Edited By Sarita Thapa,Updated: 21 Dec, 2025 02:45 PM

हर माता-पिता की इच्छा होती है कि उनका बच्चा जब बोलना शुरू करे, तो वह सबसे पहले मां या पापा कहे। लेकिन श्री हित प्रेमानंद महाराज जी का कहना है कि बच्चे के जीवन की नींव उसी पहले शब्द से पड़ती है जो उसकी जुबां पर सबसे पहले आता है।
Premanand Maharaj Parenting Tips : हर माता-पिता की इच्छा होती है कि उनका बच्चा जब बोलना शुरू करे, तो वह सबसे पहले मां या पापा कहे। लेकिन श्री हित प्रेमानंद महाराज जी का कहना है कि बच्चे के जीवन की नींव उसी पहले शब्द से पड़ती है जो उसकी जुबां पर सबसे पहले आता है। उनके अनुसार, बच्चे को दिया गया पहला शब्द उसके चरित्र और भविष्य का आधार बनता है। तो आइए प्रेमानंद महाराज जी से जानते हैं कि बच्चे का पहला शब्द कौन सा होना चाहिए।
संस्कारित भाषा की शुरुआत
महाराज जी का मानना है कि बच्चा एक कोरे कागज की तरह होता है। घर का वातावरण जैसा होगा, बच्चा वैसा ही सीखेगा। यदि माता-पिता चाहते हैं कि उनका बच्चा आगे चलकर धैर्यवान और संस्कारी बने, तो उन्हें बच्चे के पहले शब्द के रूप में भगवान का नाम जैसे- राधा-राधा, कृष्ण या राम सिखाना चाहिए।
ध्वनि का मानसिक प्रभाव
महाराज जी कहते हैं कि परमात्मा का नाम केवल एक शब्द नहीं, बल्कि एक उच्च ऊर्जा (High Energy) वाली ध्वनि है। जब एक छोटा बच्चा पवित्र शब्दों का उच्चारण करता है, तो उसके मस्तिष्क और वाणी में सकारात्मकता का संचार होता है। यह शब्द उसके अवचेतन मन में गहरे बैठ जाते हैं और भविष्य में उसे गलत रास्तों पर जाने से रोकते हैं।

माता-पिता का आचरण ही बच्चे की पाठशाला
अक्सर माता-पिता बच्चों को उपदेश देते हैं, लेकिन महाराज जी के अनुसार बच्चा उपदेश से नहीं, अनुकरण से सीखता है। यदि माता-पिता खुद घर में मधुर वाणी और प्रभु का नाम लेते हैं, तो बच्चा स्वतः ही वही शब्द दोहराने लगेगा।
डिजिटल युग में सावधानी
आजकल बच्चे बोलने से पहले मोबाइल के संपर्क में आ जाते हैं। महाराज जी चेतावनी देते हैं कि बच्चों को शुरुआती दौर में गैजेट्स से दूर रखकर उन्हें परिवार और भक्ति के वातावरण में रखना चाहिए। पहला शब्द यदि सात्विक होगा, तो बच्चे की बुद्धि कुशाग्र और शांत रहेगी।

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ