Edited By jyoti choudhary,Updated: 06 Dec, 2025 05:31 PM

भारतीय रुपया अपने रिकॉर्ड निचले स्तर के पास बना हुआ है लेकिन केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का कहना है कि मौजूदा मजबूत आर्थिक हालात को देखते हुए रुपए की कमजोरी को लेकर ज्यादा चिंता करने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि 'रुपया अपनी राह खुद...
बिजनेस डेस्कः भारतीय रुपया अपने रिकॉर्ड निचले स्तर के पास बना हुआ है लेकिन केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का कहना है कि मौजूदा मजबूत आर्थिक हालात को देखते हुए रुपए की कमजोरी को लेकर ज्यादा चिंता करने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि रुपया अपनी राह खुद बनाएगा और इस विषय पर चर्चा को देश की वर्तमान आर्थिक स्थिति के संदर्भ में समझना चाहिए।
रुपए में गिरावट के बावजूद अर्थव्यवस्था मजबूत
4 दिसंबर को रुपया डॉलर के मुकाबले ₹90.46 के सर्वकालिक निचले स्तर पर पहुंचा था। विशेषज्ञ इसका कारण भारत–अमेरिका ट्रेड डील में देरी और विदेशी निवेशकों की लगातार निकासी को बता रहे हैं। दिलचस्प है कि यह कमजोरी ऐसे समय में दिखी है जब देश में खुदरा महंगाई रिकॉर्ड लो 0.25% पर है और जीडीपी ग्रोथ 8% से ऊपर बनी हुई है।
सीतारमण ने कहा कि कमजोर रुपए से निर्यातकों को लाभ मिल सकता है लेकिन केवल इसी आधार पर रुपए की गिरावट को ‘फायदेमंद’ बताना सही मूल्यांकन नहीं है। उनके अनुसार, मजबूत विकास दर और स्थिर आर्थिक माहौल रुपए की मौजूदा स्थिति को बेहतर ढंग से समझाते हैं।
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वित्त मंत्रालय का रुख
वित्त मंत्रालय का कहना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था की रफ्तार आगे भी बनी रहेगी।
- Q2FY26 में जीडीपी वृद्धि 8.2% के छह-तिमाही उच्च स्तर पर रही।
- अक्टूबर में खुदरा महंगाई 0.25% तक गिर गई, जो अब तक का सबसे निचला स्तर है।
सीतारमण ने भरोसा जताया कि FY26 में ग्रोथ 7% या उससे अधिक रहने की संभावना है। उन्होंने कहा कि भारत की आर्थिक स्थिति आज कई बड़े देशों की तुलना में कहीं ज्यादा स्थिर और तेज है, यही वजह है कि रुपए की गिरावट के बावजूद आर्थिक बुनियाद मजबूत बनी हुई है।
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टैक्स और जीएसटी सुधारों पर संकेत
वित्त मंत्री ने आयकर कटौती और जीएसटी दरों में सरलीकरण के प्रभाव पर भी बात की। उनके मुताबिक, इनकम टैक्स में बदलावों का असर अगले साल टैक्स कलेक्शन में दिखेगा लेकिन लोगों के खर्च में बढ़ोतरी अभी से दिखाई देने लगी है। जीएसटी सुधार पूरे देश में समान रूप से लागू होते हैं, इसलिए इनके असर को मध्यम अवधि में समझना ज्यादा उचित होगा। कुल मिलाकर सरकार का रुख स्पष्ट है — बुनियादी ढांचे की मजबूती, स्थिर महंगाई और निरंतर आर्थिक सुधारों की बदौलत भारत की अर्थव्यवस्था आने वाले महीनों में भी मजबूत राह पर बनी रहेगी।