Edited By Ajay Chandigarh,Updated: 01 Apr, 2023 07:46 PM
हरियाणा में विकास योजनाओं को अमलीजामा पहनाने में भले ही सरकार की ओर से तमाम दावे किए जाते रहे हो लेकिन जिला योजना स्कीमों का पैसा समय से खर्च नहीं होने से करोड़ों रुपए लैप्स हो गए। यह खुलासा सी.ए.जी. की रिपोर्ट में हुआ है। सी.ए.जी. ने अपनी...
चंडीगढ़,(पांडेय): हरियाणा में विकास योजनाओं को अमलीजामा पहनाने में भले ही सरकार की ओर से तमाम दावे किए जाते रहे हो लेकिन जिला योजना स्कीमों का पैसा समय से खर्च नहीं होने से करोड़ों रुपए लैप्स हो गए। यह खुलासा सी.ए.जी. की रिपोर्ट में हुआ है। सी.ए.जी. ने अपनी लेखापरीक्षा रिपोर्ट में साफ किया है कि 2018-19 से 2020-21 तक के वर्षों में आवंटित राशि में उल्लेखनीय गिरावट आई। जिसमें 2018-19 में 700 करोड़ रुपए और 2020-21 में 200 करोड़ रुपए का बजट खर्च नहीं हो सका। यह गिरावट विभाग द्वारा निर्धारित समय-सीमा के अंदर आवंटित धनराशि का उपयोग करने में असमर्थता का प्रत्यक्ष परिणाम है।
रिपोर्ट में बताया गया कि जिला योजनाएं तैयार की गई और काफी देरी से मुख्यालय को भेजी गई जिससे काम शुरू होने में विलंब हुआ और परिणाम स्वरूप निधियां व्यपगत हुई। विभिन्न मुख्य योजना एवं विकास अधिकारियों को उनकी वास्तविक आवश्यकता का आकलन किए बिना और उस अंतर्निहित उद्देश्य की पहचान किए बिना एकमुश्त और विवेकाधीन आधार पर निधियां आवंटित की गई थी जिसके कारण निधियों का उपयोग करना अपेक्षित था।
दरअसल हरियाणा में वर्ष 2008-09 में विभिन्न विकास कार्यों को करने के लिए जिला योजना स्कीम शुरू की गई थी। जिला योजना राज्य में विभिन्न विकास कार्यों को करने के लिए अर्थ तथा सांख्यिकी विश्लेषण विभाग द्वारा प्रदेश में चल रही विकास योजना है।