Edited By Sarita Thapa,Updated: 11 May, 2025 01:03 PM

Chanakya Niti: सम्राट चंद्रगुप्त ने एक दिन अपने प्रतिभाशाली मंत्री चाणक्य से पूछा, “क्या कोई ऐसा उदाहरण है जहां गुण के सामने रूप फीका दिखे।”
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Chanakya Niti: सम्राट चंद्रगुप्त ने एक दिन अपने प्रतिभाशाली मंत्री चाणक्य से पूछा, “क्या कोई ऐसा उदाहरण है जहां गुण के सामने रूप फीका दिखे।”
चाणक्य ने कहा, “ऐसे तो कई उदाहरण हैं महाराज, पहले आप पानी पीकर मन को हल्का करें बाद में इस विषय पर बात करेंगे।”
फिर उन्होंने दो पानी के गिलास बारी-बारी से राजा की ओर बढ़ा दिए। महाराज, पहले गिलास का पानी इस सोने के घड़े का था और दूसरे गिलास का पानी काली मिट्टी की मटकी का था। अब आप बताएं किस गिलास का पानी आपको मीठा और स्वादिष्ट लगा।

सम्राट ने जवाब दिया, “मटकी से भरे गिलास का पानी शीतल और स्वादिष्ट लगा और उससे तृप्ति भी मिली।”
वहां उपस्थित महारानी ने मुस्कुराकर कहा, “महाराज! हमारे प्रधानमंत्री जी ने चतुराई से प्रश्न का उत्तर दे दिया। भला यह सोने का खूबसूरत घड़ा किस काम का जिसका पानी बेस्वाद लगता है।”
‘‘दूसरी ओर काली मिट्टी से बनी यह मटकी, जो कुरूप तो लगती है लेकिन उसमें गुण छिपे हैं। उसका शीतल पानी पीकर मन तृप्त हो जाता है। अब आप ही बतला दें कि रूप बड़ा है या गुण?” वास्तव में किसी वस्तु के गुणों का महत्व उसके बाह्य सौंदर्य से अधिक होता है।
