Edited By jyoti choudhary,Updated: 30 Oct, 2025 05:25 PM

भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती का डंका एक बार फिर पूरी दुनिया में बजा है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की नई रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2024-25 में भारत में विदेशी निवेश (FDI) का प्रवाह और मजबूत हुआ है। आरबीआई की ‘सर्वे ऑफ फॉरेन लायबिलिटी एंड एसेट’...
बिजनेस डेस्कः भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती का डंका एक बार फिर पूरी दुनिया में बजा है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की नई रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2024-25 में भारत में विदेशी निवेश (FDI) का प्रवाह और मजबूत हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार, विदेशी निवेशकों के लिए भारत आज भी एक ‘हॉटस्पॉट’ बना हुआ है। आरबीआई की ‘सर्वे ऑफ फॉरेन लायबिलिटी एंड एसेट’ (FLA) 2024-25 रिपोर्ट के अनुसार, भारत को मिलने वाले कुल एफडीआई का 34.3% हिस्सा सिर्फ दो देशों अमेरिका और सिंगापुर से आया है।
रिपोर्ट बताती है कि भारत का कुल एफडीआई अब बढ़कर ₹68.75 लाख करोड़ तक पहुंच गया है, जो पिछले साल के ₹61.88 लाख करोड़ के मुकाबले 11.1% की वृद्धि दर्शाता है। इनमें से अमेरिका का योगदान सबसे ज्यादा 20% है, जबकि सिंगापुर 14.3% हिस्सेदारी के साथ दूसरे स्थान पर है। इनके बाद मॉरीशस (13.3%), ब्रिटेन (11.2%) और नीदरलैंड (9%) प्रमुख निवेशकों में शामिल हैं।
आरबीआई के इस सर्वे में 45,702 भारतीय कंपनियों के आंकड़े शामिल किए गए, जिनमें से 41,517 ने एफडीआई या विदेशी निवेश में भागीदारी की थी।
रिपोर्ट की एक अहम झलक यह है कि अब विदेशी निवेशक भारत के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को सबसे ज्यादा प्राथमिकता दे रहे हैं। इस सेक्टर में एफडीआई का 48.4% हिस्सा गया है, जो अब भारत की औद्योगिक क्षमता पर बढ़ते भरोसे को दर्शाता है। यह 'मेक इन इंडिया' पहल के लिए बड़ी सफलता मानी जा रही है।
मैन्युफैक्चरिंग के बाद सर्विस सेक्टर विदेशी निवेशकों का दूसरा पसंदीदा क्षेत्र रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह ट्रेंड भारत की दीर्घकालिक आर्थिक स्थिरता और वैश्विक उत्पादन केंद्र के रूप में उसकी बढ़ती भूमिका को मजबूत करता है।