Edited By Sarita Thapa,Updated: 19 Sep, 2025 06:01 AM

किसी निर्जन स्थान पर छोटी-सी झोपड़ी में एक साधु रहते थे। एक दिन वह कुटिया में लेटे थे कि अचानक बादल घिर आए, जोरों की वर्षा होने लगी। तभी दरवाजे पर थपथपाहट की आवाज सुनाई दी।
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Best Motivational Story: किसी निर्जन स्थान पर छोटी-सी झोपड़ी में एक साधु रहते थे। एक दिन वह कुटिया में लेटे थे कि अचानक बादल घिर आए, जोरों की वर्षा होने लगी। तभी दरवाजे पर थपथपाहट की आवाज सुनाई दी। साधु ने उठकर दरवाजा खोला। उन्होंने देखा कि दरवाजे पर एक व्यक्ति खड़ा है। वह पानी से पूरी तरह भीगा था।

वह बोला- महाराज, भयंकर आंधी-वर्षा में मैं रास्ता भूलकर इधर आ गया हूं। आस-पास समय गुजारने की और कोई जगह नहीं है। कृपया मुझे रात गुजारने के लिए जगह दे दें। साधु बोले-भाई, तुम तो बहुत भीग चुके हो, अंदर आ जाओ। मेरी झोंपड़ी में इतनी जगह तो है ही कि हम दोनों भले ही सो न पाएं परन्तु आराम से बैठ तो सकते हैं। वह अंदर आ गया। साधु उससे बातचीत करने लगे।
अभी थोड़ी देर ही हुई थी कि दरवाजे पर फिर थपथपाहट हुई। साधु ने दरवाजा खोला। दोनों ने देखा कि पानी से बुरी तरह भीगा एक व्यक्ति खड़ा है। उस व्यक्ति ने भी कहा-कृपया मुझे आश्रय दे दीजिए। विनम्र भाव से साधु बोले- भाई, मेरी झोंपड़ी छोटी सही पर तुम्हें यहां ठहरने की जगह मिल जाएगी।

इसमें 2 आदमी बैठ सकते हैं, तो तीन आदमी खड़े होकर समय गुजार सकते हैं। तुम्हारी सहायता करना मेरा फर्ज है। आओ भाई, अंदर आ जाओ। यह कहकर साधु ने उस व्यक्ति को झोंपड़ी के अंदर ले लिया और फिर दरवाजा बंद कर दिया। साधु की छोटी-सी कुटिया में वर्षा से बचे वे तीनों खड़े-खड़े आराम से बातें कर रहे थे।
