Edited By Jyoti,Updated: 02 Mar, 2020 12:54 PM
जब भी कभी वास्तु की बात होती है तो सबस पहले दिमाग में दिशाएं आती हैं क्योंकि वास्तु का सबसे स्ट्रांग क्नेक्शन या कहें संबंध दिशाओं से ही होता है।
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जब भी कभी वास्तु की बात होती है तो सबस पहले दिमाग में दिशाएं आती हैं क्योंकि वास्तु का सबसे स्ट्रांग क्नेक्शन या कहें संबंध दिशाओं से ही होता है। परंतु बहुत कम लोग जानते हैं कि इसमें इसके अलावा भी कई ऐसी चीज़ों के बारे में बताया गया है जो मानव जीवन पर अपना प्रभाव छोड़ती हैं। आज हम आपके लिए वास्तु से जुड़ी ऐसी ही महत्वपूर्ण जानकारी के बारे में बताने वाले हैं, जिसका पालन करन से आपका जीवन बेहतर होगा साथ ही जिस भी क्षेत्र में आप सफलता हासिल करना चाहते हैं कर पाएंगे। तो आइए जानते हैं-
आज कल नया नया घर लेने से पहले या घर के लेने की ज़मीन लेने से पहले हम इस बात का अधिक ध्यान देते हैं कि आज पास की लोकैलिटी अच्छी हो। ताकि सोसाईटी में एक अच्छा स्थान प्राप्त हो सके। इस बात की ओर कोई ध्यान नहीं देता जहां घर है वास्तु के हिसाब से उसके आस-पास का वातावरण कैसा, वो स्थान कैसा, घर की दिशा किस तरफ़ होनी चाहिए? क्योंकि बहुत से लोग हैं जो वास्तु शास्त्र व इसमें बताई गई बातों से बिल्कुल अंजान है। यही कारण है कि अक्सर लोगों को कहते सुना जाता है कि नई जगह पर बनाया घर उन्हें फला नहीं, उनकी लाईफ में परेशानियां आने लगी आदि। जिसका कारण उनके घर का वास्तु दोष है। मगर इस बारे में अधिक जानकारी न होने के कारण इसे ठीक नहीं कर पाते।
दरअसल वास्तुशास्त्र में माना गया है कि दुकान या घर आदि के लिए प्लॉट खरीदने से पहले उसके चारों ओर की बनावट, वातावरण तथा मूलभूत ढांचे की समीक्षा कर लेनी चाहिए। अर्थात किसी भी जगह पर भवन निर्माण करने से पहले उचित भूखंड का चयन कर उसका भूमि परीक्षण करना चाहिए कि क्या वहां घर बनवाना शुभ होगा या नहीं। माना जाता है कि ऐसा करने से भवन निर्माण के उपरांत वहां निवास करने वाले सदस्य अनेक प्रकार की परेशानियों से बच सकते हैं। वास्तु शास्त्र में बताया गया है जिस जगह वास्तु कार्य होना हो, उस जगह के वातावरण के साथ पानी की व्यवस्था का भी विशेष ध्यान रखना चाहिए।
ऐसे करें मिट्टी की पहचान-
जब भी नई दुकान या घर के ज़मीन लें तो उसकी ऊपरी मिट्टी की परत को हटाकर थोड़ी नीचे की मिट्टी को हाथ में लेकर देखें कि इसका रंग कौन सा है। बता दें इसे देखने से आसानी से पता लग जाता है और सूंघकर इसकी गंध व चखकर इसका स्वाद मालूम हो जाता है। कहा जाता है श्वेत रंग की मिट्टी सुगंध और मिठास लिए हुए है तो इसे ब्राह्मणी मिट्टी कहते हैं।
ऐसी मिट्टी वाले भूखंड पर निर्मित भवन बुद्धिजीवियों, धार्मिक व्यक्तियों के लिए अनुकूल मानी जाती है, यानि ये आध्यात्मिक सुख प्रदानकरती है। वास्तु विशेषज्ञ के अनुसार क्षत्रिया मिट्टी लाल रंग, तीखी गंध और तीखे कसैले स्वाद वाली होती है। ऐसी मिट्टी के भूखंड प्रशासकों और राजकीय अधिकारियों के लिए उपयुक्त होते हैं तथा साथ ही वर्चस्व और पराक्रम में भी बढ़ोतरी करती है।
हल्के पीले रंग की हल्की गंध और खटास वाली मिट्टी वैश्य मिट्टी कहलाती है। ऐसे स्थान पर आवास बनाना लाभकारी माना गया है जो धन-धान्य से पूर्ण करती है इसके साथ ही व्यवसायी और व्यापारी वर्ग के लिए भी ये स्थान शुभ होता है।
इनके अतिरिक्त तीखी हल्की गंध और कड़वे स्वाद वाली काली मिट्टी को शुद्ध मिट्टी कहा जाता है। इस प्रकार की मिट्टी वाले भूखंड पर निर्माण करना सभी के लिए शुभ होतै है।