26 November 2025: देव कृपा प्राप्ति के लिए अत्यंत शुभ दिन है 26 नवंबर 2025

Edited By Updated: 21 Nov, 2025 07:33 AM

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Champa Shashti 2025: हिंदू परंपरा में मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि का अत्यंत विशेष महत्व है। इस दिन मनाया जाने वाला (Champa Shashti) चंपा षष्ठी (Skanda Shashti) भगवान कार्तिकेय, स्कंद और (Khandoba Shashti) खंडोबा देव को समर्पित माना जाता है।...

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Champa Shashti 2025: हिंदू परंपरा में मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि का अत्यंत विशेष महत्व है। इस दिन मनाया जाने वाला (Champa Shashti) चंपा षष्ठी (Skanda Shashti) भगवान कार्तिकेय, स्कंद और (Khandoba Shashti) खंडोबा देव को समर्पित माना जाता है। भगवान शिव और माता पार्वती के वीर पुत्र कार्तिकेय को शक्ति, साहस और आध्यात्मिक बल का देवता कहा गया है। वहीं महाराष्ट्र और कर्नाटक में इसी दिन Khandoba Puja 2025 खंडोबा बाबा की भव्य पूजा होती है, जिन्हें मार्तण्ड भैरव का स्वरूप माना गया है।

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Champa Shashti 2025 Date & Time चंपा षष्ठी 2025 कब है?
पंचांग के अनुसार वर्ष 2025 में चंपा षष्ठी बुधवार, 26 नवंबर 2025 को मनाई जाएगी।
षष्ठी तिथि प्रारंभ: 25 नवंबर 2025, रात्रि 10:55 बजे
षष्ठी तिथि समाप्त: 26 नवंबर 2025, प्रातः 11:55 बजे
इसी शुभ अवधि में भक्त व्रत, ध्यान और विशेष पूजा संपन्न करते हैं।

Champa Shashti 2025 Spiritual Significance चंपा षष्ठी का धार्मिक महत्व 
चंपा षष्ठी को पापों का क्षय, शांति और देव कृपा प्राप्ति का अत्यंत शुभ दिन माना जाता है। भगवान कार्तिकेय की पूजा से ऊर्जा, साहस और परिवारिक सुरक्षा मिलती है। खंडोबा देव की आराधना से ऋण, रोग और क्लेश दूर होने की मान्यता है। शिवजी को चंपा के पुष्प अर्पित करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। सूर्योदय के समय सूर्यदेव को अर्घ्य देने से जीवन में तेज, स्वास्थ्य और सफलता बढ़ती है।
भूमि पर शयन करने से शरीर का वात संतुलित होता है और मन शुद्ध होता है। चंपा षष्ठी कई क्षेत्रों में स्कंद षष्ठी की तरह भी मनाई जाती है, जहां भगवान स्कंद की विजय कथा का विशेष पाठ किया जाता है।

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Champa Shashti 2025 Puja Vidhi चंपा षष्ठी 2025 पूजा विधि  
पूजा की तैयारी
प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें।
पूजा स्थल को साफ कर लाल या पीले वस्त्र बिछाएं।
भगवान कार्तिकेय या खंडोबा देव की मूर्ति स्थापित करें।

कलश स्थापना
तांबे या मिट्टी के कलश में शुद्ध जल भरें।
आम के पत्ते और नारियल रखें।
दीपक और धूप जलाएं।

पूजा प्रक्रिया
व्रत और पूजा का संकल्प लें।
चंपा फूल, अक्षत, रोली, नारियल, पंचामृत और चंदन अर्पित करें।
कार्तिकेय स्तोत्र, स्कंद चालीसा या खंडोबा आरती पढ़ें।
आरती के बाद चंपा षष्ठी की कथा सुनें या पढ़ें।

अंत में प्रार्थना
भगवान से परिवार की सुख-समृद्धि, स्वास्थ्य और शांति की कामना करें।

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