Balarama Jayanti Katha: बलराम जयंती पर पढ़ें कथा, जीवन में अन्न और बल की कभी कमी नहीं रहेगी

Edited By Updated: 14 Aug, 2025 12:11 PM

balarama jayanti katha

Balaram jayanti 2025: हर साल श्री कृष्ण जन्माष्टमी से पहले भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को बलराम जयंती का पर्व मनाए जाने का विधान है। बहुत सारे स्थानों पर श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि यानी रक्षा बंधन के दिन भी बलराम जयंती का पर्व मनाया...

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Balaram jayanti 2025: हर साल श्री कृष्ण जन्माष्टमी से पहले भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को बलराम जयंती का पर्व मनाए जाने का विधान है। बहुत सारे स्थानों पर श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि यानी रक्षा बंधन के दिन भी बलराम जयंती का पर्व मनाया जाता है। तिथियों में चाहे मतभेद हैं लेकिन भक्ति और आस्था से बलराम जी का जन्मदिन मनाया जाता है। उपवास, जप, यज्ञ और कीर्तन से श्री कृष्ण के भ्राता को प्रसन्न करने का प्रयास किया जाता है।

Balaram jayanti

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन को हल छठ या हलषष्ठी के नाम से भी जाना जाता है। बता दें शास्त्रों में हल से मतलब है बलराम और छठ का मतलब षष्ठी तिथि से बताया गया है। ज्योतिष बताते हैं कि प्रत्येक वर्ष बलराम जंयती का पर्व श्री कृष्ण जन्माष्टमी से ठीक दो दिन पहले मनाया जाता है। चूंकि द्वापर युग में जब श्री कृष्ण ने जन्म लिया तो शेषनाग जी न इस बार उनके बड़े भाई के रूप में जन्म लिया था इसलिए पहले उनका जन्म हुआ था।

Balaram jayanti
Balarama Jayanti Vrat Katha बलराम जयंती व्रत कथा: किंवदंती के अनुसार प्राचीन काल में द्वापर युग के समय, गोकुल और वृंदावन के आसपास का क्षेत्र हरियाली और जल से भरपूर था। लेकिन एक वर्ष ऐसा आया जब धरती सूख गई, खेत बंजर हो गए और लोगों के चेहरों पर निराशा छा गई। गांव के बुजुर्ग चिंतित होकर नंद भवन पहुंचे और बोले, “गोपेश्वर! इस बार न तो खेतों में अन्न है, न तालाब में पानी। लगता है धरती माता हमसे रुष्ट हैं।”

नंद बाबा ने यह बात रोहिणी माता और बालराम को बताई। तब बालराम जो उस समय युवा और बलवान हो चुके थे, गंभीर स्वर में बोले, “धरती मां को केवल पूजा से नहीं, श्रम और न्याय से प्रसन्न किया जा सकता है।”

Balaram jayanti
अगले ही दिन उन्होंने गांव के सभी स्त्री-पुरुष, बालक-बालिकाओं को एकत्र किया। हाथ में हल और मूसल लेकर स्वयं खेत में उतर पड़े। वे मिट्टी को जोतते, जल के लिए नहर बनाते और थके हुए लोगों को उत्साह देते। तीन दिन और तीन रात की मेहनत के बाद खेतों में नमी लौट आई और बादलों ने घेरकर वर्षा बरसा दी।

उसी समय धरती माता प्रकट होकर बोली, “वत्स बलराम! तुम केवल बल के ही नहीं, परिश्रम और धर्म के भी प्रतीक हो। तुम्हारे स्पर्श से मैं सदा उर्वर और समृद्ध रहूंगी।”

धरती माता ने आशीर्वाद दिया कि जो भी मनुष्य बलराम जयंती के दिन बलराम का व्रत करेगा, हल और अन्न का पूजन करेगा और भूमि-संरक्षण का संकल्प लेगा। उसके जीवन में अन्न, जल और बल की कभी कमी नहीं होगी।

Balaram jayanti

Related Story

IPL
Royal Challengers Bengaluru

190/9

20.0

Punjab Kings

184/7

20.0

Royal Challengers Bengaluru win by 6 runs

RR 9.50
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!