Edited By Sarita Thapa,Updated: 02 Aug, 2025 09:44 AM

Budh Pradosh Vrat 2025: सनातन धर्म में प्रदोष व्रत का बहुत खास महत्व है, जो हर महीने के प्रदोष दिन यानी कृष्ण या शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। यह दिन देवों के देव महादेव की पूजा के लिए बहुत शुभ और पवित्र माना जाता है।
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Budh Pradosh Vrat 2025: सनातन धर्म में प्रदोष व्रत का बहुत खास महत्व है, जो हर महीने के प्रदोष दिन यानी कृष्ण या शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। यह दिन देवों के देव महादेव की पूजा के लिए बहुत शुभ और पवित्र माना जाता है। बुध प्रदोष व्रत सावन महीने में विशेष रूप से उस दिन होता है जब प्रदोष तिथि बुधवार के दिन पड़ती है। मान्यता है कि इस दिन सच्चे मन से भगवान शिव की पूजा करने और व्रत रखने से जीवन में समृद्धि, स्वास्थ्य और मानसिक शांति की प्राप्ति होती है और घर-परिवार में मधुरता बनी रहती है। तो आइए जानते हैं सावन महीने में पड़ने वाली बुध प्रदोष के शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में-

Budh Pradosh Vrat Shubh Muhurat बुध प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, सावन माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 06 अगस्त को दोपहर 02 बजकर 08 मिनट पर शुरू होगी और इसका समापन 07 अगस्त को दोपहर 02 बजकर 27 मिनट पर होगा। प्रदोष व्रत के दिन पूजा का समय शाम 07 बजकर 08 मिनट से लेकर 09 बजकर 16 मिनट तक है।

Importance of Budh Pradosh Vrat बुध प्रदोष व्रत महत्व
सावन महीने में जब प्रदोष तिथि बुधवार के दिन पड़ती है, तब उसे बुध प्रदोष व्रत कहा जाता है। इस व्रत को करने से शिवजी की विशेष कृपा प्राप्त होती है और जीवन के सभी संकट दूर होते हैं। माना जाता है कि इस दिन व्रत रखने से व्यक्ति के घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है। साथ ही मानसिक तनाव कम होता है और स्वास्थ्य में सुधार होता है।
