बेंच ने यह फैसला सुनाया कि मोरटोरियम पीरियड के दौरान लोन का पूरा ब्याज माफ करना मुमकिन नहीं है। बैंकों को डिपॉजिटर्स को पेमेंट करना ही होगा। जस्टिस शाह ने कहा, "कोर्ट को इकोनॉमिक पॉलिसी के मामले में बोलने का हक नहीं है। महामारी का असर सभी सेक्टर्स पर पड़ा है और सरकार प्रवासी मजदूरों को ट्रांसपोर्टेशन मुहैया कराने सहित कई तरह के सहयोग दे रही है। जबकि महामारी के दौरान सरकार को आमदनी के मोर्चे पर कोई सहयोग नहीं मिला। यहां तक कि GST से होने वाली आमदनी भी घट गई।"

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सरकार और RBI आपस में विचार करे
शाह ने कहा, "हमने रिलीफ के बारे में अलग से सोचा लेकिन ब्याज पूरी तरह माफ करना मुमकिन नहीं है क्योंकि बैंकों को अपने डिपॉजिटर्स और पेंशनर्स को पेमेंट करना होगा" शाह ने यह भी कहा कि इकोनॉमी पॉलिसी और फाइनेंशियल पैकेज के बारे में केंद्र सरकार और RBI आपस में विचार करने के बाद कोई फैसला लेगी।

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केंद्र और RBI ने उठाए कई तरह के कदम
जस्टिस शाह ने कहा कि केंद्र सरकार और RBI ने कई तरह के कदम उठाए हैं। यह नहीं कहा जा सकता कि कोरोनावायरस संक्रमण के दौरान केंद्र ने जरूरी उपाय नहीं किए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा याचिकाकर्ताओं को ब्याज पर लगने वाले ब्याज माफी, मोरटोरियम पीरियड बढ़ाने या किसी खास सेक्टर के लिए स्पेशल फायदा नहीं मिलेगा।

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क्या है मामला
उल्लेखनीय है कि कोरोना काल में वायरस के असर को कम करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने कर्ज देने वाली संस्थाओं को लोन के भुगतान पर मोराटोरियम की सुविधा देने के लिए कहा था। ये सुविधा पहले 1 मार्च 2020 से 31 मई 2020 के बीच दिए गए लोन पर दी जा रही थी, जिसे बाद में 31 अगस्त 2020 तक बढ़ा दिया गया।

बाद में रिजर्व बैंक ने बाकी सभी बैंकों को एक बार लोन रीस्ट्रक्चर करने की इजाजत दी, वो भी उस कर्ज को बिना एनपीए में डाले, जिससे कंपनियों और इंडिविजुअल्स को कोरोना महामारी के दौरान वित्तीय परेशानियों से लड़ने में मदद मिल सके। इस लोन रीस्ट्रक्चरिंग के लिए सिर्फ वही कंपनियां या इंडिविजुअल योग्य थे, जिनके खाते 1 मार्च 2020 तक 30 दिन से अधिक डिफॉल्ट स्टेटस में नहीं रहे हों। कंपनियों के मामले में 31 दिसंबर 2020 तक रिजॉल्यूशन प्लान तैयार करना था और उसे 30 जून 2021 तक लागू करना था। पर्सनल लोन के मामले में भी रिजॉल्यूशन प्लान तो 31 दिसंबर 2020 तक तैयार करना था, लेकिन उसे 90 दिनों के अंदर लागू करना था।

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