Edited By Niyati Bhandari,Updated: 22 Aug, 2022 08:01 AM
भगवान को एकादशी परम प्रिय है तथा इसका व्रत करने वाले भक्त संसार के सभी सुखों को भोगते हुए अंत में प्रभु के परम धाम को प्राप्त करते हैं। एकादशी में रात्रि जागरण की अत्यधिक महता है।
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Aja Ekadashi 2022: भगवान को एकादशी परम प्रिय है तथा इसका व्रत करने वाले भक्त संसार के सभी सुखों को भोगते हुए अंत में प्रभु के परम धाम को प्राप्त करते हैं। एकादशी में रात्रि जागरण की अत्यधिक महता है। इस दिन किए गए दान का भी कई गुणा अधिक पुण्यफल प्राप्त होता है। जिस कामना से कोई एकादशी व्रत करता है उसकी सभी कामनाएं बड़ी जल्दी पूरी हो जाती हैं।
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Aja Ekadashi Vrat Katha: सतयुग में सूर्यवंशी चक्रवर्ती राजा हरीशचन्द्र हुए जो बड़े सत्यवादी थे। एक बार उन्होंने अपने वचन की खातिर अपना सम्पूर्ण राज्य राजऋषि विश्वामित्र को दान कर दिया तथा दक्षिणा देने के लिए अपनी पत्नी एवं पुत्र को ही नहीं स्वयं तक को दास के रुप में एक चण्डाल को बेच डाला।
अनेक कष्ट सहते हुए भी वह सत्य से विचलित नहीं हुए तब एक दिन उन्हें ऋषि गौतम मिले।
जिन्होंने उन्हें अजा एकादशी की महिमा सुनाते हुए यह व्रत करने के लिए कहा। राजा हरीश्चन्द्र ने अपनी सामर्थ्यानुसार इस व्रत को किया, जिसके प्रभाव से उन्हें न केवल उनका खोया हुआ राज्य प्राप्त हुआ बल्कि परिवार सहित सभी प्रकार के सुख भोगते हुए अंत में वह प्रभु के परमधाम को प्राप्त हुए। अजा एकादशी व्रत के प्रभाव से ही उनके सभी पाप नष्ट हो गए तथा उन्हें अपना खोया हुआ राज्य एवं परिवार भी प्राप्त हुआ था।