Edited By Prachi Sharma,Updated: 10 Aug, 2025 09:42 AM

Chanakya Niti: भारत के प्राचीनतम और महानतम रणनीतिकारों में से एक चाणक्य ने अपने जीवन में अनुभव के आधार पर चाणक्य नीति की रचना की। यह नीति शास्त्र जीवन, राजनीति, समाज और व्यवहार के विभिन्न पहलुओं पर आधारित शिक्षाएं देता है
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Chanakya Niti: भारत के प्राचीनतम और महानतम रणनीतिकारों में से एक चाणक्य ने अपने जीवन में अनुभव के आधार पर चाणक्य नीति की रचना की। यह नीति शास्त्र जीवन, राजनीति, समाज और व्यवहार के विभिन्न पहलुओं पर आधारित शिक्षाएं देता है, जो आज भी उतनी ही प्रासंगिक हैं जितनी चाणक्य के समय में थीं। एक प्रमुख विषय जिस पर चाणक्य ने विशेष बल दिया वह है मौन और वाणी का संयम। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि अत्यधिक बोलने वाला व्यक्ति अंततः अपना सम्मान खो देता है और कई बार दूसरों के लिए मज़ाक का पात्र भी बन जाता है।
क्यों ज्यादा बोलना बनाता है मजाक का पात्र ?
बिना मांगे सलाह देना
बहुत अधिक बोलने वाले लोग हर बात में अपनी राय देना शुरू कर देते हैं, चाहे उनसे पूछा गया हो या नहीं। ऐसी स्थिति में लोग उनकी बात को गंभीरता से नहीं लेते और उन्हें हर विषय का ज्ञानी या फालतू सलाह देने वाला मान लेते हैं।
गोपनीयता का हनन
जो व्यक्ति अपनी बातों को नियंत्रित नहीं कर पाता, वह अक्सर अपने या दूसरों के रहस्यों को भी अनजाने में उजागर कर देता है। यह आदत न केवल विश्वास की हानि कराती है, बल्कि लोग ऐसे व्यक्ति से दूरी बनाने लगते हैं।

अहंकार या दिखावा प्रतीत होना
बहुत अधिक बोलने वाले कई बार खुद को श्रेष्ठ दिखाने की कोशिश में पड़ जाते हैं। यह व्यवहार अहंकारी या घमंडी प्रतीत हो सकता है, जिससे समाज में उन्हें उपहास का पात्र बना दिया जाता है।
मूर्खता उजागर होना
चुप रहने वाला व्यक्ति चाहे जितना भी अज्ञानी हो, वह दूसरों को अपनी कमजोरी नहीं दिखाता। वहीं, अधिक बोलने वाला व्यक्ति अपनी बातों में ही अपनी अज्ञानता प्रकट कर बैठता है, जिससे उसका मजाक उड़ता है।
